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टीकमगढ़। नगर पालिका अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार उर्फ पप्पू मलिक महावीर जयंती पर शहर में टैंकर लेकर निकले, इस दौरान बाजार जैन मंदिर के द्वार को अपने हाथों से धोने लगे, उन्होंने भाईचारे और सौहाद्र की मिसाल पेश की जनता को स्वच्छ और सुचारु माहौल देने के उद्देश्य से चलाए गए इस अभियान में नगर पालिका की टीम ने पूरी तत्परता से भाग लिया। मंदिरों के पास विशेष सफाई की गई ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। नगर पालिका अध्यक्ष ने कहा कि “हमारा प्रयास है कि त्योहारों के दौरान शहर की स्वच्छता और व्यवस्था बनी रहे, जिससे श्रद्धालुजन श्रद्धा भाव से पर्व मना सकें। आगे कहा गया है कि “सफाई सिर्फ एक दिन का काम नहीं, बल्कि निरंतर प्रयास है, और त्योहारों के दौरान हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। पिछले दिनों से लगातार सफाई अभियान चलाया जा रहा है। इस पहल की सराहना क्षेत्रवासियों ने की लोगों ने कहा हमारे शहर के प्रथम नागरिक नगर पालिका अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार पप्पू मलिक भगवान महावीर जयंती पर दिल से शहर के प्रथम नागरिक होने का दायित्व निभा रहे हैं ।00:00
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अभी तक कि आप सबसे पॉपुलर नगर पालिका अध्यक्ष है। आप अपने लक्ष्य में आगे जरूर बढ़ेंगे। इसी अभिलाषा के साथ अपना आशीर्वाद दिया।

आज टीकमगढ़ में महावीर जयंती पर शोभायात्रा निकली गई जिसमें सेल सागर चौराहे पर टीकमगढ़ विधायक दादा यादवेंद्र सिंह बुंदेला नगर पालिका अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार पप्पू मलिक ने स्वागत बंधन किया एवं शोभा यात्रा में सम्मिलित हुए।
नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा जुलूस का पुष्प बरसाकर स्वागत किया । जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व इस भारत की वसुंधरा पर जन्म हुआ था उनके सिद्धांत आज भी संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणादाई है। उन्होंने कहा था कि किसी भी जीव को कष्ट नहीं पहुंचाए, किसी भी जीव को दुखी नहीं करें, स्वयं जिए एवं दूसरों को जीने का अधिकार दें यही महावीर स्वामी की प्रमुख शिक्षा रही। जैन धर्म के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गयी है। भगवान महावीर वर्तमान अवसर्पिणी काल के चौबीसी के अंतिम तीर्थंकर थे और ऋषभदेव पहले तीर्थंकर हुए
हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया।