इटारसी : समाचार पत्र दिन-प्रतिदिन अपने बढ़ते हुए महत्व के कारण सभी क्षेत्रों में बहुत ही प्रसिद्धि प्राप्त कर रहे है । विद्यार्थियों के लिए समाचार पत्र पढ़ना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सभी के बारे में सामान्य जानकारी देता है । इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए रानी अवंती विद्या निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल द्वारा विद्यार्थियों को समाचार पत्र के इतिहास एवं उनके सकारात्मक प्रभावों को बताया गया। साथ ही नर्मदा समय संपादक डॉ प्रताप सिंह वर्मा द्वारा नर्मदा समय समाचार पत्र को विद्यार्थियों के बीच विमोचित किया गया।
उन्होंने बताया कि समाचार पत्र विद्यार्थियों के लिए क्यों आवश्यक है क्योंकि उनकी किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी नौकरी के लिए तकनीकी या प्रतियोगी परीक्षा को पास करने में समाचार पत्र मदद करता है ।
समाचार पत्र समाज और देश में हो रही घटनाओं पर आधारित एक प्रकाशन है । जिससे हमें : घटनाएँ, खेल-कूद, व्यक्तित्व, राजनीति, विज्ञापन की जानकारियाँ प्राप्त होती है । यह प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक एवं छमाही भी होतें हैं । अधिकतर समाचार पत्र स्थानीय भाषाओं में और स्थानीय विषयों पर केन्द्रित होते हैं।
समाचार पत्र का इतिहास
भारत में ब्रिटिश शासन के द्वारा अखबारों की शुरुआत मानी जाती है। लेकिन उसका स्वरूप अखबारों की तरह बिल्कूल नहीं था । वह बस एक पन्ने का सूचनात्मक पर्चा सा था। पूर्णरूपेण अखबार बंगाल से ‘बंगाल-गजट’ के नाम से वायसरायहिक्की द्वारा निकाला गया था। शुरुआत में अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए इस अखबारों का इस्तेमाल किया। तब सारे अखबार अंग्रेज़ी में प्रकाशित हो रहे थे। जिसके कारण बहुसंख्यक लोगों तक खबरें और सूचनाएँ नहीं पहुँच पाती थीं। खबरों को काफ़ी तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता था । जिसके चलते अंग्रेज़ी सरकार के अत्याचारों की खबरों को दबाया जा सके ।
उस समय अंग्रेज़ों की क्रुरता काफी हद तक बड़ गई थी । सिपाही किसी भी क्षेत्र में घुसकर मनमाना व्यवहार कर रहे थे । वह जहां भी जा रहे थे वहाँ अपना आतंक फैलाते रहते थे । शासन उनका होने के कारण उन पर ना तो मुकदमे हो रहे थे और न ही उन्हें कोई दंड ही दिया जा रहा था । इन सब परिस्थितियों को लोग खामोशी से झेलते आ रहे थे ।
इस दौरान भारत में ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘नेशनल हेराल्ड’, ‘पायनियर’, ‘मुंबई-मिरर’ जैसे अखबार अंग्रेज़ी में निकलते थे । जिसमें उन अत्याचारों का उल्लेख कम होता था । इन अँग्रेजी पत्रों के अतिरिक्त बंगला, उर्दू आदि में पत्रों का प्रकाशन तो होता रहा, लेकिन उसका दायरा सीमित था । उसे कोई बंगाली पढ़ने वाला या उर्दू जानने वाला ही समझ सकता था । ऐसे में पहली बार 30 मई 1826 को हिन्दी का प्रथम पत्र ‘उदंतमार्तंड’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ ।
समाचार पत्र का सकारात्मक प्रभाव
समाचार पत्र समाज के लोगों को सकारात्मक रुप से प्रभावित करता है क्योंकि आज के समय में सभी लोग देश की सामयिक घटनाओं को जानने में रुचि रखने लगे हैं । समाचार पत्र सरकार और लोगों के बीच जुड़ाव का सबसे अच्छा तरीका है ।
यह लोगों को पूरे संसार की सभी बड़ी व छोटी खबरों का विवरण प्रदान करता है । यह देश के लोगों को नियमों, कानूनों और अधिकारों के बारे में जागरूक बनाता है । समाचार पत्र विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होते हैं । कुछ लोगों में समाचार पत्र को प्रत्येक सुबह पढ़ने की आदत होती है । वे समाचार पत्र की अनुपस्थिति में बहुत अधिक बेचैन हो जाते हैं ।
समाचार पत्रों में सामाजिक मुद्दों, मानवता, संस्कृति, परम्परा, जीवन-शैली, ध्यान, योगा आदि जैसे विषयों के बारे में कई सारे अच्छे लेख संपादित होते हैं । यह सामान्य जनता के विचारों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है और बहुत से सामाजिक तथा आर्थिक विषयों को सुलझाने में हमारी सहायता करता है । इसके साथ ही समाचार पत्रों के द्वारा हमें राजनेताओं, सरकारी नीतियों तथा विपक्षी दलों के नीतियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है ।
यहीं कारण है कि वर्तमान समय में समाचार पत्र को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है । ज्ञानवर्धक लेख एवं ताजे समाचार पढ़ने के लिए कृपया हमारा नर्मदा समय ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पेज फॉलो करें ।
कार्यक्रम में स्कूल उप प्राचार्य देवेंद्र चौरे, कोऑर्डिनेटर शीशा गोस्वामी,अंजलि कौशल, देविका मिश्रा, निकिता बामने, शिखा सोलंकी, अंजली सोनी, दीक्षा राजपूत, रश्मि उइके, सलोनी कहार शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं ।