नर्मदा समय, डॉ प्रताप सिंह वर्मा
मणिपुर में पिछले ढाई महीने से हिंसा जारी है। इस बीच, कुछ ऐसी वीडियो सामने आए हैं, जिसने पूरे देश को दहला दिया है। इस वीडियो में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न करके सड़क पर घुमाते हुए दिखाया जा रहा है। ये वीडियो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी निंदा की। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र और राज्य सरकार को सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ने यहां तक कह दिया कि या तो सरकार कार्रवाई करे, नहीं तो हम खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। मणिपुर में दो महिलाओं को बिना कपड़ों के खुलेआम परेड कराने से जुड़े वीडियो को मई की शुरुआत का बताया जा रहा है। असल समस्या ये है कि मणिपुर में जब से हिंसा की शुरुआत हुई, तब से वहां इंटरनेट बैन है। इंटरनेट बंद होने की वजह से बहुत सारी चीजें और घटनाएं मणिपुर से बाहर नहीं आ पा रही हैं। मणिपुर की सरकार इन घटनाओं को रोकने में असफल हुई। अभी प्रदेश सरकार बहुमत के लाइन पर काम कर रही है। सरकार की जो ड्यूटी होती है, वो प्रदेश के हर नागरिक की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होता है, चाहे वो मेजॉरिटी ग्रुप से हो या फिर माइनॉरिटी ग्रुप से। प्रदेश में एन बीरेन सिंह की सरकार ठीक इस हिंसा पर काम नहीं कर पा रही है। केंद्र सरकार की ओर से भी हिंसा को रोकने के लिए कुछ ख़ास नहीं हो पा रहा।
मणिपुर में हिंसा शुरू हुए ढाई महीने से ज्यादा हो गया है। आज भी वहां हालात स्थिर नहीं है। फायरिंग और मर्डर की घटनाएं आज भी हो रही हैं। मणिपुर में जो भी हो रहा है, वो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
मणिपुर हिंसा के कारण
मणिपुर में अभी जो भी हालात हैं, उसकी पूरी तरह से जिम्मेदारी मेजॉरिटेरियन पॉलिटिक्स की तरफ ही जाता है। मणिपुर में मैतेई समुदाय एसटी स्टेटस की मांग कर रहा है। मणिपुर में जो माइनॉरिटी ग्रुप है वो मैतेई है। कुकी या नागा जैसे दूसरे ट्राइबल ग्रुप भी हैं जो माइनॉरिटी में हैं। मैतेई ज्यादातर मैदानी इलाकों में रहते हैं और बाकी आदिवासी समुदाय पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।अगर मैतेई समुदाय को एसटी स्टेटस मिल जाता है तो उनकी पहुंच पहाड़ी इलाकों में बढ़ जाएगी। यही वजह है कि यहां के आदिवासियों का कहना है कि अगर मैतेई समुदाय को भी एसटी बना दिया तो उनके रोजगार से लेकर कई आयामों पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए वे सब इसका विरोध कर रहे हैं। हिंसा का एक कारण ये बताया जा रहा है।
हिंसा में शामिल और पीड़ित कुकी नाम का जो ग्रुप बताया जा रहा है, वे हमेशा से ही टारगेट पर रहे हैं। ये सिर्फ़ मणिपुर की बात नहीं है, उत्तर-पूर्व के हर राज्य में माइनॉरिटी टारगेट पर होते हैं। एक नैरेटिव तैयार कर फैलाया जाता है कि माइनॉरिटी ग्रुप के लोग हमारे ऊपर अटैक कर रहे हैं।
मैतेई ये बता रहे हैं कि हमें कुकी से खतरा है, कुकी स्टेट को टेकओवर कर रहा है, इस तरह की बातें फैलाई जा रही है। ये बात फैलाई जा रही है कि कुकी बाहरी हैं, कुकी के साथ ऐसा पहले से भी होते आ रहा है। अब उन पर अटैक की तीव्रता बढ़ गई है, इस मामले में सरकार को पहले ही हस्तक्षेप करके मामले को शांत करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिससे हालात और बिगड़ते गए।
समाज में विभाजन पैदा करके हम किसका भला करना चाहते हैं, इस पर सोचने की जरूरत है। 21वीं सदी में हमें प्रोग्रेस के बारे में सोचना चाहिए। हमें हर नागरिक के अधिकारों के बारे में सोचना चाहिए, ऐसा न करके अगर हम सिर्फ कम्युनल लाइन पर बात करेंगे, तो इससे देश या प्रदेश का भला नहीं होने वाला है। मैं सिर्फ मैतेई के लिए बात करूंगा, कुकी को कोई तवज्जो ही नहीं दूंगा, इस तरह के नैरेटिव को लेकर बिल्कुल सहमत नहीं होना होगा। ये सब 21वीं सदी की बातें नहीं है, ये तो असभ्य, बर्बरतापूर्ण काल की सब बातें हो गई। सरकार को ये समझना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा मुद्दा है।
मानव अधिकारों का उल्लघंन
मणिपुर में इतने सारे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले हो रहे हैं, जिसका अंदाजा भी हम नहीं लगा सकते। ये वीडियो जो वायरल हुआ है, वो ढाई महीने पहले का है, तो इसी से समझ सकते हैं कि मणिपुर में कितनी सारी घटनाएं हुई होंगी। मणिपुर हिंसा को लेकर मुख्यधारा की मीडिया भी कितनी बात कर रही है, ये भी देखिए। अभी मणिपुर के लोग जो झेलने के लिए मजबूर हो रहे हैं, उनके बारे में कौन सवाल उठाएगा, मीडिया से जुड़े लोगों को ये समझना होगा।
ढाई महीना होने के बावजूद मणिपुर में हिंसा नहीं रुक रही है, इसकी मुख्य वजह सरकार की अक्षमता है। जो हिंसा कर रहे हैं, अगर सरकार उन लोगों को, ये सोचे बिना कि वे किस समुदाय से हैं, गिरफ्तार करती , कार्रवाई करती तो अब तक ये हिंसा रुक जाती। जिस तरह का वीडियो अब सामने आया है, वो बहुत ही भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण है। ये दर्शाता है कि समाज कितना नग्न हो चुका है, समाज की मानसिकता कितनी गिर चुकी है, ये घटना यही दर्शाता है। भीड़ के सामने ऐसा हो रहा तो मैं यही कहना चाहूंगा कि एक समाज के तौर पर हम सभी को ऐसी घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी लेनी होगी।
1 Comment
Apki …media coverage… truly h