प्रदीप गुप्ता /नर्मदापुरम्/ जीव को कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। कर्म करते रहना चाहिए। यह उद्गार अपने श्रीमुखारबिंद से रविशंकर नगर आदमगढ़ में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस भागवतचार्य पं. राजेश शास्त्री ने दिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का बड़ा आलोकिक मार्मिक वर्णन उपस्थित जनसमुदाय को भाव विभोर कर दिया। पं. शास्त्री ने कहा कि भगवान को माखन इसलिए अच्छा लगता हैं क्यूकि माखन भक्त का प्रतीक है। उन्होंने कथा में प्रवचन में कालीय नाग कि कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कालीय नाग बृज में रहता था कोई वहां जाता तो उससे वह मार देता था। कलियानाग का मर्दन करते हुए उसे वहां से खदेड़ा। उन्होंने गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए बताया की 7 कोस लंबे चौड़े कालिकाल के देवता गोवर्धननाथ को 7 वर्ष के कन्हैया ने अपने सबसे छोटी उगली में 7 दिनरात अपनी अंगुली पर रखा। भगवान धारण किए रहे इंद्र देव का अभिमान तोड़ा। इस लिए जीव को कभी अभिमान नहीं करना चाहिए और कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए,जिससे कर्म करोगे तो फल मिलेगा इसलिए भगवान ने भी कर्म को प्रधान बताते हुए कहा कर्म करना जीव का धर्म है फल देना मेरा काम है। इस लीला के बाद नन्हें मुन्ने बच्चों ने भगवान श्रीकृष्ण, सुदामा, गोवर्धन पर्वत की अद्भुत झांकी सजाई। भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण छप्पन प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया।