ये आज का नही,पीढ़ियों का सिलसिला है रामलीला
भौरा।रामलीला मंडल भौरा का निर्माण वर्ष 1943 में शुरू हुआ जो जिसके मुख्य सूत्रधार उस वक्त थे स्व पंडित जुगलकिशोर सिरोठिया,स्व पंडित शंकरलाल दुबे,स्व नारायण दास खंडेलवाल।इन्होंने अंग्रेजो की गुलामी वाले दौर में भौरा गांव में राम नाम की ऐसी अलख जगाई जिसको वर्तमान पीढ़ी आज तक निभा रही है।लगातार बिना रुके ये स्थानीय कलाकारों द्वारा अपने पूर्वजों की अमूल्य धरोधर को संजोया जा रहा है।
गांव के सिरोठिया परिवार की तो पांचवी पीढी वर्तमान में रामलीला मंच पर प्रभु राम की सेवा में लगी हुई है।स्व पंडित जुगलकिशोर द्वारा रखी गई नींव को उनके पुत्र स्व रामकिशोर सिरोठिया ने निभाया ।उन्होंने दशरथ एवं केवट के सजीव किरदारों को मंच पर ऐसे निभाया की लोग रोने लगते थे।फिर इनके पुत्र अशोक सिरोठिया ने राम,दशरथ,हनुमान,नारद,आदि अनोको मुख्य भूमिका निभाई।अभी वर्तमान वर्ष में भी व्यास की भूमिका में मंच पर प्रतिदिन प्रभु सेवा में लगे हुए है।अशोक सिरोठिया के पुत्र अंकुर सिरोठिया द्वारा भी वर्षो तक राम,सुमन्त, कौशल्या, तारा,सखी आदि भूमिका लगातार निभाई जा रही है।
अंकुर के पुत्र आयाश भी लगभग 5 वर्ष के है और मंच की सेबा के लिए तैयार है राम जन्म के दौरान राम के रूप में वह भी पांचवी पीढी के रूप में प्रभु सेवा को तत्पर है।कुछ इसी तरह से गांव के कुछ ओर ऐसे परिवार है जो पीढी दर पीढ़ी रामलीला का मंचन करते आ रहे है।भौरा रामलीला के शुरुवाती दिनों में भौरा में महाराज जी के नाम से पहचाने जाने वाले पंडित मनोहर महाराज।स्व मनोहर लाल तिवारी द्वारा मंच पर वशिष्ठ,ऋषि अगस्त जैसी भूमिकाए निभाई जाती थी।उसी दौरान उनके पुत्र गौवर्धन तिवारी द्वारा लक्ष्मण,अंगद आदि भूमिकाए एवं बाद में मेघनाथ,मारीच,खरदूषण,
अहिरावण,परशुराम जैसे मुख्य भूमिकाएं निभाई गई।गोवर्धन तिवारी द्वारा वर्तमान में भी प्रतिवर्ष खरदूषण का किरदार निभाया जाता है जिसका दर्शको को इंतजार रहता है।गोवर्धन तिवारी के बड़े पुत्र अमित तिवारी भी रामलीला मंच के ऐसे मुख्य किरदार है जिनको देखने के लिए दर्शक घंटो इंतजार करते है,वे भी अपने पिता की तरह निभाये गए लक्ष्मण,बाणासुर,इंद्र,मेघनाथ,
अहिरावण,मारीच,खरदूषण,
निषाद,आदि भूमिकाओं को वर्तमान में भी निभा रहे है।उनके छोटे पुत्र अर्पित तिवारी भी मारीच,दूषण आदि भूमिकाए वर्तमान में निभा रहे है।इसी क्रम में एक जो सबसे मुख्य किरदार है स्व पंडित शंकरलाल दुबे जी जिन्होंने इस रामलीला मंडल को बनाया उनके पुत्र स्व श्यामसुंदर दुबे ने राम,बाली,बाणासुर,रावण,
परशुराम जैसे किरदारों को पूरी सहजता से निभाया।15 दिनों तक चलने वाली रामलीला की पूरी जिम्मेदारी उनकी ही होती थी,आज उनका बेटा आंनद दुबे अपने दादा की नींव ओर उस नींव पर खड़ी इस 80 वर्षो की विरासत को संभाल रहे है अगर सही कहा जाए तो वतर्मान समय मे भी अगर रामलीला में सबसे बड़ा योगदान है तो आंनद दुबे का है जो सभी पात्रों को तैयार करवाते है साथ साथ पिता की तरह की मंच की जिम्मेदारी एवं रावण,परशुराम जैसी मुख्य भूमिकाएं निभा भी रहे हैं।ऐसे ही स्व सीताराम सगोरिया के पुत्र मोहन सगोरिया,स्व गोकुल राठौर के पुत्र सुलभ राठौर आदि ऐसे बहुत चहरे है जो सच्चे मन से प्रभु सेवा में लगे हुए है।

