नर्मदापुरम / शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में दिनांक 04.08.2025 को ह्यूमन कैपिटल फॉर विकसित भारत विषय पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के उपरांत संपूर्ण चर्चा के माध्यम से प्राप्त सुझावों विचारों को उच्च शिक्षा को प्रेषित किया जाएगा। इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ के रूप में साकेत दुबे, जन भागीदारी अध्यक्ष श्रीमती संध्या थापक, पीएम श्री कॉलेज आप एक्सीलेंस के प्राध्यापक डॉ. कमल वाधवा, डॉ. रवि उपाध्याय, डॉ. अखिलेश खंडेलवाल, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन, कार्यक्रम संयोजक डॉ. संगीता अहिरवार, सचिव डॉ रामबाबू मेहर ने मंच पर अपनी गरिमामई उपस्थिति प्रदान की। मां सरस्वती की पूजन दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कुमारी पूजा गोस्वामी, कुमारी प्रिया द्वारा सरस्वती वंदना हमें ज्ञान ऐसा दीजिए सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रेमकांत कटंगकार हारमोनियम पर सुसंगत प्रस्तुति प्रदान की।महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि ह्यूमन कैपिटल फॉर विकसित भारत के इस जिला स्तरीय कार्यक्रम में शासन द्वारा प्रयुक्त तीन बिंदु उच्च शिक्षा में नीतिगत अंतर और चुनौतियां, संभावनाएं समाधान, श्रेष्ठ प्रथाएं विषय पर चर्चा एवं विमर्श किया जाना है। हम आज की कार्यशाला हेतु अत्यंत उत्सुक है कि आज प्राप्त होने वाले सुझाव विद्यार्थियों के विकास एवं युवा को निश्चित दिशा निर्देशित करने में सहायक सिद्ध होंगे। हमारा महाविद्यालय ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करता है, हमें सर्वप्रथम ग्रामीण विद्यार्थियों की समस्याओं को जानना, समझना होगा और उन समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयत्न करना होगा। पिछले दिनों की प्रवेश प्रक्रिया में विद्यार्थियों की कुछ समस्याएं मुख्य रूप से सामने आई हैं जैसे 24 घंटे में फीस जमा करना, तकनीकी के अभ्यस्त ना होना, जटिल ऑनलाइन प्रक्रिया इत्यादि। कार्यशाला का उद्देश्य 2047 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के 100 वर्ष पूर्ण होने पर भारत के विकास क्रम को विकसित क्रम में परिवर्तित करना है। डॉ जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि युवा शक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। वर्तमान समय में युवा धैर्य खोता जा रहा है। हमें युवा पीढ़ी पर ध्यान देना होगा कि वह विषम परिस्थितियों में संयम का परिचय दें। हमारे युवा मेहनती, सामंजस्य स्थापित करने वाले , निडर और साहसी बने, ऐसे युवा ही उन्नत राष्ट्र के निर्माता बनेंगे।विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. संगीता अहिरवार ने बताया कि ऑनलाइन बैठक के माध्यम से प्राप्त निर्देशानुसार इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। आज के कार्यक्रम के परिणाम स्वरूप प्राप्त सुझावों को हायर एजुकेशन को प्रेषित किया जाएगा। त्रिसूत्रीय आधारित बिंदुओं पर प्राप्त सुझाव को व्याख्यान एवं परिचर्चा आज की कार्यशाला का आधार बिंदु है। जनभागीदारी अध्यक्ष श्रीमती संध्या थापक अभिभावक और विद्यार्थियों की समस्याओं से अवगत कराते हुए कहा कि ऑनलाइन प्रक्रिया का स्वरूप आसान करने के लिए हमें प्रशिक्षित कंप्यूटर ऑपरेटर से सहयोग प्राप्त करना होगा ताकि विद्यार्थी सीधे महाविद्यालय से जुड़ सके और उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर सके। विषय विशेषज्ञ साकेत दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा ग्रामीण जीवन एवं जंगल परंपरा अत्यंत समृद्ध है। परंपरागत व्यवसाय को नवीन रूप प्रदान कर युवा अपना सकते हैं वर्तमान समय में तकनीकी सामंजस का अभाव दृष्टिगत होता है किसी भी परिवर्तन हेतु आमजन की सहभागिता एवं जन भागीदारी आवश्यक है युवा डर में अपराध की ओर अग्रसर होता है, अतः भावनात्मक सहयोग होना आवश्यक है । विषय विशेषज्ञ डॉ. कमल बाधवा ने अपने उद्बोधन में विकसित भारत हेतु प्रतिबद्ध सरकार की रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि युवा, गरीब, महिलाएं और अन्नदाता में चार स्तंभों पर कार्य किया जा रहा है। विकसित भारत की थीम शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास पर केंद्रित है। हमें ऐसे युवा तैयार करने हैं जो नैतिकता, मानवीयता संवैधानिक मूल्य जैसे सहानुभूति दूसरों के लिए सम्मान, स्वच्छता, शिष्टाचार, लोकतांत्रिक भावना सेवा की भावना सार्वजनिक संपत्ति के लिए समर्पित भारतीय हो। डॉ. रवि उपाध्याय ने नीतिगत चुनौतियों और समाधान समकालीन समस्याएं रणनीतियां विषय को इंगित करते हुए अपना वक्तव्य दिया। उच्च शिक्षा संबंधी चुनौतियों के समाधान के रूप में बताया कि बच्चों को पढ़ाना ही नहीं स्वयं पढ़ने के लिए तैयार करना होगा। वर्तमान समय में सुविधा अनुसार विद्यार्थी स्वयं एप के माध्यम से अपने क्रेडिट पूर्ण कर सकते हैं। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ को अपनी सशक्त भूमिका निभानी होगी, ताकि विद्यार्थी उचित मार्गदर्शन प्राप्त करें। जिला स्तर पर नीति निर्धारण कर शिक्षण प्रक्रिया में विद्यार्थी को सहयोग करना होगा। डॉ. योगेश खंडेलवाल ने उत्कृष्ट अभ्यास की प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए कहां की नियम धारणीय होना चाहिए। अनुकरणीय, मापने योग्य एवं निगरानी योग्य श्रेष्ठ प्रथाओं का क्रियान्वयन होना अति आवश्यक है। अपने सुझाव में डॉ. खंडेलवाल ने कहा कि हम हमारी लाइब्रेरी में वर्तमान तथा भूतपूर्व विद्यार्थियों को प्रवेश देकर शिक्षा की नई पहल प्रारंभ कर सकते हैं। डॉ. अमिताभ शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि अगर विद्यार्थी शिक्षा तक नहीं पहुंचाना चाहता तो कोर्स विद्यार्थी तक पहुंच जाए। वर्तमान समय में। मल्टीडिसिप्लनरी महाविद्यालय की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी तकनीकी क्षेत्र में पारंगत नहीं होते शासन की ओर से तकनीकी परमगत होने के लिए सख्त नियमावली बनाने की आवश्यकता है, तीन बिंदुओं पर आधारित विषय पर क्रियान्वयन समस्याओं और समाधान से अवगत कराया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. श्रुति गोखले ने एवं आभार डॉ. रामबाबू मेहर ने किया। इस अवसर पर समूह चर्चा में विभिन्न महाविद्यालय के प्राध्यापक कौन है महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। प्राप्त सुझावों एवं विचारों को उच्च शिक्षा को प्रेषित किया जाएगा। कार्यशाला के द्वितीय तकनीकी सत्र के समापन के अवसर पर प्राचार्य द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर डॉ. श्रीकांत दुबे, डॉ.हर्षा चचाने, डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, डॉ. पुष्पा दुबे, डॉ. रागिनी सिकरवार, डॉ. आशीष सिंह, डॉ. जी सी पांडे, डॉ. पी आर मानकर आर के चौकीकर, डॉ. वैशाली लाल, डॉ. धर्मेंद्र सिंह, डॉ. दुर्गेश तेली, डॉ. कीर्ति दीक्षित, डॉ. रफीक अली, डॉ. मनीष चन्द्र चौधरी, शैलेन्द्र तिवारी विभिन्न महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं महाविद्यालय स्टाफ उपस्थित सदस्य उपस्थित रहे।
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