नाराज आदिवासियों ने वन भूमि पर खड़े हरे-भरे पेड़ काटकर खेत बनाना शुरू कर दिया।
वन अधिकारी एवं वनरक्षक मौके पर खड़े होकर पेड़ कटते देखते रहे कोई भी नहीं की कार्रवाई
रदद्
सिवनी मालवा तहसील के वन परिक्षेत्र बानापुरा में आने वाले वनग्राम राजलढाना में आदिवासियों को जमीन के पट्टे नहीं मिली है। इससे नाराज आदिवासियों ने वन भूमि पर खड़े हरे-भरे पेड़ काटकर खेत बनाना शुरू कर दिया।मंगलवार बुधवार को राजलढाना गांव के लगभग 200 से
अधिक आदिवासियों ने वन भूमि पर खड़े पेड़ काट दिए
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सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे वन अधिकारी व कर्मचारियों ने आदिवासियों को मौके से भगाने का प्रयास किया, लेकिन सब कुछ बेअसर रहा। वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी खड़े-खड़े पेड़ कटते देखते रहे, लेकिन उनके खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं कर पाए। भीड़ बढ़ती देख वन विभाग के अधिकारियों ने इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को
दी। जानकारी मिलते ही एसडीएम अनिल जैन, नायब तहसीलदार
प्रमेश जैन राजस्व अमले सहित पुलिस बल लेकर घटना स्थल पर पहुंचे। एसडीएम अनिल जैन ने सभी से चर्चा कर उन्हें समझाया और बताया कि इस तरह हरे भरे पेड़ों को काटकर
नुकसान करने से कुछ नहीं होगा। पट्टे के लिए आप लोग विधिवत आवेदन करें। आदिवासियों ने मौके पर ही पट्टे का आवेदन एसडीएम अनिल जैन को दिया।
7 हेक्टेयर जमीन पर पेड़ों को काटा
वन विभाग ने 2016 में 120 हेक्टेयर जमीन पर औषधी के पौधों का प्लांटेशन किया गया था। महुआ, बहेड़ा, कहू सहित अन्य पौधे लगाए गए थे, जिसमें से लगभग 7 हेक्टेयर जमीन पर आदिवासियों ने पेड़ों को काट दिया गया। आदिवासियों
ने उस स्थान पर एक बैनर बना कर लगाया था। उस बैनर में लिखा था “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है, जय उलगुलान जारी है”। वन विभाग के अधिकारीयों के ढीला रवैया देखते हुए ये कहना मुश्किल है की वन अफसर इस जंगल को इन आदिवासियों से कब तक बचा पाएंगे।
एसडीएम ने दी समझाईश
एसडीएम अनिल जैन ने बताया कि वन विभाग ने हमें सूचना नहीं दी थी। आज वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी मिली थी,जिसके बाद आदिवासियों को समझाईश दी है कि इस तरह से
जंगल को काट नुकसान नहीं करें।
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