डॉ प्रताप सिंह वर्मा, संपादक, नर्मदा समय
आधुनिक भारत के शिल्पकार के रूप में विश्व में विख्यात राजीव गांधी हमारे देश के एक ऐसे दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने हम सभी देशवासियों को 21वीं सदी के आधुनिक भारत के निर्माण का बहुत ही बेहतरीन शानदार सपना दिखाया और उसको पूरा भी किया। राजीव गांधी जी ने अपने सपने को देश के धरातल पर मूर्तरूप देकर उतारने के लिए अपने प्रधानमंत्री के बहुत छोटे कार्यकाल में ही बहुत तेजी से युद्धस्तर पर कार्य करना शुरू कर दिया था। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था जिसके चलते उन्होंने हम से राजीव गांधी जी को असमय बहुत ही जल्दी छीन लिया, उनका असमय यूं दुनिया से चले जाना कही ना कही देश के विकास में गतिरोधक भी बना। भारतीय इतिहास में वो काला दिन था 21 मई 1991 को जिस दिन अचानक सभी देशवासियों को अंदर तक झकझोर देने वाली खबर प्रसारित हुई की भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर में एक आत्मघाती विस्फोट हमले में कर दी गयी है।
देश के आम व खास सभी लोगों को झकझोर देने वाली इस दुखद खबर से अचानक ही देश में हर तरफ शोक की लहर दौड़ पड़ी थी, प्रत्येक भारतवासी अवाक रह गया, करोड़ों लोग स्तब्ध रह गये कि ये देश पर अचनाक कैसा वज्रपात कैसे हो गया। उस समय देश के अधिकतर लोगों की आँखों में आंसू थे, लोगों की आँखों के ये आंसू भारत के महान सपूत अपने लाड़ले जनप्रिय नेता के लिए थे ना कि ये आंसू किसी राजनैतिक दल के नेता के लिए थे। ये उस आंसू व्यक्ति के लिए थे जिसे ये भारतवासी दिलोजान से चाहते थे, जो आतंकियों के हमले के चलते असमय काल का ग्रास बन गये थे। लोगों की ये पीढ़ा भारतीय राजनीति के उज्जवल भविष्य के उस चेहरे राजीव गांधी के लिए थी। उस दिन देश में हर तरफ शोक का गमगीन माहौल लोगों को बार-बार यह एहसास जरूर करवा रहा था कि आज देश में कोई बहुत ही बड़ी त्रासदी हुई है। राजीव गांधी के बाद कई नेताओं का दुनिया व हमारे देश में देहांत हुआ है लेकिन फिर कभी देश को वैसी पीड़ा और कष्ट शायद ही कभी हो। इस सबके लिए जिम्मेदार था राजीव गांधी जी का कुशल व्यवहार व देश के आमजनमानस के उज्जवल भविष्य के लिए दिल से सोच कर नीतियों को बनाने वाली उनकी कार्यशैली। इसलिए राजीव गांधी जी के बारे में यह कहना उचित होगा कि कु्छ लोग ताउम्र लोगों के दिलोदिमाग पर छा जाते है।
राजीव गांधी भी एक ऐसी ही महान शख़्सियत थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में केवल भारत की ज़मीन पर राज ना करके बल्कि देशवासियों की सेवा करके उनके दिलों पर हुकूमत की थी। भले ही आज राजीव गांधी जी इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन फिर भी वो करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा ज़िंदा हैं और रहेंगे। चाहें कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल उनकी छवि को खराब करने के लिए कितने भी प्रयास कर ले, लेकिन देश के विकास में उनके अनमोल योगदान को कभी भुला नहीं सकता है। आज हमारे देश में ओछी राजनीति के चक्कर में अपने ही पूर्वजों व महापुरुषों का चरित्र हनन करने का जो फैशन चल पड़ा है वह ठीक नहीं है, हमको समझना होगा कि महापुरुष देश की अनमोल धरोहर होते है, वो किसी एक राजनीतिक दल का बपोती नहीं होते है, इतिहास को कुरेद-कुरेद कर उनकी छवि को खराब करना कहीं से भी सही नहीं है। अपने स्वभाव से बेहद धीर गंभीर राजीव गांधी जी आधुनिक सोच और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले असाधारण व्यक्तित्व के व्यक्ति थे, वो भारत को विश्व की अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करके भारत को ताकतवर विकसित देशों की श्रेणी में जल्द से जल्द लाना चाहते थे। राजीव अक्सर कहा करते थे कि भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखते हुए उनका सबसे बड़ा सपना इक्कीसवीं सदी के आधुनिक विकसित भारत का निर्माण करने का है।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। वे सिर्फ़ तीन साल के थे, जब देश आज़ाद हुआ और उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी ने अपना बचपन अपने नाना के साथ तीन मूर्ति हाउस में बिताया था, जहां इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री नेहरू की परिचारिका के रूप में काम करती थी। वे कुछ वक़्त के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी गए, लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया। बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया, जहां दोनों साथ रहे। स्कूल से निकलने के बाद राजीव गांधी कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए, लेकिन जल्द ही वे वहां से हटकर लंदन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए वहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनके सहपाठियों के मुताबिक़ उनके पास दर्शन, राजनीति या इतिहास से संबंधित पुस्तकें न होकर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग की बहुत सारी पुस्तकें हुआ करती थीं। हालांकि उनकी संगीत में बहुत दिलचस्पी थी उन्हें पश्चिमी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय और आधुनिक संगीत पसंद था। उन्हें फ़ोटोग्राफ़ी और रेडियो सुनने का भी ख़ासा शौक़ था, हवाई जहाज उड़ाना उनके जीवन का सबसे बड़ा जुनून था। इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ़्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास की और व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस हासिल किया। इसके बाद वे 1968 में घरेलू राष्ट्रीय जहाज़ कंपनी इंडियन एयरलाइंस के सफल पायलट बन गए।
बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज में पढ़ रही इटली की एंटोनियो माइनो ( सोनिया गांधी) जो उस वक़्त वहां अंग्रेज़ी भाषा की पढ़ाई कर रही थीं से वर्ष 1968 में नई दिल्ली में शादी कर ली। वे अपने दोनों बच्चों राहुल और प्रियंका के साथ नई दिल्ली में इंदिरा गांधी के निवास पर रहकर ख़ुशी-ख़ुशी अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे। तब ही 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में उनके भाई संजय गांधी की मौत ने उनके जीवन के हालात एकाएक बदल कर रख दिए। उन पर राजनीति में आकर अपनी माँ इंदिरा की मदद करने का जबरदस्त दबाव बनने लगा। फिर कई अंदरूनी और बाहरी चुनौतियां भी राजीव जी के सामने आईं। पहले उन्होंने इन सबका काफ़ी विरोध किया, लेकिन बाद में उन्हें अपनी माँ इंदिरा गांधी की बात माननी पड़ी और वो इस तरह न चाहते हुए भी देश की सियासत में आ ही गए। राजीव जून 1981 में अपने भाई संजय की मौत की वजह से ख़ाली हुई उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़कर विजयी बने। फिर उन्हें नवंबर 1982 में भारत में हुए एशियाई खेलों से संबंधित महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने बख़ूबी अंजाम दिया। साथ ही कांग्रेस के महासचिव के तौर पर उन्होंने उसी लगन से काम करते हुए पार्टी के संगठन को अच्छे से व्यवस्थित और सक्रिय किया था।
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मात्र चालीस वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले युवा राजीव गांधी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे। जब 31 अक्टूबर 1984 को वे कांग्रेस अध्यक्ष और देश के प्रधानमंत्री बने थे तो उस समय देश के सामने बहुत सारी ज्वलंत विकराल समस्याएं खड़ी थी, जैसे कि पंजाब, असम और मिजोरम अंदरूनी हिंसा में जल रहे थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब और दिल्ली में सिख विरोधी दंगे चल रहे थे। अवैध प्रवासियों के खिलाफ नस्लीय हिंसा से असम भी जबरदस्त ढंग से झुलस रहा था। मिजोरम में भी विद्रोह के बिगुल बज रहे थे। लेकिन उन्होंने देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री और बेहद कम अनुभवी होते हुए कभी भी इन सभी बेहद ज्वंलत समस्याओं से मुंह नहीं चुराया, उन्होंने अपनी व्यवहार कुशलता, सादगी और बिना अहंकार की भावना के गलतियां सुधारने की कोशिश से उन्होंने समस्याओं का धीरे-धीरे समाधान करना शुरू किया।
हालांकि इस बीच उन्होंने देश में लोकसभा के चुनाव कराने का आदेश दिया और बेहद दुखी होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी हर ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाया। महीने भर की लंबी चुनावी मुहिम के दौरान उन्होंने पृथ्वी की परिधि के लगभग डेढ़ गुना के बराबर दूरी की यात्रा करते हुए देश के तक़रीबन सभी हिस्सों में जाकर 250 से अधिक जनसभाएं कीं और वह खुद देश के लाखों लोगों से रूबरू हुए। उस लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल हुई थी। जिसके बाद उन्होंने अपने इक्कीसवीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिए देश के कई क्षेत्रों में बहुत तेजी से नई पहल करने की शुरुआत की, जिसमें संचार क्रांति, कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। राजीव गांधी जी देश की कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। वे युवाओं के साथ-साथ देश के हर वर्ग की उम्र के लोगों व समाज के लोकप्रिय नेता थे। लोग उनका भाषण सुनने के लिए घंटों-घंटों तक इंतज़ार किया करते थे। राजीव गांधी के कुशल व्यवहार के उस समय के विपक्षी दलों के नेता भी भी कायल थे, वह अपने विरोधियों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहते थे।
उन्होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। आज हर हाथ में दिखने वाला मोबाइल व हर घर में कम्प्यूटर राजीव गांधी के उन्हीं शानदार फ़ैसलों का शानदार नतीजा है। राजीव गांधी को अपनी सुरक्षा में तैनात बहुत सारे सुरक्षाकर्मियों का घेरा बिलकुल पसंद नहीं था। वे अक्सर अपनी जीप खुद ड्राइव करना पसंद करते थे। राजीव गांधी जी ने जी ने भारतीय राजनीति के पन्नों पर जब अपनी सोच, अपने सपनों को उकेरना शुरू किया, तो सबको स्पष्ट नज़र आने लगा कि उनकी सोचा देश में चल रही पुराने ढर्रे की राजनीति से बिल्कुल अलग है और वह देश को एक नया मुकाम प्रदान करेंगे।
राजीव गांधी जी ने अपने कार्यकाल में देश के निर्माण के लिए काफी महत्वपूर्ण कार्य थे। उन्हें जब वर्ष 1982 में एशियाई खेलों की आयोजन समिति में शामिल किया गया तो उन्होंने सफलतापूर्वक इन खेलों का आयोजन करा कर ज़िम्मेदारी को बख़ूबी अंजाम दिया था । राजीव गांधी जी को ही भारत में सूचना क्रांति के जनक माना जाता है, देश में कंप्यूटराइजेशन और टेलीकम्युनिकेशन क्रांति का श्रेय उन्हें जाता है। राजीव गांधी ने वर्ष 1986 में अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में देश में आईटी और टेलीकॉम क्षेत्र में जबरदस्त क्रांति लाने का काम किया, वो सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की भूमिका को बहुत अहम मानते थे। उन्होंने ही देश में सबसे खास तकनीक कंप्यूटर के इस्तेमाल को आम आदमी के लिए करवाने की शुरुआत की थी। साइंस और टेक्नॉलोजी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सरकारी बजट बढ़ाए। जिसके चलते आज भी देश में रोजगार के भरपूर अवसर हम सभी भारतवासियों को सम्पूर्ण विश्व में मिल रहे है, उसी के चलते आज भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत हुई हैं।
राजीव गांधी ने ही वर्ष 1986 में शिक्षा का स्तर सुधारने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एलान किया। जिसके चलते ही देश में जवाहर नवोदय विद्यालयों का निर्माण किया गया, जिस में आज लाखों ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अच्छी उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल रही है। राजीव गांधी ने वर्ष 1986 में महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की स्थापना की थी। जिसकी पब्लिक कॉल ऑफिस (PCO) के जरिए एक तरफ जहां देश के शहरी व ग्रामीण इलाकों में संचार सेवा का बहुत तेजी से विस्तार हुआ था वहीं दूसरी तरफ लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर मिले थे। राजीव जी ने गांव-गांव को टेलीफोन से जोड़ने और कंप्यूटर के जरिए महीनों का काम मिनटों में करने की बात की थी राजीव गांधी का सपना था कि हमारे देश के गांव-गांव में टेलीफोन पहुंचे और कंप्यूटर शिक्षा का देश में जमकर प्रचार-प्रसार हो। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में राजीव गांधी ने देश की युवाशक्ति को अत्याधिक बढ़ावा दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि देश का विकास युवाओं के द्वारा ही हो सकता है। देश के युवाओं को रोजगार मिले, इसके लिए वो हमेशा प्रयासरत रहे और उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जवाहर रोजगार योजना शुरू की थी, जिसने देश के युवाओं की तकदीर ही बदल दी थी। राजीव गांधी ने स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को 33% रिजर्वेशन दिलवाने का काम किया, उन्होंने मतदाता की उम्र 21 वर्ष से कम करके 18 वर्ष तक के युवाओं को चुनाव में वोट देने का अधिकार दिलवाया।
राजीव गांधी ने अपने “पावर टू द पीपल” आइडिया के चलते ही देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू करवाने की दिशा में कदम उठाये थे और उनकी इसी सोच के चलते अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) सत्रों ने हमेशा देश के लिये नीतियां बनाने की बुनियाद रखी है और फरवरी 1989 का सत्र भी इस दृष्टि से ऐतिहासिक माना जाता है, क्योंकि उस समय कांग्रेस ने संकल्प पारित किया था कि ”स्वतंत्र भारत में दसवां मील का पत्थर पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देना है।” एक ही झटके में राजीव गांधी और कांग्रेस पार्टी ने ग्रामीण बेरोजगार, अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति, महिलाओं और ग्रामीण भारत के अन्य अल्पसंख्यक समूहों को संवैधानिक शासन के दायरे में ला दिया। ये सारे वर्ग ऐसे हैं जो पहले लोकतंत्र के फायदों और भारत की विकास प्रक्रिया से से लगभग अछूते रहते थे। राजीव गांधी जी के प्रयासों से देश में लोकतांत्रिक भारत की बुनियाद तैयार हो चुकी थी। यह कदम ही राजीव जी के सपनों के भारत की बुनियाद था, क्योंकि उन्होंने पंचायती राज के जरिए देश में एक साथ दो काम करके गांवों को अपने विकास का अधिकार और उसमें महिलाओं को एक तिहाई हिस्सेदारी दे दी थी।
उन्होंने देश की नौकरशाही में सुधार लाने और देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए काफी कारगर क़दम उठाए। सत्ता के विकेंद्रीकरण के अलावा राजीव गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 1989 में 5 दिन काम का प्रावधान भी देश में लागू किया था। राजीव गांधी ने कुछ सेक्टर्स में सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की कोशिश भी की थी। यह सब देश से बड़े पैमाने पर नियंत्रण और लाइसेंस राज के खात्मे की एक जबरदस्त शुरुआत थी। राजीव गांधी जी ने इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स घटाया, देश के जटिल लाइसेंस सिस्टम को बेहद सरल किया और कंप्यूटर, ड्रग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से सरकारी नियंत्रण को खत्म किया। साथ ही कस्टम ड्यूटी भी घटाई और निवेशकों को बढ़ावा दिया। देश की बंद अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया की खुली हवा महसूस करवाने का पहला मौका दिया, इसलिए देश में आर्थिक उदारवाद की शुरुआत करने का कुछ श्रेय राजीव गांधी जी को भी अवश्य मिलना चाहिए। राजीव गांधी जी देश की सियासत व सिस्टम को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहते थे, लेकिन यह विडंबना है कि बाद में उन्हें खुद भ्रष्टाचार की वजह से ही अपने देश में सबसे ज़्यादा आलोचना का सामना करना पड़ा। जो देश के कुछ राजनेताओं की महरबानी से आजतक भी जारी है।
राजीव गांधी के सपनों का भारत एक सशक्त सैन्य शक्ति वाला देश था, वो विश्व में अमनचैन के पैरोकार थे, लेकिन जानते थे कि शांति और अहिंसा की बातें किसी कमजोर देश को नहीं बल्कि मजबूत देश को ही शोभा देती हैं। यही वजह है कि उन्होंने मजबूत सैन्य शक्ति वाले भारत के अपने सपने को पूरा करने के लिए देश के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों की रफ्तार बढ़ाने का फैसला किया था। जिसका सकारात्मक परिणाम बाद में देशवासियों के सामने आया था। राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में कई साहसिक क़दम उठाए, जिनमें श्रीलंका में आईपीकेएफ (शांति सेना) का भेजा जाना, असम समझौता, पंजाब समझौता, मिज़ोरम समझौता आदि शामिल हैं। इसकी वजह से ही कुछ चरमपंथी ताकतें उनकी जान की दुश्मन बन गयी थी। नतीजतन, श्रीलंका में सलामी गारद के निरीक्षण के वक़्त उन पर जानलेवा हमला किया गया, जिसमें वो बाल-बाल बच गए थे। साल 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, भारत का दिल कहलाने वाले गांवों की याद आज सभी राजनीतिक पार्टियों को आने लगती है, अपनी राजनीतिक साख को बचाने के लिए जिस तरह से नेता शहर से निकलकर गांवों के चक्कर लगाने लगे हैं, उसकी शुरूआत भी राजीव गांधी जी ने बहुत पहले ही कर दी थी। 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसम्बर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री की गद्दी संभालने वाले राजीव ने 1989 में अपनी हार के बाद दिल्ली दरबार से बाहर निकलने का फैसला किया था ।
राजीव गांधी ने भ्रष्टाचार को देश के विकास का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था. उनका सबसे चर्चित बयान था कि “सरकार के आवंटित एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही गाँव तक पहुंचते हैं” वो पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने सरकारी तंत्र के इस भ्रष्टाचार को इतना करीब से पहचाना और खुलकर सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार किया। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए राजीव गांधी ने कठोर कानूनों को सख्ती से लागू कराया, जो उस समय देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने में ताकतवर भी साबित हुए। यही नहीं उन्होंने दल-बदल विरोधी कानून भी लागू कराया जिससे राजनीति में भ्रष्टाचार पर रोक लग सके। हालांकि बाद में राजीव गांधी पर खुद भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उन पर बोफोर्स तोप की खरीद में घूस लेने के आरोप लगे, लेकिन ये आरोप देश की सर्वोच्च अदालत में कभी साबित नहीं हो पाए और आखिरकार उनकी मौत के कई वर्ष बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें अपने फैसले में बेगुनाह बताया था, लेकिन आज भी कुछ राजनेता उन पर आरोप लगाते रहते है।
राजीव गांधी जब देश में आगामी आम चुनाव के प्रचार के लिए 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर गए, जहां एक आत्मघाती हमले में उनकी मौत हो गई और भारत के लिए नई सदी की सोच का सपना लिए कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो गए। लेकिन तब तक नई सोच के इस नौजवान नेता ने भारत को प्रगति की एक नयी राह पर बाखूबी चलना सिखा दिया था। जिसे आज के भारत में हम बखूबी महसूस कर सकते हैं। राजीव गांधी की देश सेवा को राष्ट्र ने उनके दुनिया से विदा होने के बाद स्वीकार करते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया, जिसे श्रीमती सोनिया गांधी ने 6 जुलाई, 1991 को अपने पति की ओर से ग्रहण किया था।
राजीव गांधी कहते थे कि –
“भारत एक प्राचीन देश, लेकिन एक युवा राष्ट्र है, मैं जवान हूँ और मेरा भी एक सपना है, मेरा सपना है भारत को मजबूत, स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और दुनिया के सभी देशों में से प्रथम रैंक में लाना और मानव जाति की सेवा करना।”
वो किसानों के बारे में कहते थे कि – यदि किसान कमजोर हो जाते हैं तो देश आत्मनिर्भरता खो देता है, लेकिन अगर वे मजबूत हैं तो देश की स्वतंत्रता भी मजबूत हो जाती है। अगर हम कृषि की प्रगति को बरकरार नहीं रख पाए तो देश से हम गरीबी नहीं मिटा पाएंगे। लेकिन हमारा सबसे बड़ा कार्यक्रम गरीबी
उन्मूलन हमारे किसानों के जीवन स्तर में सुधार लायेगा। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का मकसद किसानों का उत्थान करना है।
आज राजीव गांधी जी की हत्या को वर्षों हो गए हैं। इन वर्षों में भारत राजीव के सपनों का देश बना है या नहीं, यह कहना बहुत मुश्किल होगा। राजीव ने ही कभी भारत को मजबूत, महफूज़ और तरक्की की राह पर रफ्तार से दौड़ता मुल्क बनाने का सपना देखा था। देश की तरक्की पसंद राजीव ने ही कभी भारत को विश्व समुदाय व वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सिखाया था। वो अपनी आधुनिक सोच के बलबूते भारत की तकदीर बदलने वाले कुशल शिल्पी थे, राजीव गांधी देश को अत्याधुनिक नवीनतम तकनीक से लैस करके इक्कीसवीं सदी का आधुनिक भारत बनाने का सपने देखते थे और हमेशा उसी रास्ते पर आगे भी बढ़े। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज जिस भारत में हम सांस ले रहे हैं। जिस आधुनिक भारत का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है, जिस भारत पर आज पूरी दुनिया की नजरें इनायत हैं। जिस भारत को आने वाले कल की विश्वशक्ति माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि भविष्य में एक बार फिर भारत पूरे विश्व को एक नई राह दिखाएगा, इस स्थिति की ठोस नींव रखने का श्रेय भारत माता के महान सपूत राजीव गांधी को जाता है।