नर्मदापुरम / प्रज्ञा प्रवाह ज्ञान और साधना का केंद्र है। यहां ज्ञान की उपासना होती है। ज्ञान अर्जन के बाद उस पर चर्चा और विमर्श आवश्यक है। इससे विचारों की स्पष्टता होती है और स्पष्ट विचारों से ही देश का विकास संभव है। यह बात प्रज्ञा प्रवाह संगठन के मध्य और पश्चिम क्षेत्र के संयोजक विनय दीक्षित ने रविवार को तपोवन में आयोजित प्रज्ञा प्रवाह की विभाग बैठक में कही। उन्होंने कहा कि सभ्यता समय के साथ बदलती रहती है लेकिन संस्कृति नहीं बदलती। संस्कार नहीं बदलते। दया, करुणा, परोपकर, सहानुभूति, विश्वास, ममता हमारे जीवन मूल्य हैं। सम्पूर्ण सृष्टि का कल्याण हमारा मूल भाव है, वह सनातन है। यह विचार सदैव बना रहना चाहिए। वैचारिक उत्थान केलिए हमें विभिन्न वर्गों में अध्ययन समूह तैयार करने हैं, जिनमें मूल साहित्य का पठन, मनन और चिंतन हो। बैठक में नगर में ऐसे समूह प्रारंभ करने का लक्ष्य तय किया गया। साथ ही संभाग के अन्य जिलों में शीघ्र जिला इकाई के गठन की बात भी कही गई । बैठक में संतोष व्यास ने रंगा हरि की पुस्तक पथ और पाथेय पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक स्वयं सेवक का चरित्र कैसा होना चाहिए इस बात को रेखांकित करती है। बैठक में प्रज्ञा प्रवाह के प्रांत संयोजक धीरेंद्र चतुर्वेदी, युवा आयाम प्रभारी अभिषेक शर्मा, विभाग संयोजक प्रमोद शर्मा, रुचि खंडेलवाल, सुमन वर्मा, शक्ति रघुवंशी, राजेंद्र गिरी, योगेश पंवार, सत्येंद्र, मानस दुबे, रत्नेश साहू, अमित पाराशर आदि उपस्थित रहे।
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