हरदा / डॉ. आकांक्षा बघेल ने बताया कि मैं इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन की पहल समरक्षण की राष्ट्रीय संयोजक हूँ, फ़िलहाल बघेल हॉस्पिटल एवं रिसर्चसेण्टर हरदा एवं बघेल पालीक्लिनिक सिवनी मालवा की सह- संचालिका और कंसलटेंट रेडियोलाजिस्ट के रूप में अपनी चिकित्सकीय सेवाएं दे रहीं हूँ। बतौर एक रेडियोलाजिस्ट मैं भारत में प्रसवकालीन मृत्युदर को कम करने के लिए भारतीय रेडियोलॉजिकल और इमेजिंग एसोसिएशन कार्यक्रम – संरक्षण के माध्यम से विभिन्न स्तरों पे कार्यरत हूँ। चूँकि 22 मई पूरे विश्व में प्रीक्लैम्प्सिआ अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। प्रीक्लैम्प्सिआ यानि गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर का बढ़ना और उसके बाद होने वाली शारीरिक और मानसिक जटिलताएं ये एक बहुत गंभीर विषय है, भारत में मातृ और शिशु मृत्युदर अधिक होने के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। इसी विषय में एक गर्भवती महिला के प्रश्नो का समाधान करते हुए बातचीत केजो अंश हैं उसके महत्वपूर्ण पहलु मैं आज आपसे साझा करना चाहती हूँ।
मेरी फ़िलहाल 12 हफ़्ते की गर्भावस्था है, मेरे डॉक्टर के मुताबिक मुझे प्रीक्लेम्पसिया होने की ज्यादा संभावना है. ये प्रीक्लेम्पसिया क्या है?
इस सवाल पर बताया कि —
सबसे पहले तो आपको मातृत्व सुख के लिए बधाई और सुरक्षित और खुशहाल मातृत्व की शुभकामनायें……
जैसा कि आपने पूछा इसके लिए परेशान होने की ज़रूरत बिल्कुल नहीं है… यदि डॉक्टर का कहना है कि आपको प्रीक्लेम्पसिया होने की संभावना है तो इसका मतलब ये हुआ कि फिलहाल तो आपको प्रीक्लेम्पसिया नहीं है, और ये ज़रूरी भी नहीं कि जिन भी महिलाओं को इसकी संभावना है उनको प्रीक्लेम्पसिया हो ही…. लेकिन जागरूकता और नियमित जांचों से वाक़ई बहुत हद तक मदद मिलती ही है….
गर्भवती महिला ओं को हाई ब्लड प्रेशर या कहें उच्च रक्तचाप होने की संभावनाएं होती है… प्रीक्लेम्पसिया तब परिभाषित होता है जब किसी भी सामान्य ब्लड प्रेशर वाली महिला को गर्भावस्था के लगभग बीसवें हफ़्ते के बाद हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आने लगे। पेशाब की जांच में प्रोटीन हो सकता है……शरीर के अंगों में सूजन आ सकती है….. यहाँ तक कि किडनी जैसे अंग भी प्रभावित हो सकते हैं….. देखिये सामान्य तौर पर भी गर्भावस्था के दौरान शरीर में कुछ सूजन आ जाती है… तो इसका ये मलतब बिल्कुल नहीं है कि इसका संबंध प्रीक्लेम्पसिया से हो। प्रीक्लेम्पसिया कभी भी हो सकता है जल्द से जल्द 5 महीने और ज्यादा से ज्यादा आठवें या नौवे महीनें….यहाँ तक कि प्रसव के पहले या डिलीवरी केअड़तालीस घंटे बाद भी।
क्या इसमें ख़तरा है ? क्या इससे मेरे और मेरे बच्चे के स्वस्थ्य में कोई असर पड़ सकता है?
देखा जाए तो गंभीर परिणाम छोटे या बड़े स्तर पर भी आ सकते हैं…. हाँ, प्रीक्लेम्पसिया आपकेऔर पल रहे बच्चे दोनों के स्वास्थ को प्रभावित कर सकता है। उचित और समयानुसार इलाज न लेने पर इससे गर्भपात की संभावना के साथ ही माँ की जान को ख़तरा भी हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण कारण है की आप डॉक्टर के संपर्क में लगातार रहें और नियमित ब्लड प्रेशर नपवाते रहें।
यदि बताये गए इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण आपको महसूस होते हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने की आवश्यकता है जैसेकि…..
छाती में दर्द, पेट में दर्द, सिरदर्द, चक्कर आना
ज़रूरत से ज़्यादा थकान का महसूस होना
पहले से ज़्यादा उल्टियांऔर जी मचलाना
हाथों और पैरों में सूजन
नाक या मसूडों से खून का बहाव
अचानक 1 या 2 दिनों में ही वजन बढ़ जाना (जो कि शरीर में सूजन आने से होता है)
पिशाब का कम या बिल्कुल न बनना
धुंधला दिखना या आँखें चौन्धियानां
ये सभी खतरे के संकेत हैं इसलिये इन के बारे में आपका जागरूक होना ज़रूरी है….
रही बात पल रहे बच्चे की….की उसे क्या हो सकता है….. ? अगर आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो ये आपके बच्चे के विकास को भी प्रभावित कर सकता है. बच्चाअनुमान से कम वजन का हो सकता है….और प्रीक्लेम्पसिया के चलते ये भी संभावना है कि वो समय से पूर्व ही पैदा हो जाये। और इसकेअलावा बच्चे में कुछ स्वास्थ्य संबंधी जटिलता ओं के भी जो बाद में दिखाई पड़ती हैं जैसे की अल्पबुद्धि होना, झटके आना, सुनने और दिखाई देने से संबंधित समस्याएं और सेरिब्रल पाल्सी जैसी बीमारियां जिसमे शारीरिक गतिविधि और मांसपेशियों के समन्वय में बाधा होती है जो कि पल रहे बच्चे के विकसित होते हुए दिमाग़ में किसी क्षति के कारण पैदा होती है.
प्रीक्लेम्पसिया के कारण प्लेसेंटा या आवल अचानक बच्चादानी से अगल भी हो सकती है यदि ऐसा बाद के कुछ महीनों में होता है तो बच्चे के गर्भ में ही शांत होने की संभावना भी बनी रहती है.
मुझे अभी तो प्रीक्लेम्पसिया नहीं है , फिर डॉक्टर कैसे कह सकते हैं कि बाद के महीनों में मुझे होने की संभावना है? डॉक्टर को ऐसा क्यों लगा?
बहुत से ऐसे तथ्य होते हैं जो ये इंगित कर सकते हैं कि किसी भी महिला को गर्भावस्था के आने वाले महीनों में प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है या नहीं….
डॉक्टर दी गयी जानकारी के आधार पे पड़ताल करेंगे कि …
कहीं आप किशोरावस्था में तो नहीं या उम्रदराज़ तो नहीं जिनमें अमूमन प्रीक्लेम्पसिया ज्यादा देखा गया है.
किसी विशेष प्रजाति से तो नहीं हैं जिनमें प्रीक्लेम्पसिया ज्याद पाया जाता है….
क्या ये आपकी पहली प्रेग्नेंसी है…
बच्चों में अंतर कहीं 2 वर्ष से कम का या 10 वर्ष से अधिक का तो नहीं….
गर्भधारण करने से पहले ही उच्च रक्तचाप से पीड़ित तो नहीं।
पहले की किसी भी प्रेगनेंसी में प्रीक्लेम्पसिया हुआ था क्या।
आपकी खुद की माँ याआपकी बहन को गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया तो नहीं हुआ .
आपका वजन कहीं जरुरत से ज्यादा तो नहीं।
जुड़वा बच्चे होने की स्थिति में भी इसकी संभावना कुछ हद तक होती है।
ईवीएफ प्रेगनेंसी (टेस्ट ट्यूब प्रेग्नेंसी)
मधुमेह , गठिया किडनी या जोड़ो की कोई जन्मजात बीमारी….
तो इन सभी बातों से इस प्रेग्नेंसी में प्रीक्लेम्पसिया होने या न होने की संभावना का एक मोटा अनुमान लग जाता है।
इनके अलावा डॉक्टर कुछ जाँचे भी करते हैं । आपका ब्लड प्रेशर नापा जाएगा, बैठे हुए और एक साथ दोंनो हाथों का। डॉक्टर सोनोग्राफी की डॉप्प्लर स्टडी के माध्यम से आपकी बच्चादानी में खून की पर्याप्त मात्रा पहुँच पा रही है या नहीं इसका भी पता लगाएंगे क्योंकि खून का गर्भाशय या बच्चादानी में सामान्य से कम मात्रा में प्रवाह भी प्रीक्लेम्पसिया होने का एक महत्वपूर्ण कारण होता है।
डॉक्टर इन सभी जानकारियों को इकठ्ठा करके विशेष प्रकार के गणितीय आंकलन द्वारा एक रिस्क वैल्यू निकालते हैं जो कि ये बता सकती है कि इस पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको प्रीक्लेम्पसिया होने की कितनी संभावना है. यदि
आंकिक विश्लेषण या कहें हाई रिस्क वैल्यू से प्रीक्लेम्पसिया होने की संभावनाआपमेंअधिक आयी है तो आप के डॉक्टर आपको रात में रोज़ाना लोडोज़ एस्पिरिन (150 एम जी) लेने की सलाह भी दे सकते हैं। लेकिन जब तक डॉक्टर सलाह न दे कोई भी दवाई अपने मन से न लें। ये बात ध्यान में रखना जरूरी है कि एस्पिरिन तभी कारगर होती है जब प्रेग्नेंसीय के शुरुआती महीनों में ही ली गयी हो।
जब भी डॉक्टर बोलते हैं कि आपको प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है, वो एक मोटा-मोटा अनुमान बताते हैं उन संबंधित जानकारियों से जोआपने बताई और कुछ जांचों के परिणाम के आधार पर । लेकिन जो हाई रिस्क वैल्यू आती है उसमें बच्चादानी में खून की मात्रा का कितना प्रवाह है इसकी भी भागेदारी होती है जो की बहुत जरूरी है और ये भी जानना जरूरी है कि ये विश्लेषण प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों या ने 11 से 14 हफ़्ते के बीच कराया जाए तो बेहतर होगा।
क्या इसका कोई इलाज़ है? क्या किसी भी प्रकार से प्रीक्लेम्पसिया से बचाजा सकता है?
देखिये अगर आपको प्रीक्लेम्पसिया हो चुका है तो ये डिलीवरी के बाद ही जाता है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान आपका ब्लड प्रेशर और संबंधित लक्षणों को सामान्य रख कर बहुत हद तक सहायता की जा सकती है।
प्रीक्लेम्पसिया से संबंधित लक्षणों के बारे में जानकर और डॉक्टर से नियमित परामर्श लेकर आप बहुत हद तक ख़ुद की मदद कर सकती हैं । प्रीक्लेम्पसिया का जितने जल्दी पता लगता है उससे इसके कारण पूरी प्रेग्नेंसी में माँ और पल रहे बच्चे को होने वाले संभावित सम्स्या ओं से बचाया जा सकता है या बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान यदि बिना किसी सांकेतिक खतरे के अगर आपको नाम मात्र का प्रीक्लेम्पसिया है तो आपके डॉक्टर निम्न बातों की सलाह दे सकते हैं जैसे
पूर्ण आराम ( घर या अस्पताल में तात्कालिक परिस्थिति के अनुसार)
नियमित और जरूरी सोनोग्राफीऔर बच्चे की धड़कन देखने संबंधित जाँचे
आपका ब्लड प्रेशर सन्तुलित कर पाने के लिए जरूरी इलाज़ और दवाएं
खून और पिशाब की प्रीक्लेम्पसिया से संबंधित जाँचे।
सवाल – मेरे डॉक्टर ने मुझे रोजाना सोते समय एस्पिरिन की गोलियां लेने की सलाह दी है। वैसे तो मैं स्वस्थ महसूस करती हूं फिर मुझे टैबलेट क्यों लेनी चाहिए?
जवाव – जैसा कि आपको एस्पिरिन लेने की सलाह दी गई है, इसका मतलब है कि आपका 11-14 सप्ताह का स्कैन ठीक से हुआ है। और इसके अनुसार आपको प्रीक्लेम्पसिया होने की संभावना औरों से अधिक है। अध्ययनों और शोध कार्यों में पाया गया है कि यदि इस संबंध में आप अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई गोली को लेतीं हैं , तो प्री-एक्लेमप्सिया होने की संभावना 60 से 80% तक कम हो जाती है और इस तरह पल रहे बच्चे पर होने वाले कुप्रभावों को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
सवाल – क्या ये टैबलेट मेरे या मेरे बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी?
नहीं, इससे आपके स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जबाब / गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद भी। लोडोज़ एस्पिरिन के उपयोग के साथ रक्तस्राव संबधि जटिलता ओंमें भी कोई वृद्धि नहीं होती है।
आपके बच्चे पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपके शिशु में कोई असामान्यता नहीं होगी।
मेरी सहेली भी 11 हफ़्ते की गर्भवती है, क्या मुझे उसको भी जांच के लिए बताना चाहिए ?
बहुत ख़ुशी हुई कि आपने ये बात पूछी भी। अच्छा होगाअगर हमारे बीच आज जो भी बातचीत हुई वो आप उनसे जाकर कहें और उन्हें 1 या 2 हफ़्ते केअंदर ही डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दें। वैसे भी सभी गर्भवती महिला ओं को प्रेग्नेंसी के 11 से 14 हफ़्ते के बीच में एक बार परामर्श लेना ही चाहिए । आपकी सहेली को भी डॉक्टर सेअपनी किसी भी तात्कालिक या पुरानी बीमारी और उससे संबंधित इलाज़ के बारे में जानकारी देनी चाहिए साथ ही अपनी पिछली माहवारी की जानकारी भी। इन सब से डॉक्टर को पता लगाने में आसानी होती है कि उसे प्रीक्लेम्पसिया होने की संभावना है भी या नहीं।