रिपोर्टर सुनील राठौर
भौरा :- पिछले दिनों 14 फरवरी से 20 फरवरी तक प्रसिद्ध कथा वाचक व अपने प्रदेश की शान पूज्य संत श्री प्रदीप जी मिश्रा सीहोर वाले द्वारा अपने कुबरेश्वरधाम में सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव और श्री शिव महापुराण का आयोजन रखा गया था। रुद्राक्ष महोत्सव के प्रथम दिवस में पूज्य संत के सेवादार स्थानीय सेवक धर्म प्रेमी बंधु व प्रशासन की और से लगभग चार लाख व्यक्तियों के भोजन रुकने की व्यवस्था धाम में की गई थी। पर संयोगवश संत के चाहने वाले श्रद्धालुओं कि लगभग 4 गुना अधिक संख्या में लोगों के पहुंचने से व्यवस्था में परेशानियां उत्पन्न हुई। कई बीमार मानसिक विचारधारा वाले स्थानीय लोगों द्वारा अनेकों प्रकार से श्रद्धालुओं को परेशान किया गया। जैसे धाम से स्टेशन छोड़ने का ₹500 व पीने के पानी की बोतल का 50 से अधिक रुपए में बेचना लोगों से फ्रेश होने के लिए खेतों में 20-20 रुपए लेना। ऐसे श्रद्धालुओं के साथ श्रद्धा भाव छोड़कर उन्हें परेशान किया गया कई चैनल द्वारा समिति व संत के बारे में बहुत उल्टा सीधा बोला गया । एक सनातन व्यक्ति को शोभा नहीं देता। भगवान शिव के प्रति जन-जन तक आस्था पहुंचाने वाली पूज्य संत श्री मिश्रा जी आज एक भगवान स्वरूप हमारे बीच है। जिन्होंने अपनी कथा के माध्यम से दुनिया भर के शिवालयों में जन जन तक प्रभु की आराधना पूजन जल अभिषेक व उपायों माध्यम से आस्था जगाई है। आज प्रत्येक शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ जो दिखाई दे रही है। वह उनकी कथा का ही परिणाम है। श्री मिश्रा जी द्वारा शिवलिंग को एक ऊर्जा का स्वरूप बताया है। धरती मां के प्रत्येक कण-कण में ईश्वर को स्थापित करने की एक विधि या प्रक्रिया है। यह प्राण प्रतिष्ठा मंत्रों के माध्यम से की जाती है। और इसी तरह बड़े-बड़े ज्योतिर्लिंग की स्थापना भी की गई है। जिन में बहुत शक्ति होती है। भगवान शिव रामायण के प्रणेता एक अच्छे नृत्य कार के रूप में स्वयं में नृत्य वास करता है। प्रेमी है समस्त देवी देवताओं के रक्षक हैं असुरों के सहायक है हमारे आदर्श हैं। दुनिया मैं जहां सत्य है वहां शिव है। वे औघड़ दानी है आशुतोष है देवों के देव महादेव हैं ग्रहस्त हैं । वे कठिन तप करने वाले तपस्वी हैं। महायोगी हैं जो सच्चे मन से ध्यान से पूजन करता है उसकी जल्दी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। इस तरह कथाओं के माध्यम से जन जन के दिलों में एक आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं। पूर्व में बाल्यावस्था का जीवन बहुत ही अभावग्रस्त रहा। इसे भगवान की विशेष कृपा कहें आपके द्वारा ईश्वर की लीलाओं को राम कथा भागवत कथा शिव पुराण जैसी अनेक कथाओं का विधिवत अध्ययन पूजन किया गया इसका परिणाम आज आप भारत के प्रमुख संतो में गिने जाते हैं। शिव पुराण में आप की कथा का मूल मंत्र एक लोटा जल हर समस्या का हल और छोटे-छोटे उपायों के द्वारा अपने निजी जीवन की समस्या से निदान पा सकते हैं। हम सभी सनातन प्रेमियों का उनके प्रति जबरदस्त श्रद्धा भाव है। ऐसी विषम परिस्थितियों में हर भक्तों को सेवा भाव से यथा योग्य सहयोग देना चाहिए नाकी उनके प्रति गलत व्यवहार कर अभद्रता का परिचय देना और मजाक बनाना कहीं से उचित नहीं है। जब एक सनातन ही सनातन का सहयोग नहीं करेगा तो कैसे हिंदू राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है। लेख के माध्यम से आप मेरी बात को समझ गए होंगे। और भविष्य में एक सेवा भाव से समाज में सेवा का संकल्प लेंगे जिससे हिंदू राष्ट्र की कल्पना साकार हो सके।