कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाई गई मादा चीता “साशा” की मृत्यु
दिनांक 27.03.2023
संवाददाता अरुण कश्यप
दिनांक 22.01.2023 को नामीबिया से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ी गई मादा चीता साशा को मॉनिटरिंग दल द्वारा सुस्त पाया चीतों के स्वास्थ्य की देखरेख हेतु तैनात 3 पशु चिकित्सकों द्वारा साशा का स्वास्थ्य निरीक्षण किया गया एवं पाया कि साशा को उपचार की आवश्यकता है फलस्वरूप उसी दिन उसे क्वारेंटाइन बाड़े में लाया गया। क्वारेंटाइन बाड़े में लाने की प्रक्रिया में साशा का ब्लड सेंपल भी लिया गया जिसका परीक्षण वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में स्थित लैब में अत्याधुनिक मशीनों से किया गया। खून के नमूने की जांच से यह जानकारी प्राप्त हुई कि साशा के गुर्दों में संक्रमण पाया गया। तत्काल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल से वन्यप्राणी चिकित्सक एवं एक अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक को पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ कूनो राष्ट्रीय उद्यान भेजा गया। साशा के परीक्षण से गुर्दों की बीमारी की पुष्टि हुई। भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों तथा कूनो चीत राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री प्राप्त की गई जिससे पता चला कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में किये गये अंतिम खून के नमूने की जांच में भी क्रियेटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था जिससे यह पुष्टि भी होती है कि साशा को गुर्दे की बीमारी भारत में आने के पहले से ही थी।दिनांक 22.01.2023 से साशा की मृत्यु के दिनांक तक कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पदस्थ सभी वन्यप्राणी चिकित्सकों तथा नामीबियाई विशेषज्ञ डॉ. इलाई वॉकर द्वारा रात-दिन कठोर परिश्रम कर साशा का उपचार किया गया तथा उपचार के दौरान लगातार चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया तथा प्रिटोरिया विश्व विद्यालय, दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोर्डिफ से लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एवं दूरभाष के माध्यम से संपर्क में रहे। दिनांक 18.02.2023 को दक्षिण अफ्रीका से लाये गये 12 चीतों के साथ कूनो राष्ट्रीय उद्यान पधारे वेटरिनरी विशेषज्ञों डॉ. लॉरी मार्कर, डॉ. एड्रियन टोर्डिफ, डॉ. एन्डी फेजर, डॉ. माइक तथा फिन्डा गेंम रिजर्व के वरिष्ठ प्रबंधक से भी साशा के स्वास्थ्य के विषय में विस्तार से चर्चा की। इन सभी विशेषज्ञों को साशा का अवलोकन कराया गया तथा उनसे मशविरा किया गया। दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों द्वारा इस बात की सराहना की गई कि साशा को इतनी गंभीर बीमारी के बावजूद उसकी उचित देखरेख एवं उपचार के कारण साशा को अपेक्षाकृत स्वस्थ रख पाये हैं।नामीबिया से लाये गये शेष 7 चीता, जिनमें से 3 नर और 1 मादा स्वच्छंद विचरण हेतु खुले वन क्षेत्र में छोड़े गये हैं, पूरी तरह से स्वस्थ एवं सक्रिय हैं तथा सामान्य रूप से शिकार कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका से लाये गये सभी 12 चीता वर्तमान में क्वारेंटाइन बाड़ों में हैं तथा पूरी तरह स्वस्थ एवं सक्रिय हैं।