टीकमगढ़। विश्व शान्ति महायज्ञ एवं धर्म सभा श्री भगवान चद्रांप्रभू जिनालय अतिशय क्षेत्र हटा जी , मंदिर प्रांगण में सिद्धचक्र महामंडल विधान अन्तिम दिन श्री जी शोभा यात्रा सिद्धों की आराधना के समापन अवसर परआचार्य श्री 108 विभव सागर जी महाराज द्धारा प्रवचनों मे कहा कि यदि तुम संतों का सत्संग करते हो तो यह आपके जीवन की पहली भक्ति है। परमात्मा के पास पहुँचना दूसरी भक्ति है। संत किसके होते हैं? किस समाज के होते हैं ? यह हम जानें। संत ढाई अक्षर का शब्द है, सम्यक् तपस्या करने वाला संत होता है। संत चाहे किसी भी समाज का हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी धर्म को मानने वाला हो। जो सम्यक् तपस्या कर रहा है, सम्यक् तपश्चरण कर रहा है, सम्यक् त्याग कर रहा है, सम्यक् तत्त्व को जानने वाला संत है। संत के वचन और सूर्य की किरणें सम्पूर्ण सृष्टि के लिए हुआ करती हैं।सूर्य किसके लिए है ? हिन्दू समाज के लिए ? मुस्लिम समाज के लिए ? बौद्ध समाज के लिए ? या जैन समाज के लिए ? बता सकते हैं आप ? सूर्य ने कभी भेदभाव नहीं किया कि मैं इस समाज को प्रकाश दूँगा, इस समाज को प्रकाश नहीं दूँगा।जब-जब सूर्योदय होता है, वह सभी की छतों पर प्रकाश देता है। सूर्य प्रकाश सभी के लिए देता है लेकिन जो आँखें खोलते हैं उन्हीं को सूर्य का प्रकाश दिखाई देता है। पृथ्वी किसके लिये है? उसमें कोई बँटवारा किया गया क्या ? जल किसके लिए है? किसके लिए जल ठण्डा लगेगा? किसके लिए जल गरम लगेगा ? अम्नि किसके लिए है? वायु किसके लिए है ? वायु ने कभी भेदभाव किया क्या ? कि तुम्हारे लिए ऑक्सीजन दूँगी और तुम्हारे लिए ऑक्सीजन नहीं दूंगी। मैं हिन्दुओं के लिए तो ऑक्सीजन दूँगी लेकिन इस्लाम के लिए नहीं दूँगी। ऐसा भेदभाव वायु नहीं करती है, उसी तरह संत पृथ्वी के समान, जल के समान,अग्नि के समान और वायु के समान है। संत आँगन नहीं आकाश है, श्रावक का जीवन आँगन की तरह होता है और संत आकाश की तरह होते हैं। जिस प्रकार आकाश सभी पक्षियों के लिए एक समान है, सभी पक्षी समान रूप से विचरण कर सकते हैं। उसी तरह संत का आशीर्वाद सम्पूर्ण सृष्टि के लिए, सर्व समाज के लिए कल्याणकारी आशीर्वाद प्रदान करता है। हमारे गुरुदेव परमपूज्य आचार्य विराग सागर जी महाराज कहा करते हैं-जिस तरह सूर्य सभी की छतों पर जाकर प्रकाश देता है, उसी तरह से संत को बिना भेदभाव किये समग्र सृष्टि को अपना आशीर्वाद देना चाहिए। उन्हीं गुरुदेव के मंगलमय आशीर्वाद को हृदयस्थ करते हुए आप सभी के जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम समाये हुये हैं। मैं आपसे इतना ही कहना चाहता हूँ कि आप इतने दरिद्र मत बनना कि आपके द्वार पर कोई ज्ञान का प्रकाश बाँटे और आप सोते रहे।।आयोजन समिति मे व्यवस्था सयोजक पवनघुवारा ने प्रेस विज्ञप्ति मे जानकारी दी यह विश्व शान्ति महायज्ञ एवं धर्म सभा का आयोजन सेठ वीरचंद सुनील कुमार अशोक क्रांतिकारी रसबंश परिवार निवासी हटा, बल्देवगढ़़ द्बारा किया जा रहा है जिसमें भक्ति करने का सौभाग्य टीकमगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार पप्पू मलिक , परितोष व्यास सहित ग्रामीणों क्षेत्रीय सैकड़ों की संख्या में जन समुदाय द्धारा गुरु प्रसाद ग्रहण कर सभी को धर्म लाभ प्राप्त हुआ ।

