भोपाल : केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मुख्य आतिथ्य एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में लाल परेड ग्राउंड, भोपाल में रिमोट के माध्यम से मेडिकल पाठ्यक्रम की प्रथम वर्ष की हिंदी की पुस्तकों का विमोचन किया गया । इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग उपस्थित थे । चिकित्सा शिक्षा में हिंदी माध्यम का ऐतिहासिक नया अध्याय आज से प्रारंभ हुआ । चिकित्सा शिक्षा में हिंदी के विकास एवं उत्थान में पहल करने वाला मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया ।
शिक्षा में क्रांतिकारी कदम है हिंदी में चिकित्सा पाठ्यक्रम
हितानंद शर्मा, संगठन महामंत्री, भाजपा मप्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक ट्वीट में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के संबंध में लिखा था- ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति से प्रेरणा लेते हुए अब सभी तकनीकी शिक्षा के विषयों को मातृभाषा में पढ़ाने की कोशिश की जाएगी, इंजीनियरिंग व चिकित्सा सहित और अब मध्यप्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार व ऐतिहासिक पहल कर एमबीबीएस हिंदी माध्यम में आरंभ करने वाला देश का पहला राज्य होने जा रहा है। इस शैक्षणिक अनुष्ठान में शासन की मंशा, योग्य शिक्षाविदों का परिश्रम व प्रधानमंत्री का स्वप्न साकार होने जा रहा है तो इस अभूतपूर्व पहल पर वैश्विक परिदृश्य में स्वागत के साथ साथ गंभीर चिंतन अवश्य होगा।
भारतीय शिक्षा पद्धति के अंतर्गत उच्च शिक्षा प्रणाली में मातृभाषा व भारतीय भाषाओं को वह महत्व नहीं मिला जिसकी वह पात्र हैं। सामान्यतः सीखने-सिखाने की प्रक्रिया एक विदेशी भाषा के ही अधीन रही है। किंतु नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने एक बड़े बदलाव का शुभारंभ किया है। वर्तमान समय में यह आवश्यक हो गया है कि हम उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को महत्व देने जा रहे हैं ।
वर्तमान शिक्षा नीति अनुशंसा करती है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा अथवा स्थानीय भाषा का उपयोग करना चाहिए अथवा द्विभाषी पाठ्यक्रम चलाने चाहिए। जिससे यह अधिकतम छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान करने में सहायक होगा, जिससे उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि करेगा। इससे सभी भारतीय भाषाओं की सामर्थ्य उपयोगिता बनी रहेगी। जब यह बात राष्ट्रीय स्तर से आरंभ होगी तो निश्चित रूप से निजी संस्थान भी भारतीय भाषाओं को शिक्षा के माध्यम के रूप में उपयोग करने अथवा द्विभाषी पाठ्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रेरित होंगे।
यह अभिनव प्रयोग सुनिश्चित करेगा कि शासकीय व निजी संस्थानों में कोई अंतर नहीं है। शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम, चार वर्षीय बैचलर ऑफ एजकेशन की दोहरी डिग्री भी द्विभाषी होगी। इससे सभी विषयों के शिक्षकों के संवर्गों के प्रशिक्षण में आसानी होगी। विज्ञान गणित के शिक्षक भी द्विभाषी दृष्टिकोण अपनाएंगे। अनुशंसाओं को अनुपालन में लाने के लिए पाठ्यपुस्तकों, कार्यपुस्तिकाओं, वीडियो, नाटकों, कविताओं, उपन्यासों और पत्रिकाओं सहित भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण और प्रिंट सामग्री विकसित की जाए। मध्यप्रदेश में इसी उद्देश्य को लेकर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी विषय की हिंदी वर्जन पुस्तकों को प्रारंभ किया गया है ।