नर्मदापुरम / शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में आज दिनांक 12.06.2025 को विष्व बालश्रम निषेध दिवस पर प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन के मार्गदषन में एवं रासेयो अधिकारी डॉ. हर्षा चचाने के सहयोग से विश्व बालश्रम निषेध जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत की थी, जिसका पहला आयोजन 12 जून को जिनेवा में आई.एल.ओ. का मुख्यालय में हुआ था। तब से, इस दिन को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। वर्ष 2025 में बाल श्रम को खत्म करने के इस अंतर्राष्ट्रीय प्रयास के 21 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत में बाल मजदूरी (निषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986 के अनुसार, 14 वर्ष से कम उम्र के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम में नहीं लगाया जाना चाहिए। भारतीय दण्ड संहिता 1860 इसमें बाल श्रम से जुड़े अपराधों के लिए धारा 370-374 में जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर सहायक श्रमायुक्त ज्योति अय्यर ने बताया कि बालश्रम मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से बच्चों के अत्यंत हानिकारक है। जिसका प्रमुख कारण गरीबी एवं अषिक्षा है। राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी डॉ. हर्षा चचाने ने बताया कि महाविद्यालय में बाल संरक्षण क्लब के द्वारा निरंतर इस दिषा में जागरूकता के लिए विविध कार्यक्रम एवं गतिविधियां वर्ष भर संचालित की जाती है। बालश्रम का अर्थ है बच्चों से ऐसे काम कराना जो उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए हानिकारक हो और जो उन्हें उनकी शिक्षा और विकास से वंचित करे. यह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है और उनके भविष्य को प्रभावित करता है। इस अवसर पर अनिल रजक, राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेविकाए द्वारा पूजा गोस्वामी, तनुश्री, वर्षा, सलोनी, स्नेहा, रितु, मनीषा, अंजली, सुहानी, प्रिया सोनी, दिषा शर्मा नेहरू पार्क के सामने बाल श्रम को रोकने एवं समाप्त करने के लिए नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया।
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