प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम / शासकीय गृहविज्ञाान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में आज दिनांक 02.02.2023 को महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन के मार्गदर्शन में ईको क्लब द्वारा विश्व आर्द्रभूमी दिवस (वर्ल्ड बैटलेण्ड डे) पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन नें बताया कि आर्द्रभूमी या बैटलेण्ड जल से भरे ऐसे भूभाग होते है। जहॉं वर्ष में कम से कम आठ माह पानी भरा रहता है। ऐसे स्थानों को रामसर कहा जाता है। सामान्य भाषा में इन्हे तालाब या झील सकते है। इन क्षैत्रों में विभिन्न जीव जन्तु एवं इनके चारों ओर विभिन्न विशिष्ट वनस्पतियॉं पाई जाती हैं। इन क्षैत्रों के कारण भमिगत जल का भण्डारण बडता है। ग्राणीण क्षैत्रों में इन्ही ताल तलैया के कारण कुॅंओं में बर्षभर पानी बना रहता था। किन्तु धीरे धीरे ये तालाब समाप्त होते जा रहे है। जिनके कारण इन क्षैत्रों के भूमिगत जल, वनस्पति एवं जैवविविधता का हृास होता जा रहा है। वर्तमान समय में पूरे विश्व में लगभग 1929 एवं सम्पूर्ण भारत में 49 स्थलों को वेटलेण्ड क्षैत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। भोपाल का भौज वेटलेण्ड भी उनमें से एक है। ईको क्लब प्रभारी डॉ. दीपक अहिरवार ने बताया कि आज से 52 बर्ष पूर्व ईरान देष के एक शहर रामसर में 2 फरवरी 1971 में आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं जैवविविधता में हो रहे परिवर्तनों सें संबंधित वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न देशों के द्वारा जैवविविधता के संरक्षण एवं आर्द्रभूमी की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढाने के लिए संधि पर हस्ताक्षर किय गए एवं संरक्षण कार्य को आगे बढाया गया। ईकोक्लब द्वारा छात्राओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए वर्षभर पर्यावरण एवं जैवविविधता संरक्षण से संबंधित कार्य किये जाते है। इसी तारतम्य में आज विष्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर छात्राओं को प्रेरित कर जागरूक किया गया एवं संदेष दिया कि वे अपने अपने गॉव जाकर गॉव के सरपंच एवं अन्य लोगों से अपने गॉव के ताल, तलैया, तालाबों और जलसंग्रहण क्षैत्रों को पुर्नजीवित करने के लिए लोगों से चर्चा करे एवं प्रेरित करे। हम आशा करते है कि छात्राओं द्वारा उठाये गये ये छोटे छोटे कदम और प्रयास अवष्य ही सफल होंगें। कार्यक्रम में कु. श्रृुतिबैस एम.एससी प्राणीशास्त्र, कु. प्राची चौहान, कु. अनुश्री मालवीय एवं कु. साक्षी अमोले, बी.एससी. द्वितीय बर्ष ने भी आर्द्रभूमी के संरक्षण को बढावा देने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रगती जोशी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. हर्षा चचाने, डॉ. पी.आर. मानकर, डॉ. यशवंत निंगवाल, डॉ.रीना मालवीय, डॉं. दशरथ मीना, डॉ.चारू तिवारी, श्रीमती प्रीति मालवीय, रफीक अली, अजय तिवारी एवं बडी संख्या में छात्राए उपस्थित रहीं ।