नर्मदापुरम / ज्ञान परंपरा का आधार भाषा है और ज्ञान वही शोभा देता है जो उसे देश की संस्कृति से पोषित हो, उक्त उद्गार भारतीय शिक्षण मंडल के 56 वे स्थापना दिवस के अवसर पर शासकीय गृह विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित भारतीय शिक्षण मंडल के स्थापना दिवस के अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर कामिनी जैन ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का प्रारंभ संगठन गीत से हुआ जिसे भोपाल से आए शेखर कराडकर ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. संतोष व्यास , विभाग संयोजक, संस्कृत भारती नर्मदा पुरम, विशिष्ट अतिथि पंडित अजय दुबे , सारस्वत वक्ता डॉक्टर परिमला कुलकर्णी तथा अध्यक्ष डॉक्टर कामिनी जैन द्वारा मां सरस्वती तथा भारत माता के चित्र पर माला पहनाकर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। अतिथियों के सम्मान के पश्चात भारतीय शिक्षण मंडल की सह प्रांत मंत्री प्रीति देवासकर ने ध्येय मंत्र तथा ध्येय वाक्य का वाचन किया एवं भारतीय शिक्षण मंडल का परिचय एवं उसके उद्देश्यों को विस्तार से बताया। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ. संतोष व्यास ने अपने उद्गार में कहा कि ज्ञान वही श्रेष्ठ होता हैजिसकी जड़े उस देश की संस्कृति एवं परंपराओं से जुड़ी होती है। ऐसी शिक्षा श्रेष्ठ शिक्षा होती है और इस शिक्षा से जो पीढ़ी तैयार होती है वही देश को आगे ले जाती है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पंडित अजय दुबे ने अपने उद्गार में कहा कि संस्कृत संस्कृति समाज और शिक्षा यही किसी भी राष्ट्र के निर्माण के आधार स्तंभ है। आधार जितना मजबूत होगा राष्ट्र उतनी ही तरक्की करेगा। सारस्वत वक्ता डॉ. परिमला कुलकर्णी की जो की पीपल्स डेंटल कॉलेज भोपाल की डायरेक्टर एवं डीन है ने अपने उद्गार में कहा की चिकित्सा विज्ञान की जड़ें सुश्रुत के चिकित्सा शास्त्र से पोषित है इतनी मजबूत जड़ों से जो शास्त्र जुडा हो वह विश्व गुरु होता है। आज हमारे वेद पुराण को ही विश्व ने आधार बनाकर आगे के प्रयोग व आविष्कार किए हैं। अतः यह संस्कृति एवं पुराणों से पोषित शिक्षा ही आज विकसित भारत की शक्ति एवं पूंजी है।कार्यक्रम के अंत में प्रीति देवासकर द्वारा सभी का आभार प्रदर्शन किया गया । पहलगाम की घटना पर शोक व्यक्त करते हुए 2 मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई एवं कल्याणमंत्र के साथ के साथ प्रीति देवासकर ने कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
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