नर्मदापुरम / ग्राम बदकछार, रोरीघाट, खामखेड़ी गाँव के लगभग 200 लोग कड़कड़ाती ठंड में 24 घंटे से धरने पर बैठे है। वर्ष 2013 में इन तीनों गाँव के लोगो का विस्थापन किया परंतु 124 लोगो नाम अधिकारियों ने नहीं जोड़ा और बिना सहमति के गाँव से बेदख़ल कर दिया । 15 दिन पहले अल्टीमेटम दिया था कि अगर जल्द से जल्द समस्या का समाधान नहीं हुआ तो धरने पर बैठेंगे। आदिवासियो ने 25 दिन इंतज़ार किया, कार्यालय जाकर भी आला अफसरो से बात करने का प्रयास किया, परन्तु किसी ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया । मजबूर आदिवासी समाज के लोगो ने पचमढ़ी के गाथा स्थल से रैली निकालकर पनारपानी पहुँचे जहां से बदकछार जाने का रास्ता है। वहाँ बैनर और तख़्ती के साथ बेठ गये फारेस्ट की पूरी टीम धरने स्थल पर उपस्थित रहे। जहां तत्कालीन रेंजर संजीव शर्मा (वर्तमान AD) ने कई बार समझाने का प्रयास किया। इस दौरान तीखी बहस हुई, जिसमें AD शर्मा ने जेल में डालने की धमकी भी डी । बाद में सभी ने मामले को सम्भाला, 14 घंटे इंतज़ार के बाद रात्रि 9 बजे SDM पिपरिया पूरे अमले के साथ पहुँची। जिसमे तीन चरण में आदिवासीयो से वार्ता किया किंतु कोई हल नहीं निकल पाया । रात्रि में हमारा गाँव संगठन के प्रदेश संयोजक दुर्गेश धुर्वे ने क्रांति है पुकारती तू सो रहा जवान है, गीत गाकर लोगो को मज़बूती से लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया । धरने के दौरान मनोज कलम, पूजा कलम, नर्मदाप्रसाद नागले, मंजे सोलंकी, लखवीर सिंह, संजय, शुभम, कमलेश उईके, विजय सिंह शीलू, महेंद्र सहित सेंकडो लोग उपस्थित रहे।
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