टीकमगढ़। विकासखंड की कुछ- एक ग्राम पंचायतों में हरिजन आदिवासियों की जमीनों को टारगेट बनाया जा रहा है और मिलीभगत के चलते उनकी जमकर खरीद-फरोख्त की जा रही है या फिर उन पर दबंग के साथ अवैध रूप से कब्जा किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में हरिजन आदिवासियों की जमीनों पर चलती और पहुंच बालों की नजरें हैं जिन्हें कौंड़ियों के भाव खरीदा जा रहा है इन हरिजन आदिवासियों को कई प्रकार के झांसे या प्रलोभन देकर या फिर उनसे कोई भी मजबूरी का बहाना बनवाकर जिला प्रशासन से अनुमति ली जा रही है और जमीने बेधड़क बेखौफ खरीदीं जा रहीं हैं हालांकि यह खेल जिले भर में चल रहा है जिस पर विराम लगना आवश्यक है और इस ओर जिला प्रशासन की जांच पड़ताल एवं पैनी नजर की आवश्यकता है यहां तक की इन मामलों में जिला प्रशासन तक को गुमराह कर अनुमति कराई जाती है जो आवेदन जिला प्रशासन तक इन हरिजन आदिवासियों की जमीनों की खरीद-फरोख्त के लिए जाते हैं उनको स्वीकृति दे दी जाती है जबकि उन हरिजन आदिवासियों की जमीनों को बैंचने के कारण या वजह तक जिला प्रशासन को पहुंचना चाहिए और उनकी वास्तविकता पता करना चाहिए कि हालांकि उसकी मजबूरी है या नहीं भी ,लेकिन ऐसा नहीं होता जिसके चलते इन हरिजन आदिवासियों की जमीनों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चलती वाले और पहुंच वाले टारगेट बने हुए हैं और उनकी जमीनें खरीदी जा रही है ।…. स्वीकृति को लेकर होनी चाहिए बारीकी से जांच…. अगर जिला प्रशासन के पास किसी हरिजन आदिवासी की जमीनों के क्रय विक्रय का आवेदन पहुंचता है तो उसकी बारीकी से जांच होना चाहिए और उसकी वास्तविकता तक पहुंचना चाहिए कि आखिरकार उसकी ऐसी क्या मजबूरी है तभी इन खेलों पर विराम लग सकता है और हरिजन आदिवासियों की जमीनों को बचाया जा सकता है। हरिजन आदिवासियों की जमीनों को टारगेट बना रहे ऐसे लोग गांव गांव में सक्रिय हो गए हैं और इन खेलों में लगे हुए हैं जहां कुछ बड़े लोग भी इनके मददगार बनकर इन मामलों में संलिप्त होते हैं जिसके चलते अब वह दिन दूर नहीं कि जब जिले में हरिजन आदिवासियों की जमीनों का प्रतिशत बढ़ने की वजह घट जाएगा और कई हरिजन आदिवासी भूमिहीन नजर आएंगे। उल्लेखनीय है कि जहां एक और शासन तरह-तरह की योजनाएं चलाकर इन हरिजन आदिवासियों की सफलता और विकास के लिए दिन रात मेहनत कर तमाम प्रकार की सुविधाएं दे रहा है और इन्हें विकासशील राह पर ले जाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहा है लेकिन वास्तविक जमीनी हकीकत कुछ और ही है जहां इन हरिजन आदिवासियों को जस की तस स्थितियों में लाया जा रहा है जो एक चिंता का विषय है और इस ओर कार्यवाहियों की बारीकी शासन जिला प्रशासन की बहुत जरूरी है। जबकि शासन की इतनी संचालित इन हरिजन आदिवासियों की हितकर योजनाएं हैं कि इन्हें जमीनें बैंचने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़नी चाहिऐ यहां तक कि बेटियों की शादी, बेटियों की शिक्षा दीक्षा, बेटियों की शादी विवाह की व्यवस्था ,खानपान के लिए व्यवस्था और इलाज की समुचित व्यवस्था ,आवास की व्यवस्था ,प्रसव आदि की व्यवस्था यह सभी व्यवस्थाएं शासन की ओर से संचालित हैं लेकिन फिर भी हरिजन आदिवासियों की जमीनों के खरीद-फरोख्त के मामले सामने आते हैं जहां यह भी एक विचारणीय विषय है जिस पर भी शासन जिला प्रशासन को ध्यान देना होगा।

