नर्मदापुरम / प्रदीप गुप्ता/ कोठी बाजार स्थित पीपल चौक पर प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह का 24 घंटे का तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन आज से प्रारंभ हुआ । प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ की जिला अध्यक्ष कविता राजपूत ने बताया कि म.प्र. में 96000 स्व. समूह की लाखों महिलाओं की मांग है, कि आंगनबाडी में बच्चों को नास्ता बनाने की लागत राशि 2.88 पैसे की जगह 5 रुपए की जाए एवं भोजन के 4.82 पैसे की जगह महगाई के दौर में 10 रूपये रूपए की जाए। कुपोषित बच्चों को 3.85 पैसे की जगह 15 रुपए के मान से दिए जाए, रसोईया को 500 रूपये प्रतिमाह दिए जाते हैं। वही संभावना अनुसार कभी मिलते हैं, कभी नहीं मिलते। रसोईया बहनों को 6000 रूपये के मान से प्रतिमा भुगतान किया जाए। सांझा चूल्हा राशि का भुगतान 56 माह बाद दिया जाता है जो प्रति माह दिया जाए। आंगनबाडी में जो समूह भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं उन्हें निःशुल्क राशन प्रदान किया जाये। वर्तमान में प्राथमिक शाला में 100 ग्राम माध्यमिक शाला में 150 ग्राम, पर हमारी मांग है कि प्राथमिक शाला में 200 ग्राम एवं माध्यमिक शाला में 300 ग्राम के मान से अनाज दिया जावे। 25 बच्चों के मान से गैस सिलेंडर शासन की ओर से हर महीना उपलब्ध कराया जाए। प्राथमिक शाला में प्रति छात्र भोजन दर 5.45/- की जगह 10 रु प्रति छात्र हो 12 वर्षों में 2.89 पैसे से प्रारंभ मात्र 2.76 पैसे की बढ़ोतरी।माध्यमिक शाला में प्रति छात्र भोजन दर 08.17/- पैसे की जगह 15 रुपए प्रति छात्र हो, 12 वर्षों में 4.04 पैसें से प्रारंभ मात्र 1.13 पैसे की बढ़ोत्तरी जबकि 12 वर्षों में विधायकों सांसदों अधिकारियों कर्मचारियों के मानदेय में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। किंतु मध्यान भोजन में बढ़ोतरी अर्थशास्त्र की कौन सी व्याख्या से ली गई है। महगाई के इस दौर में सामग्रियों के एक रुपए कीमत की जगह 10 कीमत हो गई है। कौनसी कुपोषण मुक्त एवं महिला सशक्तिकरण एवं सामाजिक नीति है यह समझ से परे है। मध्याह भोजन पकाने हेतु कार्यरत रसोइयों प्रतिदिन पारिश्रमिक 66 रूपये मजदूरी यह नैतिकता किस आधार पर तय की गई है, यह सोचने योग्य है। मानदेय कलेक्टर दर पर 6,000/- रूपए प्रति माह हो। मध्याह्न भोजन साझा चूल्हा के समूहों को वर्तमान में 60 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार राज्यों को 60 प्रतिशत बजट देती है एवं राज्य का बजट 40 प्रतिशत मिलाकर 100 प्रतिशत बजट के मान से भुगतान किया जाए। शाला में मध्याह भोजन संचालक स्व सहायता समूह अध्यक्ष सचिव को पारिश्रमिक के साथ शाला रसोईया एवं समूह अध्यक्ष / सचिव के जोखिम को द्रष्टिगत रखते हुए पांच लाख का निःशुल्क सुरक्षा बीमा किया जाए। प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ को शासन की योजनाओं को क्रियान्वित करने में भागीदार बनाया जाए। महिला समूहों को शत-प्रतिशत मध्याह्न भोजन संचालन कार्य सौंपा जाए चाहे वह स्कूल हों छात्रावास हों शाला प्रबंधन समिति शिक्षक या अधीक्षक शिक्षकों के द्वारा मध्याह्न भोजन संचालन करने में छात्रों का शिक्षण कार्य बाधित होता है ऐसे शिक्षकों का ध्यान शिक्षण कार्य में नहीं लगता यह कटु सत्य है। महिला स्व सहायता समूहों को उपार्जन केंद्र उचित मूल्य का अधिक से अधिक आबंटन दिया जाए।
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