• लोकेश वर्मा मलकापुर
कडकड़ाती ठंड में गर्म कपड़ों का बाजार भी शहर में जम के सजा है। कई स्थानों पर अलग-अलग जगह गर्म कपड़ों की दुकानें लगी हैं। न्यू बैतूल ग्राउंड कोठी बाजार में लगा हिमालयन तिब्बती बाजार में भी नए डिजाइन और स्टाइलिश जैकेट, शॉल, पोचू, कुर्ती और हुडी के अलावा स्वेटर और बच्चों के लिए भी ढेरों डिजाइन उपलब्ध हैं।
1959 में जब चाइना ने तिब्बत पर हमला बोल दिया था। उस वक़्त क़रीब 80 से 90 हज़ार तिब्बतीयों को दलाई लामा के साथ भारत में शरण लेनी पड़ी थी। हिमालयन तिब्बत बाजार में हिमाचल से दुकान लेकर आए पासांग भाई ने बताया कि उस वक्त हमारे पूर्वजों को उत्तर भारत में आकर रहना पड़ा। कुछ 40-41 साल पहले तिब्बती हमारे पूर्वज देश के अलग-अलग बड़े-बड़े शहरों में घर-खर्च निकालने के लिए घर -घर जाकर हाथ से बने ऊनी कपडे़ और स्वेटर बेचने शुरू कर दिए। जो हमारे घर की महिलाओं द्वारा हाथों से तैयार किए जाते थे। धीरे-धीरे आधुनिकता के साथ अब मशीनों का भी सहारा लेना पड़ा। शुरू में लोग हमसे सामान ख़रीदने से कतराते थे लेकिन समय के साथ लोगो ने हमें स्वीकारना शुरू कर दिया।
आगे बताया कि मार्केट लगाने के लिए यह कपड़े उनकी यूनियन से सप्लाई किए जाते हैं। हमारे पास कम कीमत में अच्छी क्वालिटी के कपड़े हैं इतने कम रेट में जिस क्वालिटी का कपड़ा हम दे रहे हैं वह बाजार में नहीं मिलेगा। पासांग ने कहा कि कोरोना में घूम घूम कर बाजार लगाने की अनुमति नहीं थी परंतु अब अच्छा व्यापार चल रहा है। तिब्बती बाजार में दुकान लेकर आए शीरिंग नूफूला ने बताया कि नवंबर में हम बैतूल आए थे। परन्तु पिछले सप्ताह से बैतूल में अधिक ठंड पड़ रही है अधिक ठंड होने से बाजार में भी उछाल आया है। इसी को देखते हुए हमने नया स्टॉक भी बुलाया है। शाम के समय खरीदी करने ग्राहकों की अधिक भीड़ रहती है। साथ ही यहां पर अभी 20% डिस्काउंट भी चल रहा है।
शरग, कार्डिगन, फैंसी स्वेटर, जैकेट, शाल, मफलर और टोपे आदि की बड़ी रेंज यहां उपलब्ध है। जिन्हें पहन कर आप सर्दियों में होने वाले शादी-ब्याह में स्टाइलिश दिख सकते हैं। यहां आय शेरपा वूलन के कपड़े भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। हम हिमाचल प्रदेश और पंजाब से कपड़े लेकर आते हैं। टोपी, मोजे और मफलर हाथ से बुने वाले भी लेकर आए हैं। खरीदी कर रही दीपशिखा ने बताया कि मैं हर साल यहीं से जैकेट खरीदती हूं। मखमली जैकेट और मफलर मुझे बहुत पंसद आई थी जो मैंने खरीद भी ली है। स्वेटर और जैकेट की कलर और क्वालिटी तो बहुत अच्छी है। यहां रेट तो फिक्स है पर पहले के और अब कोरोना के बाद के रेट में काफी अंतर है।
महिलाओं ने थामी कारोबार की कमान….
कहा कि हमारे पूर्वजों ने शरणार्थी के रूप में बहुत संघर्ष देखा। यही कारण है कि बचपन से हमारे माता-पिता ने बिना लिंग भेद के हर तरह से मजबूत होने पर जोर दिया। भारत आने से हम आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत महसूस करते हैं। तिब्बती बाजार में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भी दुकानें लगी है।