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टीकमगढ़। मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव द्वारा आज मंडी परिसर, जिला खंडवा में आयोजित जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन समारोह एवं वाटरशेड सम्मेलन कार्यक्रम में एक लाख से कम आबादी वाले निकाय के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने पर कलेक्टर टीकमगढ़ श्री विवेक श्रोत्रिय, नगर पालिका टीकमगढ़ अध्यक्ष श्री अब्दुल गफ्फार मलिक तथा नगर पालिका टीकमगढ़ सीएमओ श्री ओमपाल सिंह भदौरिया को सम्मानित किया गया। यह सम्मान एक लाख से कम आबादी वाले निकाय के अंतर्गत खेत तालाब निर्माण, पेयजल कूप पुर्नभरण, हेण्डपंप एवं बोरवेल रिचार्ज, कपिलधारा पुर्नभरण, पुरानी बावड़ियों के जीर्णोद्धार, भू-जल संवर्धन और संरक्षण की दिषा में उत्कृष्ट कार्य करने के फलस्वरूप प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव की मंशानुसार प्रदेश में 30 मार्च से 30 जून 2025 तक जलगंगा संवर्धन अभियान चलाया गया। इस अभियान के माध्यम से प्रदेशभर के जल स्रोतों को पुनर्जीवित कर जल संवर्धन को जनआंदोलन का स्वरूप दिया गया। जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन आज 30 जून को खंडवा में आयोजित किया गया, जिसमें बेहतर काम करने वाले नगरीय निकायों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा सम्मानित किया गया। ज्ञातव्य है कि कलेक्टर श्री श्रोत्रिय के निर्देषन में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत टीकमगढ़ की राजशाही बावड़ी और तालाबों के रख रखाव के लिए समाजसेवियों के साथ मिलकर प्रयास किये गये। साथ ही लगभग 20 साल बाद महेंद्र सागर तालाब के ओवरफ्लो पानी को शहर के वृंदावन तालाब तक ले जाने के लिए करीब 2.2 किलो मीटर लंबी बंडा नाला नहर की साफ-सफाई कराई गई तथा गृह-स्वामियों की सहमति से नाले पर किए गए अतिक्रमण को भी हटवाया गया, जिससे टीकमगढ़ शहर के तालाबों का बारिश में पुर्नभरण हो सके। पठा तालाब से महेन्द्र सागर तालाब तक 8 कि.मी. के चैनल का पुनर्निर्माण तथा इसके साथ ही महेंद्र सागर तालाब पर स्थित घाट की सफाई करके रंग रोगन कराया गया, जिसमें दीवार लेखन के साथ-साथ घाट की सीढ़ियो को पुतवाया जिससे घाट की सुंदरता बढ़ गई। इसी प्रकार अभियान अंतर्गत सुधा सागर रोड स्थित मऊचुंगी पर 172 सीढ़ियों वाली बावड़ी को संरक्षित किया गया। यह बावड़ी राजशाही दौर की कला कृतियों से परिपूर्ण है। नगरीय निकाय ने सबसे पहले जन सहयोग से बावड़ी की सफाई का कार्य कराया, जिसमें कई सामाजिक संगठनों ने हिस्सा लिया। अब बावड़ी की सुंदरता बढ़ाने के लिए मरम्मत कराकर बावड़ी को व्यवस्थित कर रंग-रोगन व पुट्टी का कार्य कराया गया। इसके साथ ही जिले में स्थित अन्य बावड़ियों को भी चिन्हित करके उन्हें संरक्षित कराया गया।00:00
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