प्रताप सिंह वर्मा, संपादक, नर्मदा समय
भोपाल : प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की नवीनीकरण शुल्क जमा करने के विरोध में आंदोलन को तैयार है । राज्य शिक्षा केंद्र के नियमानुसार प्राथमिक स्कूलों के लिए ₹20000 एवं माध्यमिक स्कूलों के लिए ₹30000 प्राइवेट स्कूलों को एफ डी बनाकर देने होंगे। साथ ही पूर्व से संचालित प्राथमिक शाला को दो हजार और मिडिल शाला को तीन हज़ार वार्षिक शुल्क भरना होगा ।
प्राइमरी एवं मिडिल कक्षाएं निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत संचालित होती हैं जिसमें पूर्व में किसी प्रकार का कोई मान्यता शुल्क, एफ डी आदि नहीं लिया जाता था ।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अवहेलना है । सालाना 25 करोड रुपए वसूलने की प्लानिंग है राज्य शिक्षा केंद्र ने पूरी तरह से व्यवसायीकरण किया है । वही छोटे-छोटे विद्यालयों से रजिस्टर्ड किरायानामा अनिवार्य कर दिया गया है । इसमें भी विद्यालयों द्वारा करोड़ों रुपए खर्च होंगे एवं जो विद्यालय 6 फरवरी तक आवेदन नहीं कर पाए उन पर ₹5000 का अर्थदंड भी नवीनीकरण के लिए निर्धारित किया गया है अजीत सिंह का आरोप है कि मध्यप्रदेश के बाजार में यह विभाग शिक्षा का सौदा करने लगा है छोटे-छोटे विद्यालय गलियों में मोहल्लों गांव में अपने विद्यालय खोलकर शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रहे थे । निर्धन बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ते थे आज वही विद्यालय मान्यता नवीनीकरण की जंग लड़ रहे हैं । उन्होंने कहा कि शुल्क जमा कर पाना विद्यालयों के लिए संभव नहीं होगा। इन नियमों के विरोध के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आंदोलन को बाध्य होगा ।
वहीं राज्य शिक्षा केंद्र कहते हैं इस नियम का पालन जरूरी है अन्यथा स्कूलों की मान्यता ही समाप्त हो जाएगी शासन के राजपत्र के गजट के अनुसार ही राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रावधान किया है ।