अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष उस्मान गनी का निष्कासन! कहीं ‘‘सेल्फ गोल’’ तो नहीं?
राजीव खंडेलवाल
(लेखक, कर सलाहकार एवं पूर्व बैतूल सुधार न्यास अध्यक्ष हैं)
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Date:-25.04.2024 सेल्फ गोल में कांग्रेस विशेषज्ञ होकर अग्रणी।
वैसे जब भी राजनीति में सेल्फ (आत्मघाती) गोल की बात आती है, तो सामान्य व प्राकृतिक रूप से राजनेताओं से लेकर आमजनों का ध्यान कांग्रेस व उनके नेताओं के बयानों की ओर सहज ही आकर्षित हो जाता है। ‘‘राजनीति के खेल के मैदान’’ में कांग्रेस ने यदि किसी क्षेत्र में ‘‘विशेषज्ञता’’ प्राप्त की है, खासकर राहुल गांधी के वर्ष 2014 से लेकर 2024 तक की कांग्रेस में, तो वह खेल का क्षेत्र ‘‘आत्मघाती गोल’’ ही रहा है, जिस कारण से कांग्रेस पिछले 10 सालों में राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तरों पर बुरी तरह से असफल हो रही है। बड़ा ‘‘गोल पोस्ट’’ निश्चित कर अपनी ही ‘‘स्टिक’’ से उसे गिरा देना कांग्रेस की प्रवृत्ति हो गई है। पिछले 10 सालों में 600 से अधिक विधायक, सांसद वर्तमान एवं पूर्व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का एक कारण कांग्रेस का आत्मघाती गोल मारना भी है।
*राहुल गांधी का बयान ‘‘अमर्यादित’’।*
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के सोलापुर में जिस तरह से अपने भाषण में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए जो शब्दों का चयन कर उच्चारण किया है, निश्चित रूप से वह इस बात पर प्रश्न चिन्ह लगाता है कि राहुल गांधी कहां तक पढ़े हैं? किस स्कूल में पढ़े है? प्रधानमंत्री की डिग्री पर उंगली उठ़ाते हुए कांग्रेस पार्टी जिसके नेता राहुल गांधी की डिग्री सही होगी, परन्तु निश्चित रूप से ज्ञान-विज्ञान बहुत ही कमजोर, अनपढ़ अपरिपक्व व अमर्यादित है। ‘‘डिग्रीधारी’’ हो जाने से आदमी शिक्षित व ज्ञानी नहीं हो जाता है। राहुल गांधी के सोलापुर भाषण से तो यही बात सिद्ध होती है। फायरब्रांड नेत्री सुश्री उमा श्री भारती को ही देख लीजिए। वह कहां तक पढ़ी लिखी है? परंतु उनके पास ज्ञान का अपार भंडार, हिंदी, संस्कृत अंग्रेजी भाषा पर समान कमांड व वाणी-वचन में जबरदस्त सम्मोहन शक्ति है जिसका कोई मुकाबला नहीं है। जिस तरह से तू तड़ाक से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा ‘‘नरेन्द्र मोदी कांपने लगा! उसकी आदत है, जैसे ही ड़र लगता है वो झूठ बोलना शुरू कर देता है। जैसे ही उसको ड़र लगता है वो कभी पाकिस्तान की बात करेगा, कभी चीन की बात करेगा, तो एक के बाद एक झूठ बोल रहा है, मगर इस बार नहीं निकल पाएगा’’।
*उस्मान गनी का निष्कासन गलत।*
परंतु बात फिलहाल अभी राजस्थान भाजपा प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत द्वारा प्रधानमंत्री की मुसलमान समाज को तथाकथित रूप से घुसपैठियां कहने के बयान की आलोचना करने पर बीकानेर जिले के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष उस्मान गनी के विरुद्ध की गई निष्कासन की कार्रवाई पर कर ले। न्यूज 24 के प्रसिद्ध बहुप्रचारित ‘‘माहौल है क्या’’ के संवाददाता राजीव रंजन द्वारा प्रधानमंत्री के घुसपैठियां कहने के कथन पर पूछे गये प्रश्न के उत्तर में उस्मान गनी ने कहा कि प्रधानमंत्री का बयान बहुत ही बेहूदा है और वह हमारे समाज की भावनाओं को आहत करता है। उस्मान गनी ने राज्य में चुनावी रैलियों के दौरान मुसलमानों के संबंध में की गई मोदी की टिप्पणियों की निंदा की। गनी ने कहा कि एक मुस्लिम होने के नाते वह प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बातों से निराश हैं. ‘‘जब वह बीजेपी के लिए वोट मांगने मुसलमानों के पास जाते हैं, तो समुदाय के लोग पीएम की इस तरह की टिप्पणियों के बारे में बात करते हैं और उनके जवाब मांगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में जाट समुदाय बीजेपी से नाराज है।
*प्राकृतिक न्याय का पालन नहीं।*
अनुशासन समिति अध्यक्ष ओंकार सिंह ने कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना उस्मान गनी से टेलीफोन पर बातचीत कर उसे इस आधार पर पार्टी से निकाल दिया कि उसने पार्टी की नीति की खिलाफत की व छवि खराब की, जो एक सेल्फ गोल हो सकता है। पार्टी की नीतियों के विरोध करने के आधार पर निष्कासन करना राजनीतिक रूप से गलत कदम हो सकता है क्योंकि गनी ने तो प्रधानमंत्री के उस बयान की आलोचना की जहां ‘‘अधिक बच्चे वालों’’ और ‘‘घुसपैठियो’’ को मेहनत की कमाई व कीमती सामान देने की बात कही है। बाद की सभाओं में खुद प्रधानमंत्री ने अपने अगले भाषण में जरूर सुधार कर ‘‘मुसलमान’’ शब्द का प्रयोग नहीं किया।
*भाजपा का यह अधिकारिक रुख नहीं।*
भाजपा का यह आधिकारिक रुख कभी भी नहीं रहा है कि समस्त मुसलमान घुसपैठियां हैं। विपरीत इसके प्रधानमंत्री अगली सभा में ‘‘पसमांदा मुसलमान’’ की दयनीय आर्थिक स्थिति व पिछड़ेपन का जिक्र करते हैं। इसका मतलब यही है कि पिछडे, गरीब मुसलमानो को सहायता की आवश्यकता सिद्धान्त रूप से है, अर्थात पिछड़े मुसलमानों को सहायता और सामान्य रूप से उन्हें घुसपैठियां न मानने की नीति भाजपा की है। अतः उस आधार पर अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष को निष्कासित करना आत्मघाती गोल इसलिए हो सकता है कि इस निष्कासन से इसका एक अर्थ उक्त नीति जिसकी आलोचना उस्मान गनी ने की है, को भाजपा की नीति मानी जा सकती है। फलतः इस कार्रवाई से भाजपा नेतृत्व को बचना चाहिए था। खासकर अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति जिसने 20 साल पार्टी के लिए कार्य किया, विशेषकर इस स्थिति को देखते हुए कि वह पार्टी जो आंतरिक लोकतंत्र की बात करती थकती नहीं है और कांग्रेस की ‘‘हाईकमान संस्कृति’’ की कड़ी आलोचना करते हुए वहां लोकतंत्र न होने की बात करती थकती नहीं है। यदि एक मुस्लिम कार्यकर्ता जो अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहा था, की भावनाएं प्रधानमंत्री के तथाकथित बयान पर आहत हुई है, तो नेतृत्व को गनी को यह समझाना चाहिए था कि प्रधानमंत्री के बयान का वह आशय नहीं है, जो उस्मान गनी समझ रहा है।
प्रधानमंत्री के बयान का गलत अर्थ, संदर्भ।
वस्तुतः प्रधानमंत्री ने घुसपैठियां शब्द के साथ मुसलमान शब्द का उपयोग नहीं किया है। वास्तव में प्रधानमंत्री ‘‘सबका साथ सबका विकास व सबका विश्वास’’ नीति पर काम कर रहे है, जैसा कि गनी ने स्वयं भी स्वीकारा है। प्रधानमंत्री का बयान निम्नानुसार है ‘‘पहले जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करके किसको बांटेंगे, जिसके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटने, घुसपैठियों को बांटेंगे, क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये?’’ उक्त बयान में मोदी ने घुसपैठियां के पहले मुसलमान शब्द का उपयोग नहीं किया है जैसा कि गनी व समस्त विपक्षी दल सहित अंतरर्राष्ट्रीय मीडिया में भी उसे जोड़कर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। जिस प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वर्ष 2006 के भाषण और कांग्रेस के वर्तमान घोषणा पत्र में निहित भावनाओं का उल्लेख जो शब्द उनमें उल्लेखित नही थे, का प्रयोग कर कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया है, शायद वही प्रक्रिया को अपनाकर विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना कर रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा घुसपैठियों के संबंध में मुस्लिम शब्द का प्रयोग न करने के बावजूद विपक्ष यदि एक शब्द घुसपैठिया को समस्त मुस्लिमो के लिए मानकर कर आलोचना रहा है, शायद इसलिए कि ऐसा परसेप्शन बना हुआ है या बना दिया गया है, तब इसके लिए दोषी कौन? हांलाकि तीन दिन बाद ही सही चुनाव आयोग ने नरेन्द्र मोदी के उक्त बयान पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस जारी कर 29 अप्रैल तक जवाब मांगा है। चुनाव आयोग की ‘‘निष्पक्षता’’ की यह भी एक नई शुरुआत होगी.
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