नर्मदापुरम /प्रदीप गुप्ता /———–
नन्हे कदमों की उड़ान, आपको क्या उपहार दूं ,
मुझे मिली जो मात-पिता से आओ वही सौगात दूं ,
नन्हे कदमों की उड़ान, आपको क्या उपहार दूं।
मात-पिता की सीख से जो मुझे मार्ग मिला,
उस पथ पर चलकर,
आज मुझे मान मिला सम्मान मिला
आओ तुम्हें अनुभव भरा जीवन का सत्य सार दूं ,
मुझे मिली जो मात-पिता से आओ वही सौगात दूं।
निस्वार्थ भाव से कर सेवा सब की, अपने पराए का भेद छोड़ सब को एक बराबर सत्कार दे,
जो रहना है दिलों में सबके, घमंड, लोभ, बैर , को
कहीं दूर खुद से त्याग तू
मुझे मिली जो मात-पिता से आओ वही सौगात दूं ।
जो पाना है ओहदा ऊंचा अपनों के हृदय में ,
सब का हाथ थाम, चल सबके साथ तू
नन्हे कदमों की उड़ान, आपको क्या उपहार दूं,
मुझे मिली जो मात-पिता से आओ वही सौगात दूं।
दया भाव रख सबके के प्रति
ईश्वर ने जिन जीवो में प्राण दिए
पशु, पक्षी, वृक्ष, पौधे
ये सभी हमारे स्नेह प्रेम भाव पाने के बराबर के हकदार है
हृदय में रख सेवा भाव तूं, यह मानवता की शान है
मुझे मिली जो मात-पिता से आओ वही सौगात दूं।
कर नम्र भाव से, गौ सेवा ये मानवता के सबसे उच्च विचार हैं अपने हर त्यौहार , हर्ष उल्लास पर कुछ पौधे तू लगाया कर यह भी तो बनती एक सुनहरी याद है,
रख थोड़ा दाना पानी छत पर,
पक्षी करते छत पर इसका इंतजार है
ये किस्से हैं मेरे बचपन के, आओ आपके बचपन में उतार दूं
मुझे मिली जो मात-पिता से आओ वही सौगात दूं ।
नन्हे कदमों की उड़ान, आपको क्या उपहार दूं ।
मुझे मिली जो माता-पिता से आओ वही सौगात दूं , आओ वही सौगात दूं ।