मोबाइल पास में हो तो लोग बेचैन होने लगते हैं, कई बार तो स्थितियां इतनी गंभीर हो जाती हैं जिनके चलते लोगों को सेल फोन रिहैबिलिटेशन सेंटर तक जाना पड़ता है।
डिजिटल ब्रेक का महत्व:
सुबह उठे मोबाइल के अलार्म से, अखबार पढ़ा मोबाइल पर, शेयर बाज़ार की सुगबुगाहट मोबाइल पर, फोन तो आ ही रहे होंगे, कभी किसी की फोटो तो कभी दोस्तों के साथ व्हाट्सएप पर चटपट, इंसान मानो मोबाइल और घड़ी के काटों के बीच बंध कर रह गया है। न समय को रोक पा रहा है ना मोबाइल को छोड़ पा रहा है। परिणाम स्वरूप वह ना तो खुद के लिए ही समय निकाल पाता है और ना ही परिवार के लिए। इसके बाद धीरे धीरे उस इंसान की ज़िंदगी तनावग्रस्त होना शुरू हो जाती है, परिवार के बीच तनाव, पति पत्नी के बीच तनाव और इस तनाव के चलते डिप्रेशन जैसी बेहद गंभीर स्थिति। इतना ही नहीं अत्यधिक मोबाइल के इस्तेमाल से सर्वाइकल, आंखों की खराबी, सर में भारीपन, शरीर का शिथिल हो जाना, कंसंट्रेशन की कमी आदि मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है।
इस सब के बाद इंसान की ज़िंदगी में सबकुछ पहले जैसा नहीं रह पाता है। मोबाइल की लत इतनी बुरी लग चुकी होती है कि इंसान चाहते हुए भी मोबाइल से दूर नहीं रह पाता है। मोबाइल पास में न हो तो लोग बेचैन होने लगते हैं, कई बार तो स्थितियां इतनी गंभीर हो जाती हैं जिनके चलते लोगों को मोबाइल रिहैबिलिटेशन सेंटर तक जाना पड़ता है। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट व अन्य वेब और ऐप मैटेरियल आपके लिए आवश्यक हो सकता है पर आपके स्वास्थ्य से ज्यादा आवश्यक कतई नहीं।
कैसे दूर करें डिजिटल एडिक्शन
डिजिटल ब्रेक इस एडिक्शक को दूर करने का सबसे सीधा और सरल उपाय है। धीरे धीरे खुद को डिजिटल उपयंत्रों से दूर करें। ऐसी चीज़ें जो आप बिना मोबाइल और इंटरनेट के कर सकते हैं उन्हें करने की कोशिश करें। धीरे धीरे करके डिजिटल ब्रेक का समय बढ़ाने की कोशिश करें। जो भी डिजिटल चीज़ें या वेब मैटेरियल आपको बांधने की कोशिश करता है उससे दूर रहने इस प्रयास करें। इसके साथ ही आप यह कुछ अन्य तरीके भी ट्राय कर सकते हैं जैसे
1. पहले से ही निर्धारित करें कि आप ऑनलाइन क्या देखना या करना चाहते हैं, चाहें तो इसकी लिस्ट बनाएं, लिस्ट में लिखे काम को निपटाएं और सीधे ऑफलाइन हो जाएं। डिस्ट्रैक्ट करने वाले ऑनलाइन मैटेरियल से बचें।
2.निजी जीवन के कामों की एक प्रायोरिटी लिस्ट बनाएं। ऑफलाइन रहते वक्त उन कामों से खुद को जोड़े और खुद को बिजी रखें। ऐसा करते में बेशक आपको कुछ परेशानी होगी लेकिन अंततः यह आपके जीवन के लिए काफी मददगार साबित होगा।
3. मोबाइल या लैपटॉप चलाते में अलग-अलग स्थानों का इस्तेमाल करने का ट्राय करें। कभी घर के लिविंग हॉल में तो कभी घर की छत पर तो कभी बाहर किसी कैफे में तो कभी किसी पार्क में। ऐसा करते मैं न केवल आप आसपास के वातावरण से जुड़े रहेंगे बल्कि उसका आनंद भी ले सकेंगे।
4. जो प्रायोरिटी लिस्ट आपने ऑफलाइन रहते समय के लिए बनाई है उसमें कुछ ब्रेनस्टॉर्मिंग गेम, पढ़ने के लिए किताबों के नाम आदि महत्वपूर्ण रूप से जोड़ें। इतना ही नहीं फिजिकल मैप सामने रखकर आप अपने लिए छुट्टियों की प्लानिंग भी कर सकते हैं। जो काम जिंदगी में करना बाकी रह गए हैं उनके लिए भी आप प्लान निर्धारित कर सकते हैं।
5. हो सकता है डिजिटल ब्रेक के बाद जब आप वापस ऑनलाइन आएं तब आपके पास कई सौ मैसेज पड़े हो। हो सकता है कई मैसेज आपसे कह रहे हो कि “भाई तू ऑफलाइन क्यों था?”, कई मैसेज बेहद महत्वपूर्ण भी हो सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कोई भी मैसेज ना आपके स्वास्थ से न ही आपकी जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है।
इसलिए आपने जो डिजिटल ब्रेक का एक सिस्टम अपनी जिंदगी के लिए तैयार किया है उसको न केवल लागू करें बल्कि बेहतर तरीके से लागू करें, जिससे न तो आपके जीवन में ऑफलाइन रहने की वजह से किसी चीज की कमी आएगी और ना ही ज्यादा ऑनलाइन रहने के चलते आप किसी चीज के आदि हो पाएंगे।