नर्मदापुरम/कन्हैयालाल वर्मा/ श्रीराम लीला महोत्सव में श्रीराम वनवास लीला की मार्मिक की प्रस्तुति की गई , लीला के मंचन में दिखाया कि दशरथ जी अपनी वृद्धावस्था के चलते राजगुरु वशिष्ठ से वान्यप्रस्थ होने की इच्छा रखते हैं और वह अपने ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम को राजपाठ सौपना चाहते हैं किंतु राज्याभिषेक के पूर्व ही उन पर वज्रपात हो जाता है ,दशरथ के महल में मंथरा कैकई को कहती है कि वह अपने पुत्र भरत के लिए राजपाठ और श्रीराम को 14 वर्ष वनवास देने के वरदान दशरथ से मांगे ,राजा दशरथ से रानी कैकई देवासुर संग्राम में दिए गए दो वरदान मांग लेती है , राजा दशरथ को भरत को राजपाठ देना तो स्वीकार हो जाता है किंतु श्रीराम को वनवास देना सही नहीं लगता अंततः राजा दशरथ रानी की दोनों बात मान लेते हैं श्रीराम के साथ अनुज लक्ष्मण और सीता जी भी वन जाने का आग्रह करती हैं श्रीराम ,सीता और लक्ष्मण राजश्री वेशभूषा त्याग कर वापस भेज धारण कर वन गमन हैं ।
लीला में सुभाष परसाई ने दशरथ , अजय परसाई ने वशिष्ठ , मनोज परसाई ने कौशल्या , अमित यादव ने कैकयी , अरुण तिवारी ने मंथरा ,गोपाल शुक्ला ने सुमन्त , मनोज परसाई ने इंद्र , दीपक साहू ने पुरवासी, अनंत अग्रवाल ने सरस्वती , वेद तिवारी ने मंत्री और लीला में संगीत और मानस की चौपाइयों का गायन की प्रस्तुति पं राम परसाई , पं सुनील चौरे और आदित्य नारायणगंज परसाई ने दी तबले पर आनंद नामदेव एवं सारंगी पर अथर्व दुबे और ढोलक पर सौरभ सराठे ने संगत की
भंडारी शिशिर तिवारी और मुकुंद दत्त दुबे के साथ पात्र श्रृंगार हेमंत मालवीय , माधव दुबे और अभिषेक पटवा का रहा
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