इटारसी: विगत दिनों प्राइवेट स्कूलों के संगठन ने स्कूल बंद का आवाहन प्रदेश स्तर पर किया था। जिसके अंतर्गत एक दिन का पूर्णत: स्कूल बंद करने का प्रावधान रखा गया था। इन प्राइवेट स्कूलों ने खुल्लम-खुल्ला शिक्षा के नियमित अधिकारों का हनन किया है। जिसके कारण इन प्राइवेट स्कूलों ने तिमाही परीक्षा के दौरान कई हजारों बच्चों को परीक्षा से एक दिन के लिए वंचित रखा। प्रदेश का शिक्षा विभाग इस स्कूल बंद को तमाशे के रूप में देखकर अपनी भूमिका निभा रहा है। क्या आंदोलन का यह तरीका सामाजिक रूप से रचनात्मक है ? जिसमें विद्यार्थियों को स्कूली शिक्षा से वंचित रखकर उनको अनचाही सजा दी जावे और अपनी मांगों को मनवाने का नकारात्मक दवाब प्रशासन पर बनाया जा सके।
सवाल हैं क्या कोई भी स्कूल संचालक जब मन चाहे स्कूल बन्द कर सकता हैं?
प्राइवेट स्कूल संगठन अपनी मांगे बनवाने की और कई तरीके अपना सकता था जिससे कि बच्चों को शिक्षा से वंचित न रखा जा सके, किन्तु इन प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा अधिनियम के नियमितकरण को तोड़ते हुए इसका खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया गया है। मध्य प्रदेश के राज्य शिक्षा केंद्र एवं लोक शिक्षण संचालनालय विभाग प्राइवेट स्कूलों के बंद होने की घटना पर चुप्पी साधे हुए मौन बैठा हुआ हैं। यदि स्कूल बंद पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो ऐसे में प्राइवेट स्कूल कभी भी बंद हो सकते हैं एवं प्राइवेट स्कूल संचालक अपना स्कूल कई दिनों बंद रख सकता हैं । इस विस्मयकारी घटनाओं को रोकने हेतु शिक्षा विभाग प्रशासन को आगे आना होगा एवं तत्परता दिखाकर इन आंदोलन द्वारा बंद प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी होगी ताकि आगे से यह गलती दुहराई नहीं जावे।
नर्मदापुरम जिला शिक्षा अधिकारी एस पी एस बिसेन का अभिमत
राज्य शिक्षा केंद्र एवं लोक शिक्षण संचालनालय विभाग भोपाल से विधि मत नियमों का संज्ञान लेकर इन एक दिन के बंद स्कूलों पर कार्यवाही की जाएगी।