आदिवासियों का जंगल की जमीन के लिए आंदोलन जारी, जिला मुख्यालय से आए अधिकारियों की समझाइश भी हुई बेकार नहीं माने ग्रामीण कहा कटाई कर बनाएंगे मकान चाहे हो जाए जेल
संवाददाता अरुण कश्यप
सिवनी मालवा तहसील के वन परिक्षेत्र बानापुरा में आने वाले वनग्राम राजलढाना में आदिवासियों के द्वारा वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है नाराज आदिवासियों ने वन भूमि पर खड़े हरे-भरे पेड़ काटकर खेत बनाना शुरू कर दिया। मंगलवार को राजलढाना गांव के लगभग 200 से अधिक आदिवासियों ने वन भूमि फिर जमीन के लिए किए गए आंदोलन को लेकर मौके पर पहुंचे जिला मुख्यालय से अपर कलेक्टर मनोज ठाकुर एडिशनल एसपी आशुतोष सिंह एवं वन विभाग के आला अधिकारी वन अधिकारी व कर्मचारियों ने आदिवासियों को मौके पर समझाने का प्रयास किया, लेकिन सब कुछ बेअसर रहा। कलेक्टर के निर्देश पर पहुंचे अपर कलेक्टर मनोज ठाकुर एवं एडिशनल एसपी आशुतोष प्रताप सिंह काफी देर तक आदिवासी ग्रामीणों को समझाइश देते रहे साथ ही वन विभाग के आला अधिकारी भी सभी से चर्चा कर उन्हें समझाया और बताया कि इस तरह हरे भरे पेड़ों को काटकर नुकसान करने से कुछ नहीं होगा। जमीन के लिए आप लोग विधिवत आवेदन करें। आप सभी ग्रामीणों की जो भी मांग है नियमानुसार जांच कर वह पूरी की जाएगी आपको बताते चलें वन विभाग ने 2016 में 120 हेक्टेयर जमीन पर औषधी के पौधों का प्लांटेशन किया गया था। महुआ, बहेड़ा, कहू
सहित अन्य पौधे लगाए गए थे, जिसमे से लगभग 7 हेक्टेयर जमीन पर आदिवासियों ने पेड़ों को काट दिया गया था आदिवासियों ने उस स्थान पर एक बैनर बना कर लगाया था। उस बैनर में लिखा था “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है, कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि आदिवासियों के द्वारा जंगल की जमीन के अतिक्रमण का मामला अब दिन पर दिन तूल पकड़ता जा रहा है जिला मुख्यालय से आए आला अधिकारियों की समझाइश के बाद भी पूरा मामला साफ नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के द्वारा हमें बेवकूफ बनाया जा रहा है हम अब किसी की नहीं सुनेंगे जमीन हमें चाहिए आखिर हम कब तक मजदूरी करते रहेंगे वहीं दूसरी ओर वन विभाग रेंजर का कहना है कि नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है उसके बावजूद भी कोई कानून अपने हाथ में लेगा तो वन अधिनियम के तहत विधिवत कार्यवाही की जाएगी
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