प्रदीप गुप्ता /नर्मदापुरम / (पिपरिया) नर्मदा पुराण के पंचम दिवस की व्याख्या करते हुए कहां मां नर्मदा के पावन तट पर जिसने भी आकर तपस्या की उसको संपूर्ण सिद्धियां प्राप्त हुई महात्मा मुक्ति और सिद्धि के लिए नर्मदा के तट परआए गृहस्थ लोग संपत्ति और सुख की इच्छा से आए देवता अपनी कामना से आए नर्मदा मैया ने सबकी इच्छाएं पूर्ण की इसी क्रम में शुक्लेश्वर, ब्रह्मणेश्वर, मंडलेश्वर, सिद्धेश्वर, कुंडेश्वर, मणिनागेश्वर, मेघनाथेश्वर, अग्नि तीर्थ, पिपलेश्वर आदि तीर्थों की महिमा एवं महत्व बताया धर्म क्षेत्र में किया हुआ पुण्य वंशानुगत चलता है और तीर्थ क्षेत्र में किया हुआ पाप भीम वंशानुगत चलता है। इसलिए मनुष्य को तीर्थों का सेवन करते समय सावधानी रखना चाहिए कि हमारे द्वारा कोई कर्म ना बिगड़ जाए धर्म क्षेत्र का किया हुआ दान कभी भी नष्ट नहीं होता। सत्संग में बिताया हुआ क्षण धर्म में लगाया हुआ कण-कण कभी भी निष्फल नहीं होता अर्थात जीवन में परमार्थ का अवसर आए तो कभी नहीं छोड़ना चाहिए जीवात्मा के साथ केवल परमार्थ ही जाता है। भगवान अपने भक्तों के प्रति बहुत उदार एवं कृतज्ञ होते हैं भगवान के लिए जितना किया जाता है। उससे हजार गुना मनुष्य को परमात्मा प्रदान करते हैं अर्थात इस संसार में आकर हमने ईश्वर को समय नहीं दिया तो हमसे बड़ा कृपण और कोई नहीं जिस परमात्मा ने जीवन दिया। जीवन के उपयोग की सभी वस्तुएं दी यदि हम बदले में उसके लिए कुछ नहीं कर पाए तो अंत में पछताने के अलावा कुछ हमारे हाथ में कुछ नहीं समय के रहते सत्कर्म पुण्य कर्म पवित्र कर्म निरंतर करते रहना चाहिए जीवन का कोई ठिकाना नहीं क्या भरोसा है। इस जिंदगी का साथ देती नहीं है किसी का साथ देने वाले केवल परमात्मा है नर्मदा मैया है, जीवनदायिनी है। तीर्थों को पवित्र रखें स्वच्छ रखें एवं प्रत्येक तीर्थों का सम्मान करें यही मानव जीवन की सार्थकता है। कथा व्यास पुराण प्रबाचक पूज्य अरविंदाचार्य जी महाराज ने सभी श्रोताओं से नर्मदा को स्वच्छ पवित्र रखने के लिए अपील की कचरा निर्मल्य आदि नर्मदा में विसर्जित ना करें।