

इटारसी / सकल हिन्दू समाज के साथ अखिल भारत हिन्दु महासभा एवं विश्व हिन्दू परिषद का विरोध प्रदर्शन रेलवे स्टेशन के सामने हनुमान मंदिर मे आज हुआ। इस अवसर पर मंच संचालन कर रहे चेतन सिंह राजपूत ने कहा कि प्रशासन ने समाज को आज तक अंधेरे में रखा है, कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला इसलिए सांकेतिक रूप से धरना प्रदर्शन करना पड़ा। पहले प्रशासन मंदिर का पट्टा देने का बोल रहा था और अब दान पत्र लिखवाने की कह रहे हैं। शिव राठौर ने कहा कि मंदिर के पीछे से दोनों तरफ से अतिक्रमण हटाकर सड़क निकल जाए। यश शर्मा ने कहा कि यह लड़ाई यहाँ समाप्त नही हुई अपितु यहाँ से प्रारम्भ होती है,यह सिर्फ संकेत था। अगर हमारी मांगे पूरी नही हुई तो उग्र आंदोलन किया जायगा। कन्हैया रैकवार ने कहा कि प्रशासन को अन्य अतिक्रमण नहीं दिखते केवल मंदिर ही अतिक्रमण में दिखते हैं क्योंकि हिंदू समाज सोया हुआ है। प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि हनुमान जी महाराज प्रशासन को सद्बुद्धि प्रदान करे। हनुमानजी यदि पीपल के पेड़ की छांव से विस्थापित नहीं होना चाहेंगे तो प्रशासन भी कुछ नहीं कर पायेगा।
कुनाल सराठे ने कहा कि प्रशासन मंदिर विस्थापन का कार्य बिना हिंदू समाज की सहमति से करने का प्रयास कर रहा है जो कि गलत है।
डॉ. सुभाष दुबे ने कहा कि शासन को चाहिए कि पहले सबकी सहमति बनाएं उसके बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभ करें। उदय मसानिया ने कहा कि प्रशासन को हर जगह अपने निर्णयों से मुंह की खानी पड़ रही है चाहे वह बस स्टैंड का मामला हो या फल बाजार का। मातृशक्ति ने कहा कि बिना नक्शा एस्टीमेट के कोई कैसे कार्य कर सकता है। नितिन मेषकर ने कहा कि प्रशासन अगर बिना अतिक्रमण हटाए निर्माण करता है तो उग्र आंदोलन के लिए सभी तैयार रहें।
उक्त अवसर पर अखिल भारत हिंदू महासभा से उदय मसानिया, पं. मदन मोहन दुबे, जितेंद्र कुमार मालवीय, लक्ष्मी नारायण यादव, मयंक रैकवार, अनिल मेहरा, कार्तिक प्रजापति, राहुल गोस्वामी, अमित मिश्रा, गोविंद केवट, महेश कुमार, रमन प्रजापति, प्रेम ठाकुर, प्रियंका रिछारिया, नीतू रामहरिया, संध्या चौहान, ममता सोनी एवं विश्व हिंदू परिषद से अनुरुद्ध चंसौरिया, अनूप तिवारी, प्रवीण अवस्थी, जयपाल राजपूत, प्रमोद गालर, अजय सिंह भदौरिया, प्रदीप कैथवास, कुलदीप रावत, प्रदीप मालवीय, अनीता तिवारी, आरती मालवीय, अर्चना सातपुते, प्रदीप दायमा, सुरेंद साहू, सुशील गौहर, सनूप सिंह यदुवंशी, तनिष्क शर्मा, सूरज राजपूत, दुष्यन्त भदरेले, इंदर मेहरा उपस्थित रहे।

