टीकमगढ़ । प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि अध्यक्ष जन भागीदारी समिति, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. इंद्रजीत जैन, विशेष अतिथि वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.ए.बी.खरे थे। अध्यक्षता संस्था के प्राचार्य डॉ.के.सी. जैन ने की। सबसे पहले मुख्यमंत्री का सांदीपनि विद्यालय भोपाल से सीधा प्रसारण कार्यक्रम जूलॉजी विभाग में समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थियों ने लाइव सुना। उक्त कार्यक्रम के बाद अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं पूजन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। तत्पश्चात अतिथियों का शाल, श्रीफल एवं पुष्प माला से तिलक लगाकर स्वागत किया गया। स्वागत भाषण भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ.सिद्धनाथ खजूरिया ने दिया। मुख्य अतिथि ने कहा कि पूर्ण गुरु मां है क्योंकि बच्चा सर्वप्रथम मां से ही सीखता है उसके बाद उसके द्वितीय गुरु पिता है जो उसका पालन पोषण करते हैं एवं उसके तीसरे गुरु उसके शैक्षिक अध्यापक है जो उसे जीवन का सही रास्ता बताते हैं अतः जीवन में इन तीनों का सम्मान करना ही शिष्य का नैतिक धर्म है। डॉ. इंद्रजीत जैन ने कहा कि जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका उसका जीवन शुरू नहीं। असली पूंजी भौतिक संपदा नहीं है अपितु अभिभावकों द्वारा दिया गया नैतिक ज्ञान ,चारित्रिक विज्ञान है जिसके बलबूते व्यक्ति अपने जीवन में संघर्षों को पार करते हुए आगे बढ़ता चला जाता है। गुरु वह शख्सियत है जो खुद तप कर अपने तप का अंश शिष्य में लगाते हैं। गुरु सदैव अपने शिष्य को स्वयं से आगे ऊंचाइयों पर देखना चाहते हैं। रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद जैसे शिष्य का ऐसा निर्माण किया कि वह युवाओं के आदर्श बन गए। गुरु कभी किसी शिष्य का अहित नहीं चाहता। सही दिशा एवं लक्ष्य तय करें शिष्य तो एक दिन वह जरूर ऊंचाइयों को प्राप्त करता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. कै.सी. जैन ने कहा की शिक्षक, अध्यापक सदैव अध्ययनशील होता है वह नित नूतन नए कौशल का नवाचार करके छात्र को जमाने के हिसाब से जीने की हुनर सिखाता है। अतः गुरु बनना भी कोई सरल काम नहीं है, क्योंकि सबसे पहले तो मनुष्य जीवन प्राप्त होना ही कठिन है ओर उसमें भी गुरु पद प्राप्त हो जाए यह यह तो और कठिन है वैसे ही शिष्य को भी शिष्यत्व धारण करना कठिन है। एक सच्चा शिष्य वही है जो अपने गुरु के प्रति श्रद्धा ,समर्पण, त्याग एवं सर्वस्व न्योछावर करने की भावना रखता हो। कार्यक्रम का संचालन गणित विभाग के अतिथि विद्वान डॉक्टर नरेंद्र तिवारी ने किया। आभार जूलॉजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.आस्था द्विवेदी ने माना। इस अवसर पर डॉ. शशीप्रभा जैन, डॉ. आई.पी.एस गहरवार,डॉ.वी.एस. शाक्य,डॉ. राजेश कुमार सैनी,डॉ.मुकेश कुमार अहिरवार, डॉ.राम मनोहर अहिरवार, डॉ.रूपेश लुहारिया डॉ.अखिलेश अहिरवार डॉ.धनीराम अहिरवार डॉ.दीपिका स्वर्णकार डॉ.जितेंद्र सिंह डॉ. ज्योति पटेल डॉ. बीना गुप्त, डॉ. तेज प्रताप तिवारी,डॉ.स्तुति झा, डॉक्टर प्रियंका दांगी डॉ.राजकुमार ठाकुर सहित महाविद्यालयीन कर्मचारीगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।