इटारसी : नगरीय पथ विक्रेताओं के अधिकारों और योजनाओं से संबंधित अधिनियम 4 मार्च 2014 को भारत सरकार द्वारा पारित किया गया। इसमें 10 अध्याय बनाए गए हैं जिसमें पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण, टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन आदि बिंदुओं को शामिल किया गया था। पथ विक्रेताओं के लिए बनी जनकल्याणकारी योजना वर्षों बाद भी अधर में लटकी है। काफी शोर-शराबे के बाद बीजेपी सरकार द्वारा इसमें संशोधन कर पुनः इस योजना को लागू किया गया। पूरे मध्यप्रदेश में आज तक पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण कार्य नहीं कराया जा सका है। जिसमें चार प्रकार के पत्र विक्रेता है। मार्केट, रोड, साप्ताहिक बाजार और फेरी वालों को इसमें शामिल किया जाना था। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर तो निधि योजना भी चली। जिला तहसील से 10000 धनराशि देने जैसे लुभावने वायदे भी इसके सर्वेक्षण में कारगर साबित नहीं हुए। प्रत्येक नगर निगम, नगर पालिका परिषदों में टाउन वेंडिंग कमेटी अब तक नहीं बन पाई है। विक्रेताओं का डेटा संग्रह में प्रदेश सरकार फिसड्डी साबित हुई है। पथ विक्रेता मजदूरों का यह जनकल्याणकारी कानून कब धरातल पर मूर्त रूप लेगा भविष्य के गर्भ में है।
आज तक नहीं बनी टाउन वेंडिंग कमेटी
टाउन वेंडिंग कमिटी का गठन समूचे मध्यप्रदेश में आज तक नहीं हो पाया है। इस कमेटी में नगर निगम, नगर पालिका के अधिकारी अध्यक्ष होते हैं। इस कमेटी में वेंडरों का चुनाव होता है। साथ ही 40% महिलाओं की भागीदारी का प्रावधान है। 52 जिलों के पथ विक्रेताओं को इसका लाभ आज तक नहीं मिल सका है।
आज तक जारी नहीं किए गए लाइसेंस
विक्रेताओं के सर्वेक्षण के बाद उन्हें नगर निगम, नगर पालिका द्वारा लाइसेंस जारी किए जाने थे। साथ ही उनके स्थान भी चिन्हित किए जाने थे। जिससे वह आसानी से व्यापार कर सके।
क्या कहते हैं राष्ट्रीय सचिव
इस बाबत राष्ट्रीय सचिव नरेंद्र वर्मा नेशनल डोमेस्टिक एंड अनोर्गनाइज्ड वर्कर्स फेडरेशन (इंटक) ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका छत्रिय एवं राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष त्रिशरण सहारे के नेतृत्व में हमारा संगठन पूरे देश में पत्र विक्रेताओं की लड़ाई लड़ रहा है। राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार ने (पथ विक्रेता जीविका संरक्षण विक्रय विनियमन) एक्ट लागू किया है जो पथ विक्रेता मजदूरों के लिए जनकल्याणकारी है।