नर्मदापुरम/प्रीति चौहान/ घर के पूजाघर या मंदिर में घी, तेल, सरसो, तिल या चमेली के तेल का दीपक जलाने के प्रचलन है.पं.संजय शास्त्री के अनुसार सभी को जलाने का अलग-अलग महत्व होता है। घी का दीपक जलाना महंगा पड़ता है, इसलिए लोग तेल का दीप ही ज्यादा जलाते हैं जानते हैं तेल या घी के दीपक में से कौनसा ज्यादा शुभ है। ऐसी मान्यता है कि देवी या देवता के दाएं हाथ की ओर घी और बाएं हाथ की ओर तेल का दीपक जलाना शुभ होता है। घी का दीपक सफेद खड़ी बत्ती जिस फूलबत्ती कहते हैं उससे जलाते हैं और तेल का दीपक लंबी बत्ती से जलाते हैं हालांकि तिल के तेल का दीपक जलाएं तो उसमें लाल या पीली बत्ती लगानी चाहिए। घी का दीपक देवी-देवता को समर्पित किया जाता है। जबकि तेल का दीपक मनोकामना की पूर्ति के लिए जलाया जाता है। आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए घी का दीपक जलाया जाता है इससे देवी और देवता प्रसन्न होते हैं। सरसो या तिल के तेल का दीपक शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए जलाया जाता है। चमेली के तेल का दीपक हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए जलाया जाता है संकटहरण हनुमानजी की पूजा करने के लिए तथा उनकी कृपा आप पर सदैव बनी रहे, इसके लिए तीन कोनों वाला दीपक जलाना चाहिए। शत्रुओं से बचने के लिए भैरवजी के यहां सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए भी सरसों का दीपक जलाते हैं। पति की लंबी आयु की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए घर के मंदिर में महुए के तेल का दीपक जलाना चाहिए। राहु और केतु ग्रहों की दशा को शांत करने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। घर या मंदिर में घी का दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है। इससे सभी तरह का स्वास्थ लाभ होता है साथ ही घर का वास्तुदोष भी दूर हो जाता है। यह सभी तरह की पीड़ा का नाश कर देता है। शिव पुराण के अनुसार प्रतिदिन घी का दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। कहते हैं कि घी का दीपक चलाने से वायु शुद्ध होती है और हवा में मौजूद किटाणुओं का नाश होता है इसकी सुगंध से मानसिक शांति मिलती है और डिप्रेशन दूर होता है ।