नर्मदापुरम / हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि बहुत पावन मानी गई है। साल में 12 अमावस्या की तिथियां पड़ती हैं। सबका अपना महत्व है, लेकिन शनि अमावस्या बहुत विशेष ही मानी जाती है। दरअसल जो अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है उसे शनिचर अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है। शनि अमावस्या हर साल में एक या दो बार ही आती है। अमावस्या तिथि के दिन ही भगवान शनिदेव का जन्म माना जाता है। शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है।
कब है शनि अमावस्या?
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साल की पहली शनि अमावस्या चैत्र माह की अमावस्या है। हिंदू पंचांग के अनुसार 28 मार्च को शाम 7 बजकर 30 मिनट पर अमावस्या की तिथि शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 29 मार्च को शाम के 4 बजकर 30 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। ऐसे में 29 मार्च को शनि अमावस्या मनाई जाएगी।
शनि अमावस्या का महत्व
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शनि अमावस्या का दिन शनिदेव के प्रकोप को शांत करने और शनि दान के लिए सबसे अच्छा दिन माना गया है। इस दिन शनि देव से संबंधित चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। शनि अमावस्या के दिन शनि को प्रसन्न करने के लिए उन पर सरसों के तेल में तिल डालकर चढ़ाना चाहिए। शनि देव से जुड़ी काली चीजों का दान करना चाहिए। इस दिन शनि देव का अभिषेक और उनके मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। (संकलन – प्रीति चौहान)