टीकमगढ़ । सन 2010 हम कुछ मित्रों ने भारत माता मंदिर बनाने का संकल्प लिया और राष्ट्रवादी विचार परिषद का गठन किया राष्ट्रवादी विचार परिषद के सदस्यों ने भारत माता की कृपा से खूब चिंतन मनन करके निर्णय लिया कि हमें स्वच्छंद और खुली सांस दिलाने वाले, हमारे देश पर अपने प्राण निछावर करने वाले, अपने प्राणों को हंसते-हंसते हम भारतीयों पर लुटा देने वाले हमें परतंत्रता की जंजीरों से मुक्त कराने वाले आजादी के दीवाने भारत माता के भक्त देश के जितने भी अमर शहीद और अमर सपूत हैं उनके जन्म स्थल, कर्म स्थल या शहीद स्थल से उनकी प्रत्याक्षीकृत पावन मिट्टी (तात्पर्य की जहा वह अमर शहीद रहे हैं पले बड़े हैं कोई क्रांतिकारी घटना की है या शहीद हुए हैं उस स्थान की पावन मिट्टी) को लाकर भारत माता के भारत देश के प्रत्येक गांव में कम से कम एक-एक मंदिर तो बने इस लक्ष्य को लेकर हमने काम शुरू किया और विभिन्न विभिन्न दल बनाकर भारत माता के मंदिर के लिए के लिए अमर शहीदों और अमर सपूतों की मिट्टी लाना प्रारंभ किया कई चरणों में राष्ट्रवादी विचार परिषद के कई सदस्य देश के विभिन्न विभिन्न प्रदेशों जिलों के गांव गांव जाकर मिट्टी लेकर आए वह मिट्टी हमारे पास रखी हुई है पावन प्रत्याक्षीकृत मिट्टी में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह,सुखदेव, राजगुरु, रामप्रसाद बिस्मिल,रोशन सिंह लाहरी, वीर दामोदर राव सावरकर गणेश शंकर विद्यार्थी, अशफाक उल्ला खान, विष्णु गणेश पिंगले राष्ट्रगीत वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी जी राष्ट्रगान निर्माता रविंद्र नाथ टैगोर करतार सिंह सराबा, उधम सिंह, चंद्रशेखर आजाद, लाल लाजपत राय, लाला हरदयाल, जलियांवाला बाग, काला पानी की मिट्टी के साथ ही अन्य कई शहीदों और सपूतों की पावन प्रत्याक्षीकृत मिट्टी शामिल है शेष अमर शहीदों और सपूतों की मिट्टी के संग्रह का कार्य भी साथ में जारी हे चूकी 2020 में कोरोना शुरू हो गया जिससे हमारी आर्थिक स्थिति गड़बड़ हो गई क्योंकि बहुत सारे लोग उस समय भूख से मरने की कगार पर थे तो जो पैसा हम अपनी आय का 20 30 पर्सेंट बचा कर भारत माता मंदिर की यात्राओं या उन कार्यों के लिए रखते था वह तो खत्म हो ही गया और अन्य पैसा जो यहां बहा से उधार जुटाया बह भी खत्म हो गया उसके बाद फिर कोई विशेष गतिविधि भारत माता मंदिर निर्माण (राष्ट्र प्रेम स्थल)के लिए हम नहीं कर पाए और सोचते रहे की जब पैसा ही नहीं है तो हम अब क्या कर पाएंगे अब हम सब ने खूब चिंतन मनन किया है और यह पाया है कि प्रबल इच्छा शक्ति होनी चाहिए भारत माता मंदिर (राष्ट्र प्रेम स्थल) बनाने के लिए न कि धन हम सब ने करीब 13 साल से प्रयास लगातार किया अब हम सभी ने निर्णय लिया है कि हमारे पास पैसा रहे या ना रहे हम रहे या ना रहे लेकिन जितना संभव होगा उतने भारत माता के बड़े-बड़े मंदिर नहीं तो छोटी-छोटी मडिया तो जरूर बनाएंगे क्योंकि भारत माता मंदिर बनाने का हमारा लक्ष्य तो यह है कि भारत माता भारतीयों के हृदय में रहे आज गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2024 के अवसर पर हम संकल्प लेते हैं कि अब इस परम पुनीत कार्य में हमारे प्राण भी क्यों ना चले जाएं लेकिन यह कार्य तो होकर रहेगा ।