नर्मदापुरम / नगर में सवा सौ वर्षों से परम्परागत रूप से प्रतिवर्ष हो रहे श्री रामलीला महोत्सव का गौरवशाली आयोजन प्रारम्भ हुआ। शुक्रवार को घट स्थापना एवं मुकुट पूजन से विधिवत प्रारंभ हुआ , जिसमें बड़े श्रीराम मंदिर में दोपहर में अनुष्ठान के अंतर्गत जब तक लीला चलेगी तब तक के लिए घट की स्थापना की गई है। श्रीराम , लक्ष्मण , जानकी , भरत एवं शत्रुघ्न के पात्रों के द्वारा पूजा अर्चना की गई। पश्चात उक्त पात्रों द्वारा सेठानी घाट एवं दशहरे मैदान पर जाकर स्टेज की पूजा की गई , माँ नर्मदा मंदिर के सामने सेठानी घाट स्थित पर बनाए गए भव्य मंच से शंकर विवाह एवं नारद मोह की लीला का प्रभावी मंचन किया गया । श्री रामलीला के प्रथम दिवस बरसात की झिलमिल फुहारों में भगवान शंकर के विवाह की प्रासंगिक की प्रस्तुति की गई। पश्चात नारद मोह की लीला में यह बताया गया कि देवर्षि नारद के मन में इंद्र के आसन को पाने की इच्छा जाग उठती है वह घोर तपस्या में लीन हो जाते हैं देवर्षि की तपस्या से इंद्र और देवता को भय लगता है तथा उनकी तपस्या भंग करने के लिए इंद्र अपने मंत्री कामदेव को भेजते हैं कामदेव के असफल हो जाने से देवर्षि नारद में अहंकार उत्पन्न होता है। भगवान विष्णु नारद के इस अहंकार को समाप्त करने के लिए उन्हें वानर का रूप दे देते हैं और स्वयं आपकी अपनी इच्छा अनुसार नारद के दिए गए श्राप को स्वीकार कर त्रेता युग में मनुष्य अवतार लेने का लेने की इच्छा करतें हैं । लीला में अरुण तिवारी ने नारद, प्रतीक दुबे ने विष्णु , संपूर्ण चतुर्वेदी ने लक्ष्मी , ऋषि ने विश्व मोहिनी , विनोद परसाई ने ब्रह्मा , परसाई ने इंद्र , दीपेश व्यास ने शंकर का अभिनय किया। दिनांक 10 अक्टूबर मंगलवार को श्री राम जन्म की लीला की प्रभावी प्रस्तुति का मंचन किया जावेगा ।
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