इटारसी: भारत देश की आधी से ज्यादा आबादी के लोग आंखों की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। इन नेत्र रोगों से पीड़ित एवं कम एवं अधिक दूर दृष्टि दोषों को दूर करने के लिए ऑप्टिशियंस की दुकानों में महंगे चश्मे एवं अधिक से अधिक राशि लेकर उसे सुधारे जाते हैं बल्कि कुछ ऑप्टिशियंस द्वारा तो फ्रेम का थोड़ा भी बिगड़ने पर नया चश्मा बनाने का दबाव बनाया जाता है। इस प्रकार की हेरा फेरी से दूर पीड़ित मानवता की सेवा के लिए अपने कदमों को आगे बढ़ाते हुए प्रतिभाशाली जयेश राव ने एक मिसाल बना दी है वह 10 से 20 रुपये में ही पुराने चश्में को सुधार कर देते हैं। अति गरीबी के लोगों को वह कई बार निशुल्क ही सुधार कर दे देते हैं। चश्मा सुधारने का जब तक बोलते रहते हैं जब तक की उसमें सुधारने के प्रयास न बचा रहें । इसके विपरीत अन्य दुकानदारों द्वारा फ्रेम सुधरवाने पर तुरंत फ्रेम बदलने या चश्मा बदलने का बोल दिया जाता है। इस समाज सेवा की प्रेरणा का श्रेय वह अपने पिता स्व. श्री शामकान्त राव एवं माता श्रीमती कुंदन राव को देते हैं इनके परिवार का मूलतः निवास जलगांव, महाराष्ट्र का हैं। उनकी चश्मे की शॉप भारत ऑप्टिशयन ईदगाह के बाजू में, गांधीनगर इटारसी में स्थित है। उनकी इस उपलब्धि पर आयुष ऑर्गनाइजेशन द्वारा उन्हें 26 जनवरी 2026 को गणतंत्र दिवस समारोह में रानी अवन्ती स्कूल में सम्मानित किया जाएगा।



