नर्मदापुरम / मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर एवं उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति जबलपुर के निर्देशानुसार जेल में निरुद्ध बंदियों के स्वावलम्बन, स्वरोजगार एवं कौशल विकास योजना के आलोक में बंदियों के जीविकायापन के लिए प्रधान एवं सेशन न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नर्मदापुरम के मार्गदर्शन एवं सचिव श्रीमती शशि सिंह के नेतृत्व में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नर्मदापुरम के कार्यक्रम -रूपान्तरण (इतना तो हक़ इनका भी है ) के तहत केंद्रीय जेल, नर्मदापुरम में निरुद्ध बंदियों के स्वरोजगार एवं स्वावलंबन हेतु जेल प्रशासन एवं वन विभाग के समन्वय से बांस शिल्पकाला की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला (दिनांक 24 से 26 सितम्बर ) का शुभारंभ राष्ट्रीय कारपेंटर दिवस 24 सितम्बर को किया गया था। उक्त कार्यशाला का प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम के मुख्य अतिथ्य में कार्यक्रम रूपान्तरण का समापन दिनांक 26 सितम्बर को किया गया। उक्त कार्यशाला में प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा बताया गया कि केंद्रीय जेल नर्मदापुरम में बंदियों के हित के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया, जो भविष्य में बंदियों को स्वावलबन एवं गरिमामय जीवन जीने के लिए लाभकारी होगी। बांस से हमारे जीवन का बहुत गहरा सम्बन्ध हैं, प्राचीन काल में बांस को वंश के बराबर जाना जाता था। जिस वजह से बांस को नहीं जलाया जाता था। जेल के नियम, प्रशिक्षण एवं अनुशासन रुपी अग्नि में तपकर एक बंदी स्वर्ण के समान चमकता है एवं उसका रुपांतरण एक कुशल व्यक्ति के रुप में होता है। इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम द्वारा इस कार्यशाला की थीम “रूपान्तरण” (इतना तो हक़ इनका भी है) रखा गया। जिससे जेल में निरुद्ध बंदी जब इस कारागार से बाहर जाये तो वे आम आदमी की तरह जीवन यापन कर सके। सचिव श्रीमती शशि सिंह द्वारा भी बंदियों को स्वरोजगार हेतु स्वावलम्वन बनाने के आशय से ही कार्यशाला को आयोजित किये जाने भी अहमियत पर प्रकाश डाला। उक्त कार्यशाला में वनमंडलधिकारी मयंक गुर्जर ने बताया बांस से बनाये जाने वाली वस्तुए इको फ्रैंडली होने के साथ साथ किफायती भी होती हैं। नार्थ ईस्ट राज्यों में बांस की लकड़ी से बने सुंदर घरेलू सजावट के सामान लकड़ी से बने प्लांट होल्डर, जूट लालटेन और जूट डोरमैट बनाते हैं। इन प्रॉडक्ट को लोग पसंद भी कर रहे हैं। उक्त कार्यशाला में जिला विधिक सहायता अधिकारी अंकिता शांडिल्य द्वारा कार्यक्रम रूपान्तरण का संचालन किया गया। उक्त कार्यक्रम में बंदियों के स्वरोजगार एवं जीविकायापन हेतु तीन दिवसीय कार्यशाला में बहुमूल्य योगदान हेतु प्रशिक्षक जिला हरदा से सुनील कुमार गौर एवं रोहित कनेरिया को प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया।
उक्त प्रशिक्षण कार्यशाला का आभार जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी द्वारा किया गया। उक्त कार्यशाला में श्रीमती शशि सिंह सचिव / जिला न्यायाधीश, मयंक गुर्जर वनमंडल अधिकारी, अंकिता शांडिल्य जिला विधिक सहायता अधिकारी, संतोष सोलंकी जेल अधीक्षक, रितुराज दांगी डिप्टी जेलर, अनंत तिवारी, मंगल सिंह परिहार लीगल ऐड डिफेन्स कॉउंसल सहित बंदीगण उपस्थित रहे।
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