नर्मदापुरम / राज्यसभा सांसद श्रीमती माया नारोलिया ने दिल्ली में सदन के माध्यम से अत्यंत महत्वपूर्ण विषय की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने ध्यान आकर्षित करते हुए सदन में कहा कि भारतीय रेल के रूपांतरण पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए खड़ी हुई हूँ । यह परिवर्तन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और हमारे कर्मठ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रभावी प्रयासों के कारण संभव हुआ है। भारतीय रेल के आधुनिकीकरण और विस्तार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अत्यंत सराहनीय रही है, और मैं इस क्षेत्र में सरकार की उल्लेखनीय उपलब्धियों को साझा करने में गर्व महसूस कर रही हूँ। पिछले एक दशक में भारतीय रेल ने एक बड़ा बदलाव देखा है। कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े इस प्रगति को दर्शाते हैं:
● विद्युतीकरण: 2023 तक भारतीय रेलवे के ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 85% से अधिक विद्युतीकरण हो चुका है, जबकि 2014 में यह केवल 45% था। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसने भारतीय रेल को दुनिया के सबसे बड़े हरित रेल नेटवर्क में शामिल कर दिया है।
● नई पटरियाँ और दोहरीकरण: 30,000 किलोमीटर से अधिक नई रेल पटरियाँ बिछाई गई हैं, और 15,000 किलोमीटर से अधिक मार्गों पर दोहरीकरण/तिहरीकरण पूरा किया गया है, जिससे भीड़भाड़ कम हुई है और दक्षता में वृद्धि हुई है।
● वंदे भारत ट्रेनें: 2024 तक 51 वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत हो चुकी है, जो विश्व स्तरीय सुविधाओं और 160-180 किमी/घंटे की गति से रेल यात्रा को नए स्तर पर ले गई हैं।
● मालवाहन गलियारे: 2,800 किलोमीटर लंबे पूर्वी और पश्चिमी समर्पित मालवाहन गलियारे लगभग पूर्ण होने के कगार पर हैं, जिससे मौजूदा रेल मार्गों की भीड़ कम होगी और भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
मध्य प्रदेश, मेरा गृह राज्य, भी इस परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण लाभार्थी रहा है। इटारसी-नागपुर लाइन के दोहरीकरण, भारत के पहले विश्व-स्तरीय स्टेशन हबीबगंज (रानी कमलापति रेलवे स्टेशन) के पुनर्विकास और भोपाल, इंदौर, जबलपुर को जोड़ने वाली वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत से राज्य के लोगों को अत्यधिक सुविधा मिली है। इसके अतिरिक्त, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक और दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे पुल—चिनाब ब्रिज—जैसी इंजीनियरिंग उपलब्धियाँ मोदी सरकार की दूरदृष्टि को दर्शाती हैं, जिसने दुर्गम क्षेत्रों तक रेल कनेक्टिविटी सुनिश्चित की है।
वर्ष 2025 का रेल बजट इस मजबूत नींव पर आगे बढ़ रहा है। रेल क्षेत्र के लिए ₹2.65 लाख करोड़ के ऐतिहासिक आवंटन के साथ, सरकार ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
● 400 नई वंदे भारत ट्रेनें: इससे देशभर में कनेक्टिविटी और यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
● ‘कवच’ एंटी-कोलिजन सिस्टम: इस स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली का विस्तार उच्च घनत्व वाले सभी रेल मार्गों तक किया जाएगा, जिससे रेल यात्रा अधिक सुरक्षित होगी।
● अमृत भारत स्टेशन योजना: 1,300 स्टेशनों के पुनर्विकास की योजना है, जिससे आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी और यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी।
● हरित पहल: भारतीय रेलवे 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। सौर ऊर्जा से संचालित स्टेशन, जैव-शौचालय, और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग जैसी पहल इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होंगी।
हालाँकि, इन उपलब्धियों का उत्सव मनाते समय, हमें अतीत को भी याद रखना चाहिए। पिछली सरकारों ने दशकों तक रेलवे की उपेक्षा की। परियोजनाएँ लंबित रहीं, सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज किया गया, और आधुनिकीकरण की गति धीमी रही। उदाहरण के लिए, 2009 से 2014 के बीच रेलवे में वार्षिक निवेश औसतन केवल ₹45,000 करोड़ था, जबकि 2025 में यह राशि ₹2.55 लाख करोड़ तक पहुँच गई है। नतीजतन, उस समय की रेलवे व्यवस्था देश की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ रही। आज, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारतीय रेलवे न केवल उन चुनौतियों से उबर चुकी है, बल्कि नवाचार और दक्षता के लिए एक वैश्विक मानक भी बन गई है।
अंत में, मैं यह दोहराना चाहूँगी कि भारतीय रेलवे केवल एक परिवहन माध्यम नहीं रह गई है, बल्कि यह भारत की विकास गाथा का प्रतीक बन गई है। बजट 2025 के माध्यम से, सरकार ने फिर से यह सिद्ध किया है कि वह एक ‘नए भारत’ के निर्माण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है—एक ऐसा भारत जो जुड़ेगा, आधुनिक बनेगा और आत्मनिर्भर बनेगा। मैं इस सदन के सभी सदस्यों से इन परिवर्तनकारी पहलों का समर्थन करने और विश्व स्तरीय भारतीय रेलवे के निर्माण में योगदान देने का आह्वान करती हूँ।
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