टीकमगढ़ । नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्य संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 306वीं कवि गोष्ठी, आनलाइन गोष्ठी ‘वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ’़ के संयुक्त तत्वावधान में ‘बुन्देली’ पर केन्द्रित आयोजित की गई जिसमें अध्यक्षता श्री एएस.आर.सरल (टीकमगढ़) ने की एवं मुख्य अतिथि डाॅ. आर.बी. पटेल(छतरपुर) व विशिष्ट अतिथि के रूप में अंजनी कुमार चतुर्वेदी (निवाड़ी) रहे। कवि गोष्ठी का संचालन म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दिया।
कवि गोष्ठी का शुभांरभ सरस्वती वंदना से कु.आंकाक्षा नामदेव ने किया-
हे शारदे माँ हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमे तार दे माँ।
तू सुर की हे देवी संगीत तुझसे हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे।।
नैगुवाँ से रामनंद पाठक ‘नंद’ ने सुनाया-देश और प्रदेश में लोहा इनका सबने माना है।
आन वान बुन्देलखण्ड की सच पूछो तो राना है।।
छतरपुर से डाॅ आर.बी. पटेल ने इक्कीसवीं सदी की संताने कविता सुनाई-
आपस में बैठे ये कैसे बतयारय। सांसी-सांसी हम सबखां बतारय।।
टीकमगढ़ के राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
मैं तुमरौ लतरौदा माते, हो माटी को लोंदा।
महल अटार हमें का करने साजौ अपनो घरौंदा।।
जतारा के वरिष्ठ कवि सुभाष सिंघई ने बुंदेली दोहा गीतिका सुनाई-
मिलत उयै वरदान है, जी घर गइया रात।
लगतइ जैसे गेह में, देवी मइया रात।
निवाड़ी की आशा रिछारिया ने सुनाया-जिज्जी जाड़े की रुत आई। निकरन लगी रजाई।
हरे धना की खुशबू फैली,मैथी पालक नयी नवेली।।
पृथ्वीपुर के कल्याणदास साहू ‘पोषक’ ने ‘मच्छर’ पर बुन्देली रचना पढ़ी-
जितै-जितै है गंदगी जादां उतइ दिखात।
शहर होय ये गाँव होय। सबइ जगां उतरात।।
टीकमगढ़़ की डाॅ. प्रीति ंिसंह परमार ने गीत सुनाया- भुनसारे सें कड़ गए,अब लो लोटे नइँयाँ,
मोड़ी-मोड़ा भूखे बैठे, गुट्टा में रोटीनइँयाँ
नदनवारा के शोभाराम दांगी‘इन्दु’ने सुनाया-साइँयाँ दरस करा दो मोखां चलो चित्रकूट से धाम।
विराजे कामतानाथ,सबकी पीर हरैं।।
निवाड़ी के अंजनीकुमार चतुर्वेदी ने सुनाया-जाड़ौ परौ भौत, हत्यारौ,नैंया जाबे वारौ।
सूखी लकरें लगा-लगा कें, जम केंकोंडों बारौ।।
टीकमगढ़़ के एस.आर. ‘सरल’ने सुनाया- दरूवन की पंच्यात,उनै हम का कै दयँ।
जिने गड़े ना बात उनै हम का कै दयँ।।
टीकमगढ़़ कमलेश सेन ने सुनाया – करो खूब गर्राट जू फिर नइ राने ठाठ जू।
जब आये घोर बुढ़ापो तक पकरे रानेखाट जू।।
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