नर्मदा समय, प्रताप सिंह वर्मा
नागपुर/तुमसर : हम नर्मदा समय में एक ऐसी बेबस लाचार और घरेलू हिंसा से पीड़ित माँ की बात कर रहे हैं जो कानून के दरवाजों एवं समाज से अपने बेटे की ममता को प्राप्त करने के लिए, इंसाफ मांग रही हैं। किंतु आज भी इस पुरुष प्रधान समाज में उसकी किसी प्रकार से कोई सुनवाई पर अमल नहीं हो रहा है । उनके फरार पति के साथ पूरा परिवार शातिराना तरीके से मासूम ढाई साल के बच्चे पवन सिंह को अगवा कर कहाँ किस हाल में रख रहा हैं पता नहीं जो चिंता का विषय हैं एवं सामाजिक परिवेश में क्रूरता की पराकाष्ठा को समाज में आइना दिखा रहा है । यह वास्तविक कहानी है लोधी नारी शक्ति की संघर्षरत ललिता नागपुरे की जो गांव ब्राह्मण टोला, तहसील तुमसर, जिला भंडारा महाराष्ट्र की हैं । जिन्होंने अपने ऊपर किये गए शादी के बाद के अत्याचारों एवं घरेलू हिंसा का वर्णन स्वयं किया है।
आइए जानते हैं उनकी दर्द भरी कहानी उनकी जुबानी
मेरा नाम ललिता नागपुरे लोधी है मैं महाराष्ट्र नागपुर गांव ब्राह्मण टोला से हूँ। मेरी शादी किशन सिंह मालू सिंह राजपूत गांव किरतासर, तहसील नोखा, जिला बीकानेर, राजस्थान के साथ आर्य समाज, सदर, महर्षि दयानंद भवन, नागपुर में 25 नवंबर 2019 को हिंदू रीति रिवाज से संपन्न हुई थी । उसी दिन से मैं और मेरे पति किशन सिंह राजपूत , पति-पत्नी के रूप में राजस्थान, गांव किरतासर में रहने लगे थे । शादी के बाद मेरे पति मेरे साथ एक 2 महीने तक अच्छे से रहे थे। परंतु उसके बाद मेरे पति किशन सिंह और मेरी सास गुलाब कंवर मुझे परेशान करने लगे थे । उनका कहना था कि इसे ललिता को राजस्थान का रीति रिवाज नहीं समझता । राजस्थानी (मारवाड़ी) बोली नहीं आती ऐसे बातें बोलकर मुझे मानसिक और शारीरिक पीड़ा देते थे कुछ दिन बाद 16 फरवरी 2020 को मैं और मेरे पति राजस्थान से महाराष्ट्र मेरे मायके मिलने आए थे, तब मेरी सास ने मुझे कहा था, मायके से पूरे परिवार के लिए कपड़े और भेंट ले आना। यह राजस्थान का रीति रिवाज है और मजबूरी में मुझे मेरे पिताजी से 6 हज़ार रुपये लेने पड़े । उसके बाद 25 फरवरी 2020 को मैं और मेरे पति किराए के मकान में सेंडए नगर, नागपुर में रहने लगे थे। एक बार 6 हज़ार रुपये मिलने के बाद मेरे पति और मेरी सास के मन में लालच बढ़ता गया और वह मुझपर मायके से और पैसे लाने का दबाव बनाने लगे ऐसा ना करने पर मेरे पति मुझे मारते पीटते थे । 28 फरवरी 2020 को मुझे और मेरे पति को पता चलता है कि, मैं मां बनने वाली हूं उसके बाद भी मेरे पति मुझे मारते रहते थे और कहते थे कि “मैं तेरा और इस बच्चे का खर्चा नहीं उठा सकता अपने बाप से पैसे मांग” और मेरे मना करने पर कहता कि यह बच्चा उसका नहीं है किसी और का है । मेरे पिता के रिटायरमेंट पर मेरे पति मुझसे 2 लाख रुपए का दहेज मांगने का जबरदस्ती दबाव बनाने लगे थे। दिनांक 21 मई 2020 को शाम 5 बजे मेरे पति ने मुझे मारपीट कर किराए के मकान से निकाल दिया था और मेरे कपड़े भी बाहर फेंक दिए थे! और कहने लगा था कि “जबतक तेरे बाप से पैसे नहीं मांगती तब तक मेरे मकान में मत आना” मैं करीब आधा घंटा दरवाजे पर बैठकर रोती रही पर मेरे पति ने दरवाजा नहीं खोला तो फिर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था और इसलिए मैं वहां से उठकर कपिल नगर, नागपुर मेरे चाचा के घर पैदल चली गई थी । जो कि मेरे पति के किराए के मकान से 1 किलोमीटर दूरी पर था । दिनांक 24 मई 2020 को मेरे पति नागपुर से राजस्थान के लिए निकल गए थे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और इसीलिए मैंने कपिल नगर नागपुर पुलिस स्टेशन में मेरे पति के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी । इसके पहले 3 दिन तक मेरे परिवार (मायके वालो) ने मेरे पति को बहुत मनाने और समझाने की कोशिश की थी पर वह मुझे लेने नहीं आया था और फिर शिकायत करने पर और पुलिस के कहने पर मेरे पति पुलिस स्टेशन कपिल नगर आए थे । फिर पुलिस के समझाने पर मेरे पति ने मुझे किराए के मकान में लेकर गए थे । उसके 5 दिन बाद ही बिना मेरे मायके वाले को बताएं मुझे महाराष्ट्र से राजस्थान गांव कीरतासर लेकर गए थे । कीरतासर जाने के बाद एक बार फिर से मैं मेरे ससुराल में जॉइंट फैमिली में रहने लगी थी कीरतासर में मेरे पति मुझे मारते पीटते थे मायके से पैसे मांगने पर मजबूर करते थे और इस काम में मेरे ससुराल वाले मेरे जेठ राजू सिंह, जेठानी आरजू , कांचन, जेठ समंदर सिंह, सास गुलाब कंवर उनका साथ देते थे। ससुराल वालों का कहना था की बहू ने मायके से जेवर गहने और पैसे मांगने चाहिए यह तो हमारा राजस्थान का रिवाज है “मायरा” ।
दिनांक 2 अगस्त 2020 को मैंने पीबीएम सरकारी अस्पताल बीकानेर में एक लड़के को जन्म दिया था । डिलीवरी के 7 दिन बाद ही मेरे पति ने कहा कि “बच्चे का नामकरण करना है तो अपने बाप से 50 हज़ार रुपये मांग “और मेरे मना करने पर मुझे मारने पीटने लगा उसका परिवार (मेरे ससुराल वाले) बोलते थे कि, ललिता तो हमारी बात नहीं मानती मायके से पैसे नहीं मांगती, हमारे राजस्थानी रिवाज नहीं मानती, इसे तलाक दे दो । दिनांक 8 जुलाई 2022 को मेरे ससुराल में सुबह 7 बजे के आसपास “मेरा मोबाइल क्यों देख रही है ? “ऐसा बोलकर मेरे पति ने कमर के पट्टे से मुझे मारने लगा था, गाली गलौज किया था । ओर मुझसे मेरा बच्चा पवन सिंह छीन कर मुझे एक कमरे में बंद कर दिया था । उसी दिन दोपहर 2 से 3 बजे के आसपास मैं खिड़की से कूदकर अपनी जान बचाते हुए पति के घर से भाग निकली । मैंने अपने बच्चे को आसपास देखा पर मुझे मेरा बच्चा नहीं दिखा और मुझे मेरी जान का खतरा भी था ,इसीलिए मेरे पति के घर से भागकर मैं निकल गई थी । मेरे पीछे-पीछे मेरे ससुराल वाले जेठ समंदर सिंह जेठानी आरजू , कांचन कवर मेरे पीछे दौड़े थे पर मैं उनसे भागकर बस स्टॉप के पीछे वाली गली के तरफ भागी और बस पकड़ कर अपनी जान बचा कर आई थी। दिनांक 11 जुलाई 2022 को रात 11 बजे मैं मेरे मायके गांव ब्राह्मण टोला पुलिस स्टेशन सिहोरा, तहसील तुमसर, जिला भंडारा, महाराष्ट्र आई थी । लेकिन मेरा बच्चा राजस्थान में ही छूट गया था । राजस्थान से महाराष्ट्र आने के बाद मैंने सिहोरा पुलिस स्टेशन में 12 जुलाई 2022 को मेरे पति के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी और मेरे बच्चे को मिलाने की मांग (विनती) की थी । इस प्रक्रिया के दौरान घरेलू हिंसा केस नंबर 4 /2023 तुमसर कोर्ट से मुझे बच्चे की कस्टडी भी मिल चुकी है । मैं सिहोरा ( महाराष्ट्र) पुलिस और नोखा (राजस्थान ) पुलिस के साथ गांव किरतासर, पुलिस स्टेशन नोखा, जिला बीकानेर, राजस्थान बच्चे को लेने गई थी परंतु मेरा पति बच्चे को लेकर घर से भाग चुका था । आज भी मेरी लड़ाई जारी है दिनांक 26 जून 2023 से तक वर्तमान में, मैं मेरे बच्चे की खोज कर रही हूं और इसके लिए मैंने मेरे पति के खिलाफ मेरे बच्चे को किडनैप करने की ऑनलाइन शिकायत भी की है । दिनांक 17 जून 2023 पुलिस स्टेशन नोखा, जिला बीकानेर, राजस्थान मैंने शिकायत दर्ज की है !मेरे पति को डर है कि कहीं बच्चे को उसकी मां को देने पर उसे (किशन सिंह ) को बच्चा और मां का खर्च देना पड़ेगा और इसीलिए वह मेरे मासूम बच्चे की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है । मेरा बच्चा मुझे जल्द से जल्द मिले यही मेरी विनती है।