नर्मदापुरम / राज्यसभा सांसद श्रीमती माया नारोलिया ने दिल्ली में सदन के माध्यम से अत्यंत महत्वपूर्ण विषय की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने ध्यान आकर्षित करते हुए सदन में कहा कि नर्मदा नदी केवल एक जलधारा नहीं बल्कि मध्यप्रदेश और गुजरात के करोड़ों लोगों की जीवनरेखा है। यह नदी प्रदेश के 16 जिलों से होकर बहती है और इसकी जलधारा पर लाखों किसान, श्रद्धालु एवं स्थानीय समुदाय निर्भर हैं। मैं सरकार द्वारा नदियों की सफाई और संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की सराहना करती हूँ। नमामि गंगे कार्यक्रम और विभिन्न राज्य स्तरीय नदी पुनर्जीवन पहल ने पर्यावरण संतुलन बहाल करने और स्वच्छ जल संसाधनों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि मैं इस सदन का ध्यान मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी की गंभीर स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। मध्य भारत की जीवनरेखा मानी जाने वाली यह नदी अत्यधिक रेत खनन, वनों की कटाई और अनियंत्रित प्रदूषण के कारण संकट में है। राज्य सरकार द्वारा नर्मदा सेवा मिशन के तहत सराहनीय कदम उठाए गए हैं, लेकिन पर्यावरण कानूनों को सख्ती से लागू करने, सतत जल प्रबंधन और जनसहभागिता को बढ़ावा देने की अत्यधिक आवश्यकता है। इसी तर्ज पर, मैं सरकार से माँग करती हूँ कि मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को “जीवित इकाई” घोषित किया जाए। जिससे इसकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इस कदम से नर्मदा का प्राकृतिक प्रवाह, उसकी जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को बचाने में मदद मिलेगी। मैं सरकार से आग्रह करती हूँ कि वह इस पवित्र नदी को जीवित करने के लिए अधिक संसाधन आवंटित करे और एक समग्र पुनर्जीवन योजना लागू करे, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इसका प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके ।
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