नर्मदापुरम / लंबित मांगों को पूर्ण नहीं किए जाने के विरोध में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ एक बार पुनः आंदोलन की राह पर है। इसी के तहत मंगलवार को संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने प्रेस वार्ता आयोजित कर अपने चरणबद्ध आंदोलन का शंखनाद किए जाने की जानकारी दी। प्रेसवार्ता के माध्यम से संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष विशेष दुबे ने बताया कि अपने चरणबद्ध आंदोलन के तहत आगामी 7 अप्रैल से 16 अप्रैल तक कार्यालय में समस्त स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे। इसके बाद 16 अप्रैल को रैली निकालकर जिला स्तर पर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बाद भी यदि मांगों को पूर्ण नहीं किया गया तो 22 अप्रैल से प्रदेश के समस्त 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इसकी संपूर्ण जवाबदारी शासन की रहेगी। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के विशेष दुबे ने बताया कि चरण बद्ध आंदोलन के लिए एक बार पुनः सभी कर्मचारी मजबूर है। इस अवसर पर संघ के प्रदीप कौर्य, विक्रम पटेल, डॉक्टर विधि तिवारी, डॉक्टर अंजली वर्मा अन्य संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
—भारतीय मजदूर संघ ने आंदोलन का किया समर्थन—
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की मांगों को जायज बताते हुए भारतीय मजदूर संघ के विभाग प्रमुख विनय डोंगरे, जिलामंत्री पंजाब गायकवाड़ एवं संविदा महा संघ के महामंत्री ऋषभ जैन, अध्यक्ष डैनी गौड़ ने आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के कोषाध्यक्ष दीपक झारिया, दसन पंद्राम ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत 20 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत लगभग 32 हजार कर्मचारी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से देते आ रहे हैं। कोरोनाकाल जैसे गंभीर महामारी में भी अपने परिवार एवं जीवन की परवाह किए बगैर सेवाएं दी हैं। इन्हीं सेवा-भाव को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 4 जुलाई 2023 को भोपाल में महापंचायत बुलाकर संविदा कर्मचारियों के लिए अनेक घोषणाएं की थी। जिसके परिपालन में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 23 जुलाई 2023 को संविदा कर्मचारियों के लिए एक नीति की सौगात दी गई, परन्तु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल के द्वारा संविदा कर्मचारियों को दी गई सुविधाओं में कटौती की गई है।
—संघ की यह है प्रमुख मांगे—
विभाग में रिक्त पदों पर संविलियन किया जाकर नियमित किया जाए, पूर्व से दी जा रही सुविधाओं में ईएल एवं मेडिकल को पृथक कर दिया है, अनुबंध प्रथा को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया गया है। अप्रेजल जैसी कुरीति को यथावत रखा गया है। सेवा निवृत्ति की आयु में 65 वर्ष से घटाकर 62 वर्ष किया गया है। एनपीएस, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य बीमा एवं डीए की सुविधा से वंचित रखा गया है। शासन द्वारा समकक्षता (वेतन विसंगति) का निर्धारण गलत तरीके से किया गया है, जिसमें पुनः विचार कर संशोधन किया जाए। निष्कासित सपोर्ट स्टॉफ एवं मलेरिया एमपीडब्ल्यू की एनएचएम में वापसी की जाए।