नर्मदापुरम : माझी जनजाति (धीवर,कहार, भोई, मल्लाह, निषाद) के संबंध में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन को मध्य प्रदेश माझी जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति नर्मदापुरम द्वारा संयुक्त कलेक्टर वंदना जाट को सौंपा गया । इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष श्री दुर्गा प्रसाद रैकवार, प्रदेश सह संगठन मंत्री श्री कन्हैयालाल रैकवार, डॉ प्रताप सिंह वर्मा, सोनू रैकवार, खुश रैकवार, राजा, मनोज एवं समाज के अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।
ज्ञापन मैं समाज की निम्नलिखित समस्याओं को निराकरण हेतु उल्लेख किया गया जिसमें:-
(क) म प्र पिछडा वर्ग अनुसूची क्र. 12 से जाति समूह को विलोपित करने एवं
(ख) सामान्य प्रशासन आदेश दि. 01.01.2016 में संशोधन आदेश जारी करने बावत्। एक्ट में
(ग) पेसा एक्ट में संशोधन करने बावत्।
ज्ञापन में लिखा गया की भाजपा के घोषणा पत्र अनुसार पिछडा वर्ग सूची सरल क्र. 12 पर अंकित नोई ढीमर कहार केवट, मल्लाह, निषाद (कश्यप, रायकवार, बाथम) आदि हैं जोकि म. प्र. अनुसूचित जनजाति सूची क्र. 29 पर अंकित माझी जनजाति के पर्याय / छूटे हुए भाग होने के कारण पिछड़ा वर्ग सूची क्र. 12 पर अंकित समूह को विलोपित किया जावे।। इस संबंध में निम्न बिन्दुओं पर मूल समस्या का समाधान कर आदेश जारी करें-
1. विध्यादेश राज्य के द्वारा तत्समय दिनांक 08 जनवरी 1950 में भारत सरकार के विधि मंत्रालय को अनुसूचित जनजाति सूची सरल क्र. 08 पर माझी जनजाति के पर्याय केवट, मल्लाह, भोई. डीमर आदि समुदाय को जनजाति मान्य किया है।
म.प्र. मंत्रिपरिषद आदेश आयटम क्र. 20 दिनांक 25 जून 2003 को पिछड़ा वर्ग सूची सरल क्र. 12 ढीमर, मोई, कहार, धीवर, मल्लाह, नावडा, तुरहा, केवट (कश्यप निषाद, रायकवार, बाथम), कीर (मोपाल, रायसेन, सीहोर जिलों को छोड़कर), वृतिया, वृतिया, सिंगरहा, जालारी (जाताननु बस्तर जिल में) सौंधिया जातियों को पिछडा वर्ग सूची से विलोपित करने का निर्णय लिया था म.प्र. राज्य पिछडावर्ग विभाग द्वारा वर्ष 2003 से विलोपित करने की कार्यवाही अपेक्षित है, उक्त जातियों विलोपित करने हेतु आदेश जारी किया जाये ।
3. माननीय पूर्व मंत्री श्रीमती ललिता यादव नोटशीट 1575 दिनांक 27.09.2018 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण मप्र शासन भोपाल द्वारा पिछड़ा वर्ग सूची के 12 पर अंकित माझी के पर्याय / छूटे हुए भाग धीवर, कहार, केवट, भोई, मल्लाह, निषाद आदि को विलोपित करने की अनुशंसा की गई है एवं पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री जे.पी. धनोपिया जी के द्वारा भी क. 04/20 दि. 18.03.2020 में भी आवश्यक कार्यवाही हेतु नोटशीट संबंधित विभाग को लिखी गई श्री कार्यवाही अपेक्षित है।
4. भाजपा की घोषणा एवं पादों के अनुसार उक्त जाति समूह को विलोपित किया जाये जैसा कि पिछडा वर्ग अनुसूधनगर आदि को विलोपित किया जाने के आदेश जारी किये गये है। किन्तु अन्य जातियों की तरह धीवर, कहार, भोई, केवट, मल्लाह, निषाद आदि को पिछडा वर्ग से विलोपित किये जाने एवं अ.ज.जा. माझी के साथ जोड़े जाने में अनाकानी एवं पक्षपात किया जा रहा है। जो माझी समाज में असंतोष व आकोश का कारण बना हुआ है।
5. उदाहरण भा.ज.पा. द्वारा ग.प्र. में पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की अधिसूचना क्र. एफ/6-5/2013/541 दिनांक 09.08.2018 द्वारा पिछडा वर्ग की सूची क्र. 58 पर अंकित खेरवा जाति को विलोपित कर मप्र अनुसूचित जनजाति सूची सरल क्र. 23 पर अंकित खैरवार की उपजाति मानते हुए जोड़ा गया है, तथा पिछड़ा वर्ग की सूची क्र. 57 पर अंकित कोटवार जाति को विलोपित किया गया तथा पिछडा वर्ग की सूची क्र. 23 पर अंकित गडरिया, धनगर, पाल, बघेल आदि जातियों को विलोपित किया गया है।
6. राज्य शासन द्वारा जारी आदेश क्र. एफ-7 / 47 / 2016 / आ.प्र./ एक /भोपाल दि. 01.01.2018 द्वारा “लिए गये निर्णय अनुसार धीवर, कहार, भोई, केवट, मल्लाह, निषाद आदि जाति के जिन व्यक्तियों द्वारा माझी अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर दिनांक 11.11. 2005 के पूर्व शासकीय सेवाओं में नियोजन व शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश प्राप्त कर लिया है, उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाये, किन्तु उक्त दिनांक के पश्चात उन्हें अनुसूचति जनजाति के अन्तर्गत नहीं मानते हुए आरक्षण का लाभ नहीं दिया जायेगा”। यही समाज में असंतोष का कारण है। अतः संशोधन आदेश जारी किया जावे।
7. उक्त आदेश को आधार बनाकर नौकरी पेशा समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस में झूठी शिकायतें कर एवं सूचना के अधिकार (R.T.I.) का दुरूपयोग कर परेशान व ब्लैकमेल किया जा रहा है इस संबंध में समय समय पर ज्ञापनों, धरना, प्रदेशन एवं रैली के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित कराते रहे हैं। उल्लेखनीय है भारतीय जनता पार्टी समय-समय पर माझी समुदाय के बीच विधानसभा चुनाव, उपचुनाव व कार्यक्रमों में समाज को आश्वासन देती आ रही है उसमें संशोधन आदेश जारी किया जाये।
8. म.प्र. सरकार ने दिनांक 15.09.2022 को राज्य में “जल जंगल और जमीन अधिकार पेसा एक्ट लागू किया गया है इस कानून से मात्र मत्स्य पालन व्यवसाय में मछुआ कल्याण एवं विकास विभाग में मछली पालन, खरबूज, तरबूज, सिघाडें की खेती तथा रेत कछारी कार्य में वर्षों से परम्परागत पैतृक पेसा (व्यवसाय) में सर्वोच्च प्राथमिकता निर्धारित की थी वह अत्यधिक प्रभावित होगी और मछुआ नाविक वर्ग के स्वरोजगार के एक मात्र विकल्प पर कुठाराघात हैं, इसमें संशोधन कर जल कृषि फार्म मछुआ नाविक समितियों को संरक्षित किया जावे एवं मछुआ नीति 2008 के अनुसार माझी जनजाति समुदाय के वंशानुगत (धीवर, कहार, भोई, केवट, मल्लाह, निषाद आदि ) को तालाब / जलाशयों आदि आवंटन में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जावे
अतः ज्ञापन द्वारा अनुरोध किया गया कि, पिछडा वर्ग सूची सरल क्र. 12 पर अंकित जातियों को विलोपित किया जाये एवं 01.01.2018 के आदेश में 11.11.2005 की बाध्यता समाप्त कर संशोधन आदेश एवं पेसा एक्ट 15.11.2022 में सशोधित आदेश जारी किया जावे अन्यथा समाज आन्दोलन हेतु मजबूर होगा ।