नर्मदापुरम / शुक्रवार को मध्यांचल वेयरहाउस ओनर एसोसिएशन द्वारा वेयरहाउस के संबंध में आने वाली समस्याओं को लेकर आज एक प्रेस वार्ता की जिसमें कहा कि जिले में जिन निजी वेयरहरउस संचालकों व्दारा गोदाम बनाये गये है, जिनमें शासन व्दारा उपार्जित अनाज का भंडारण किया जा रहा है। इस हेतु गोदाम संचालन में समस्याये आ रही हैं जिनका निराकरण होना चाहिए जिससे वेयरहाउस संचालन सुचारु रूप से किया जा सके। वेयर हाउस सचालक अपने गोदाम को शासन व्दारा उपार्जित अनाज के भण्डारण हेतु एवं उचित रखरखाव के लिये किराये पर देने का अनुबन्ध करता है जिसका शासन द्वारा भुगतान किया जाता है। परन्तु विभाग व्दारा अनुबंध में कुछ शर्तें बदल दी गई है और FAQ के लिये गोदाम संचालकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जबकि अनाज का उपार्जन शासन द्वारा अधिकृत सर्वेयर व्दारा एवं सहकारी समितियों व्दारा ही खरीदी जाता है। या FAQ की बगर जबाबदारी वेयरहाउस संचालक को ही दी जाती है तो खरीदी से लेकर सर्वेयर तक सम्पूर्ण जबाबदारी दी जाये जिसका खरीदी कमीशन भी वेयरहाउस संचालक को ही दिया जाये । वेयर हाउस संचालक भण्डारित किये गये माल की मात्रा एवं रख रखाव के लिये ही जिम्मेदार होना चाहिये, क्योंकि मार्केड द्वारा पत्र में कंडिका 6.5 के तहत भंडारण की जिम्मेदारी वेयरहाउस संचालकों पर ठहराया जा रहा है। मगर वेयरहाउस संचालकों के पास चाबी नहीं रहती है जो सदैव वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन के पास रहती है वो समय समय पर चाबी लाकर रख रखाव एवं फूमिगेशन करवाकर वापिस ले जाते हैं। गोदामों से मूंग उठाते समय जो 2% तक की सूखत या कमी आती है क्योंकि ग्रीष्मकालीन मूंग का उपार्जन जुलाई अगस्त वर्षा के मौसम में होता है, इस उपार्जन के दौरान मूंग नमी 12 से 14 प्रतिशत तक अधिकतर होती है और उससे उठाव के दौरान गर्मियों में 8 से 10 प्रतिशत तक आ जाती है। जैसा कि धान और सोयाबीन में सूखत दी जाती है उसको मान्य किया जाये जैसा कि कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान आदि राज्यों में होता है। भंडारित धान, मूंग एवं चने का किराया विगत कुछ वर्षों का प्राप्त नहीं हुआ है एवं गेहूं का किराया भी समय पर नियमित नहीं मिल रहा है। जिस कारण बैंकों की किस्त, बीमा किस्त, समय पर नहीं दे पा रहे हैं। कर्मचारियों का वेतन, कीटनाशक, फूमिगेशन, रख रखाव आदि खर्च की व्यवस्था कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। किराये के लिये बेयर हाउस संचालकों को चक्कर लगाने पड़ रहे है। उक्त अनाज का भंडारन सहकारी समीत्ति सर्वेयर के द्वारा स्वीकृत करने के हिसाब से खरीदती है जिसका WHR हमारे द्वारा काटा जाता है यदि इम उसको काटने को मना करें तो किसान को भुगतान नहीं होता जिस कारण नेता, अफसर आदि हम पर प्रेसर बनाते हैं। खरीदी में विभाग का इतना हस्तछेप है कि हम विभाग, विपरण संघ, नागरिक आपूर्ति निगम, कॉपोरेशन, राजस्व विभाग, FCI आदि। अपने आप को अपंग महसूस करते है जैसे, कृत्ये खाद्य विभाग, कोपरेटिव विभाग, वेयरहाऊसिंग। वेयरहाउस मालिकों को किराया समय पर नहीं मिल पा रहा है उस पर संस्थाओं द्वारा ब्याज सहित भुगतान किया जाए । उपार्जन नीति निजी गोदाम वेयरहाउस संचालकों के हित में नहीं है। कृपया कर इस उपार्जन कंडिका को वेयरहाउस संचालक के उपर से हटाया जाये । वर्ष 2021-22 तक MPSCSC के खाते में भंडारित गेहूं का संपूर्ण भुगतान FCI/MPSCSC द्वारा किया गया है लेकिन FCI द्वारा रिजेचलन के नाम से गोदाम किराया रोका गया है। वर्ष 2023 24 एवं 2024 25 की मूंग ग्रेडिंग चेमरह उस संचालक से कराई जा रही है, उसे तत्काल रोक जावे। वर्ष 2022-23 गेहूं का LOSS GAIN 1% पर ही भुगतान एग्रीमेंट के अनुसार ही किया जावे। वेयरहाउस संचालक सुधीर पाठक ने बताया कि उक्त ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री, प्रदेश के कृषि मंत्री, जिला कलेक्टर, सांसद एवं राज्यसभा सांसद एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को भी भेजे जा रहे है। इस अवसर पर वेयरहाउस संचालक अजय दुबे, सुधीर पाठक, दुर्गेश पालीवाल, पंकज गौर, एम एल गौर, भवानी वर्मा, साहू, सुशील कुमार गौर, राकेश गोयल, संजीव साहू आदि उपस्थित रहे।
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