म्यांमार के रखाइन प्रांत में 2012 से रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ हिंसा शुरू हुई थी। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए और लाखों को विस्थापित होना पड़ा था। रोहिंग्या म्यांमार होते हुए मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में घुसते हैं। हरियाणा पुलिस ने आरोप लगाया है कि नल्हड़ देव मंदिर में जुटी भक्तों की भीड़ पर हमला करने में रोहिंग्या युवक बड़ी संख्या में शामिल थे। अब तक 25 रोहिंग्या शरणार्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। पुलिस ने लगभग 250 उन अवैध झुग्गियों को तोड़ दिया है, जिसमें रोहिंग्या शरणार्थी रहते थे। इसके पहले दिल्ली दंगों के दौरान भी रोहिंग्या शरणार्थियों पर सवाल उठे थे। हाल ही में, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश के लिए खतरनाक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। सर्वोच्च न्यायालय में भी इस पर चिंता जताई गई है।
म्यांमार-बांग्लादेश के रास्ते भारत में प्रवेश
म्यांमार के रखाइन प्रांत में 2012 से रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ हिंसा शुरू हुई थी। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए और लाखों को विस्थापित होना पड़ा था। भारत में रोहिंग्याओं के घुसने के कई रास्ते हैं। वे म्यांमार होते हुए मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में घुसते हैं। पड़ोसी देश म्यांमार से भगाए जाने के बाद रोहिंग्या मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सीधे भारत में प्रवेश कर गया था। कुछ ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली थी।
खबर है कि बांग्लादेश में रोहिंग्याओं पर कठोरता किए जाने के बाद उन्होंने असम, पश्चिम बंगाल के जरिए भारत में प्रवेश करना शुरू कर दिया है। रोहिंग्याओं के पाकिस्तान के रास्ते पहले नेपाल और फिर भारत में घुसने की खबरें आती रही हैं। असम की बराक घाटी और पश्चिमी सीमा से सटे स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी किए जाने की बात कही गई है।
देश में कितने हैं रोहिंग्या शरणार्थी
नूंह दंगे से पहले देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के दौरान भी इनकी भूमिका सामने आई थी। वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने जानकारी दी थी कि देश में करीब 60 हजार से ज्यादा अवैध रोहिंग्या घुसपैठिए रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 49,127 है। हालांकि, इनकी संख्या इससे बहुत ज्यादा होने के अनुमान हैं। दिल्ली, जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, असम, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में इनकी मौजूदगी है।
ये आरोप लगते रहे हैं कि भारत में काम करने वाले कई संगठन इन रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद कर रहे हैं। कई विदेशी एजेंसियां भी इन्हें भारत में घुसपैठ कराने में मदद कर रही हैं।
भारत का रुख
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत कभी नागरिक के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। सरकार ने अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। उसने कहा था कि इन्हें उनके देश भेज दिए जाने की योजना है। फिलहाल, बहुत कम संख्या में बांग्लादेशी-रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके देश में भेजा गया है।