इटारसी: चंदे पर प्रतिबंध या लगाम लगे कि नहीं इस हेतु हमने लोगों से उनके विचार जानने के लिए कहा था । इसमें लोगों से विभिन्न प्रकार के चौंकाने वाले विचार हमें प्राप्त हुए हैं जिसमें अधिकतर लोगों ने चंदे लेने पर प्रतिबंध, लगाम लगाने का कहा है जिसमें उनके सुझात्मक रूप से विचार निम्न हैं :-
लोगों ने कहा है कि अपने घर के सामने “कृपया चंदा ना मांगे” का बोर्ड लगाया जाना आवश्यक हैं ।
एक सुझाव में हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाकर चंदे को प्रतिबंधित किया जाने को आवश्यक बताया।
मतदान देते समय में नोटा की बटन होती है उसी प्रकार चंदे की गड्डी पर्ची में चंदा नहीं देने वाले की स्वेच्छा नोटा पर्ची होना आवश्यक है ताकि चंदा नहीं देने वाले का भी सम्मान बना रहा है।
लोगों को किसी भी सामाजिक उत्सव के कार्य का क्रियान्वयन आर्थिक रूप से स्वयं सम्बल होकर करना चाहिए ना कि किसी पर दबाव बनाकर चंदा लेने की जरूरत पर बल देकर करना जरूरी हैं ।
किसी की आस्था को मापने का पैमाना चंदा लेना नहीं हो सकता।
अपनी अटूट श्रद्धा को दिखाने का जरिया भी चंदा नहीं हो सकता।
जगह-जगह भीख मांगने की प्रवृत्तियों को रोकने के लिए भीख को प्रतिबंधित किया जा रहा है किन्तु दवाब बनाकर चंदा लेने की प्रवृत्तियों को रोकने के लिए चंदे को प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा।
जिनको राजनैतिक, धार्मिक, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलकूद एवं विभिन्न क्षेत्रों के आयोजनों, उत्सवों को करने की योजना आती है पहले स्वयं अपने कार्य बल आर्थिक स्थिति के आधार पर करने की चेष्टा करना चाहिए ना कि चंदे लेने को आधार बनाकर। क्योंकि आपकी कार्य योजना को किसी पर जबरदस्ती थोपा नहीं जा सकता हैं। एक प्रकार से यह थोपने का कार्य मूलभूत अधिकारों का हनन दिखता हैं।
लोगों के विचार को जानने के बाद यह प्रतीत होता है कि चंदे का मूल स्वरूप स्वेच्छा अनुदान पर निर्भर होना चाहिए । चंदा मांगने वाले को अपने सहनशीलता का परिचय देते हुए यदि कोई चंदा न दे तो उसके सम्मान को ठेस न पहुंचाकर उसके लिये सहज साधुवाद करना आवश्यक है।
आगे आपको ओर भी विचारों से इस संबंध में अवगत कराया जाता रहेगा………